अमरावती

संगाबा अमरावती विद्यापीठ का नैक मानांकन घटा

नैक समिती ने ‘बी प्लस प्लस’ का मानांकन व 2.93 का स्कोर दिया

  • पहले ‘ए’ मानांकन व 3.07 का स्कोर था

अमरावती/दि.18 – विद्यापीठ अनुदान आयोग की अगुआई में काम करनेवाली नैक समिती द्वारा संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के नैक मूल्यांकन के बाद ‘बी प्लस प्लस’ का मानांकन व 2.93 का स्कोर दिया गया है. जबकि इससे पहले विद्यापीठ का नैक मानांकन ‘ए’ हुआ करता था और नैक स्कोर 3.07 पर था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इस वर्ष नैक मानांकन में अमरावती विद्यापीठ थोडा पिछड गया है. जिसके चलते शिक्षा क्षेत्र में विद्यापीठ के कामकाज को लेकर सवालिया निशान लगाये जा रहे है.
बता दें कि, संगाबा अमरावती विद्यापीठ के पूर्व कुलगुरू डॉ. मोहन खेडकर के कार्यकाल के अंतिम चरण में वर्ष 2016 के दौरान विद्यापीठ को नैक का ‘ए’ मानांकन प्राप्त हुआ था. जिसके बाद कुलगुरू के तौर पर डॉ. मुरलीधर चांदेकर का कार्यकाल शुरू हुआ, जो काफी लंबे समय तक विवादों में भी घिरा रहा. साथ ही कोविड संकट की वजह से नैक की नामांकन प्रक्रिया में भी काफी विलंब हुआ. पश्चात विगत दिनों ही नैक की टीम ने अमरावती विद्यापीठ का दौरा करते हुए यहां का मुआयना किया और नामांकन के लिए सभी आवश्यक बातों की जांच-पडताल भी की गई. जिसके बाद मूल्यांकन व मानांकन की प्रक्रिया शुरू की गई और गत रोज ही विद्यापीठ को नैक समिती की रिपोर्ट प्राप्त हुई. जिसमें विद्यापीठ को इस बार ‘ए’ की बजाय ‘बी प्लस प्लस’ का मानांकन दिया गया है. पांच वर्ष पहले 3.07 अंकों के साथ ‘ए’ मानांकन प्राप्त करनेवाले अमरावती विद्यापीठ को इस बार 2.93 अंकों के साथ ‘बी प्लस प्लस’ मानांकन पर समाधान मानना पडा है.
पता चला है कि, संशोधन व विद्यार्थी प्रगती इन दो बातों में विद्यापीठ को कम अंक मिले है. जिसकी वजह से पांच वर्ष पश्चात विद्यापीठ नैक मूल्यांकन व मानांकन में पिछड गया. ऐसे में अब जल्द ही इस विषय को लेकर विद्यापीठ में जमकर राजनीति तपने के पूरे आसार है.

संशोधन व विद्यार्थी प्रगती में बैठा फटका

संगाबा अमरावती विद्यापीठ का नैक मानांकन ‘ए’ से घटकर ‘बी प्लस प्लस’ होने में विद्यार्थी प्रगती व संशोधन इन दो बातों को लेकर अंक कम मिलना सबसे प्रमुख वजह रहे है. विद्यापीठ को संशोधन में 2.61 तथा विद्यार्थी प्रगती में 2.21 अंक प्राप्त हुए है. इन दोनों में कम अंक मिलने के चलते विद्यापीठ को ‘ए’ नामांकन के लिए कुल 32 अंक कम पड गये और इसका सीधा असर नामांकन के घसरने पर हुआ.

इन बातों पर नैक समिती ने दर्ज की आपत्ति

विद्यापीठ द्वारा ऑनलाईन परीक्षा लेने में प्राप्त असफलता, रिसर्च पेपर व संशोधनात्मक बातों में रहनेवाली त्रृटियों पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए नैक समिती ने आक्षेप जताया था. साथ ही विद्यापीठ में प्राध्यापकों की कमी तथा शैक्षणिक सुविधाओं का अभाव आदि बातों को भी नैक समिती ने अधोरेखित किया था. इसके अलावा विद्यापीठ के लिए कम खर्च में ज्यादा दिखावा करना और खरीदी प्रक्रिया को लंबे समय तक लटकाये रखना भी भारी पडा है.

अपील पर विचार करेंगे

– प्र. कुलगुरू डॉ. जयपूरकर ने दी जानकारी
नैक समिती के प्रत्यक्ष निरीक्षण में विद्यापीठ को अच्छे अंक मिले थे. किंतु इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य बातों में आगे रहनेवाले विद्यापीठ को कुछ मसलों को लेकर कम अंक मिले है. इस मानांकन से हम काफी असंतुष्ट है और इसे लेकर अपील करने के बारे में जल्द ही विचार किया जायेगा. ऐसा संगाबा अमरावती विद्यापीठ के प्र-कुलगुरू डॉ. राजेश जयपूरकर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है.

पुनर्मूल्यांकन की गुंजाईश बची है

इस बारे में अमरावती विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रा. डॉ. अविनाश मोहरील से संपर्क किये जाने पर उन्होंने बताया कि, फिलहाल नैक द्वारा दिये गये मानांकन एवं मूल्यांकन स्कोर का असेसमेंट किया जा रहा है. जिसके बाद विद्यापीठ द्वारा अपील भी की जायेगी. डॉ. मोहरील के मुताबिक अब भी विद्यापीठ के पास पूनर्मूल्यांकन हेतु अपील करने का अवसर उपलब्ध है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, नैक समिती द्वारा अलग-अलग मानकों के आधार पर कुल 1000 अंकों के जरिये मूल्यांकन किया जाता है और ए मानांकन व 3.07 के पिछले स्कोर को प्राप्त करने हेतु इस बार केवल 32 अंक कम पडे है. जिसकी भरपाई पुनर्मूल्यांकन में बडी आसानी से हो सकती है.

प्रगती की बजाय पिछड गये हम

वर्ष 2016 में ‘ए’ ग्रेड प्राप्त करनेवाले अमरावती विद्यापीठ को नैक समिती द्वारा अब ‘बी प्लस प्लस’ का ग्रेड दिया जाना अच्छी बात नहीं है. पूर्व कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर के कार्यकाल दौरान शिक्षक व प्राध्यापक भरती तथा संशोधन व परीक्षा प्रणाली की ओर काफी अनदेखी की गई. जिसकी वजह से नैक समिती ने इसे बेहद गंभीरता से लिया और विद्यापीठ को कम अंक देते हुए ‘ए’ ग्रेड की बजाय ‘बी प्लस प्लस’ ग्रेड दिया. ऐसे में कहा जा सकता है कि, पांच वर्ष बाद ‘ए’ से ‘ए प्लस’ या ‘ए प्लस प्लस’ की ओर आगे बढने की बजाय हम पीछे जाकर ‘बी प्लस प्लस’ हो गये है. ऐसी प्रतिक्रिया नागपुर युनिर्व्हसिटी टिचर्स एसोसिएशन (नूटा) के अध्यक्ष प्रा. डॉ. प्रवीण रघुवंशी द्वारा दी गई है.

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