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रेत नीति फंसी, लूट करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

विधान सभा में यशोमति ठाकुर

मुंबई./दि.28-राज्य सरकार की बालू नीति बुरी तरह फंस गई है. इससे लोगों को कम रेट मिलने की बजाय ठेकेदार और अधिकारियों की जोरदार मिलीभगत चल रही है. लूट मची है. इसलिए अधिकारियों पर तत्काल कडी कार्रवाई की मांग प्रश्नोत्तर प्रहर में यशोमति ठाकुर ने विधान सभा में उपस्थित की. ठाकुर ने आरोप लगाया कि, अधिकारियों का ठेकेदारों के साथ पार्टनरशीप में यह धंधा जमकर चल रहा है. उन्होंने जानना चाहा कि, अब तक संबंधितों पर सरकार ने क्या कार्रवाई की है.
यशोमति ने सरकार को जमकर आडे हाथ लेते हुए कहा कि, बालू नीति के बाद सामान्य लोगों को 600 रुपए प्रति ब्रास रेत के दावे धरे रह गए. जबकि रेत नहीं मिलने से लोगों के मकान के काम रुके पडे है. पहले यह मुद्दा राकांपा के राजेश टोपे ने उठाया था. उसका समर्थन करते हुए और अपने भी प्रश्न जोडते हुए यशोमति ने आरोप लगाया कि, कहीं भी 600 रुपए रेत मिली नहीं, बल्कि डेपो से घाट और वहां से घर तक यातायात का खर्च 6 हजार रुपए प्रति ब्रास तक जा पहुंचा था. एड. ठाकुर ने सवाल उठाया कि, गरीब लोगों को नीति के अनुसार रेत सरकार कब उपलब्ध कराएंगी.
* मंत्री की स्वीकारोक्ति
राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि, बालू पर सभी के हित में नीति अपनाने का प्रयत्न सरकार ने किया था. रेत ठेकेदारों ने इस नीति को असफल करने के लिए प्रयत्न किए. राज्य शासन को रॉयल्टी के रूप में 240 करोड रुपए मिलते है, जबकि स्टोन क्रशर की रॉयल्टी की 1700 करोड रुपए मिलते है. रेत माफिया सरकार को रेत की रॉयल्टी मिलने नहीं दे रही. विखे पाटिल ने सदन से इस बारे में सुझाव मांगे.

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