* वरुड व मोर्शी तहसील प्रशासन की भूमिका संदेहास्पद
अमरावती /दि.21- मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित वर्धा व कन्हान नदी के संगमघाट पर बडे पैमाने से रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है तथा जीरो रॉयल्टी के नाम पर वरुड व मोर्शी से सीधे अमरावती शहर में रेत की अवैध ढुलाई की जाती है. ऐसे में इन दिनों मोर्शी व वरुड को रेत तस्करी का सबसे बडा अड्डा कहा जा सकता है. जहां से रात के समय चोरी छिपे तरीके से रेत को अमरावती के लिए भेजा जाता है. परंतु जिसकी ओर मोर्शी व वरुड के तहसीलदार एवं एसडीओ का कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में इस ओर जिलाधीश सौरभ कटियार से ध्यान देने की मांग की जा रही है.
बता दें कि, मध्य प्रदेश के सौन्सर में बडे पैमाने पर रेती का संग्रह है. जहां से वरुड, मोर्शी व नांदगांव पेठ होते हुए अमरावती तक ओवरलोड रेत ढुलाई की जाती है. इस काम में प्रयुक्त होने वाले वाहनों के नाम पर जीरो रॉयल्टी नहीं रहने की बात भी सामने आयी है. लेकिन इसके बावजूद पुसला के आरटीओ चेक पोस्ट को पार करते हुए ओवरलोड रेत ढुलाई यह हमेशा की ही बात हो गई है. जिसकी ओर जिला प्रशासन द्बारा ध्यान नहीं दिया जा रहा. वहीं दूसरी ओर मोर्शी एवं वरुड तहसील कार्यालय के सामने से रोजाना रेत से लदे 100 से अधिक वाहन गुजरते है. लेकिन इसके बावजूद तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार को यह ट्रक दिखाई नहीं देते. अवैध रेत तस्करी की आड में करोडों रुपयों का आर्थिक लेन-देन होने के चलते राजस्व, पुलिस व आरटीओ विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्बारा जमकर चांदी काटी जा रही है. ऐसे खुले आरोप लग रहे है. ऐसे में रेत तस्करी और इसकी आड में होने वाले भष्ट्राचार को बंद करने के लिए जिलाधीश द्बारा समय रहते कडे कदम उठाए जाने की जरुरत है.
* रेत तस्करी की रसद वसूली के लिए नियुक्ति
वरुड से अमरावती के दौरान होने वाली रेत तस्करी के लिए रसद यानि अपने हिस्से की रकम वसूली के लिए राजस्व, पुलिस व आरटीओ में एक व्यक्ति की ओर जिम्मेदारी सौंप रखी है, जो अलग-अलग रेत तस्करों से रकम संकलित करते हुए अपना कमिशन काटने के बाद सभी संबंधितों को उनका हिस्सा पहुंचा देता है. ऐसी जानकारी विश्वस्त सूत्रों के जरिए प्राप्त हुई है.
* पेट्रोलिंग का नहीं बचा कोई अर्थ
इस समय बारिश का मौसम शुरु रहने के बावजूद वर्धा व कन्हान नदी से जेसीबी व पोकलैंड के जरिए रेती का अवैध उत्खनन किया जा रहा है. जिन्हें टिप्पर ट्रकों में लादकर मोर्शी व वरुड से अमरावती के लिए भेजा जाता है. यानि मोर्शी, वरुड, तिवसा व नांदगांव पेठ पुलिस थाना क्षेत्र से होकर रेत की तस्करी चल रही है. साथ ही रेत लदे सभी ट्रक ओवरलोड भी होते है. ऐसे में यह सवाल भी उठाया जा सकता है कि, रात के समय होने वाली पुलिस की गश्त के बावजूद रात के वक्त ओवर लोडेड रेत से भरे ट्रक इन पुलिस थाना क्षेत्रों को पार करते हुए अमरावती तक कैसे पहुंच जाते है. जबकि रात के समय ओवर लोडेड वाहनों को रोकने, जांच करने और उनसे वसूली करने का ‘कर्तव्य’ निभाने हेतु पुलिस कर्मियों में अच्छी खासी स्पर्धा चलती है.
* ओवरलोड वाहनों के एक चौथाई दंड का क्या हुआ?
राजस्व अथवा आरटीओ द्बारा अवैध रेत ढुलाई करने वाले ओवर लोडेड वाहनों पर दंड लगाया गया. परंतु वाहन मालिकों ने उपजिलाधीश के पास कुल दंड में से एक चौथाई दंड की रकम भरकर अपने वाहन प्रतिज्ञा पत्र पर छुडा दिए. इस बात को डेढ वर्ष बीत जाने के बावजूद दंड की शेष रकम संबंधित वाहन चालकों ने राजस्व विभाग के पास अदा नहीं की. बल्कि वहीं वाहन आज भी बिन्धास्त तरीके से रेत व गौण खनिज की अवैध ढुलाई के लिए प्रयोग में लाए जा रहे. अनुमान के मुताबिक इस समय करीब 150 से 200 वाहन दंड की रकम भरे बिना धडल्ले के साथ रास्ते पर चल रहे है. चालान जारी करते हुए दंड लगाए जाने के बावजूद राजस्व विभाग के अधिकारी ‘लक्ष्मी दर्शन’ होते ही रेत तस्करों की अनदेखी करना शुरु कर देते है. ऐसा जिले मेें लगभग हर ओर चल रहा है.