बेमौसम बारिश से रबी फसलों पर ‘संक्रांत’
तुअर, कपास, प्याज व चने की फसल का नुकसान, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
अमरावती दि.15 – विगत आठ दिनों से लगातार बदरीला मौसम बना हुआ है और बीच-बीच में बेमौसम बारिश होने के साथ ही इक्का-दुक्का बार ओलावृष्टि भी हुई है. जिसकी वजह से जिले में अधिकांश स्थानों पर कपास, तुअर, गेहू, चने व प्याज की फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से इस समय रबी सीजन की फसलों पर ही संक्रांत आयी हुई है. जिला प्रशासन द्वारा संकलित की गई जानकारी के मुताबिक विगत कुछ दिनों से हो रही बेमौसम बारिश की वजह से जिले की 4 से 5 तहसीलों के करीब 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों का जबर्दस्त नुकसान हुआ है.
जिले की चांदूर बाजार, मोर्शी, अंजनगांव सूर्जी व भातकुली सहित अन्य कुछ तहसीलों के ग्रामीण क्षेत्रों में बेमौसम बारिश के बाद दो दिन तक वातावरण खुला रहने के चलते किसानों ने थोडी राहत की सांस ली थी. किंतु गत रोज दोपहर 12 बजे के आसपास एक बार फिर बेमौसम बारिश ने तहसील के कई इलाकों में हाजरी लगायी. जिसकी वजह से प्याज के खेतों व संतरा बागानों में पानी जमा हो गया. साथ ही बिनाई के लिए पूरी तरह से तैयार कपास भी बारिश में भीग गई. जिससे क्षेत्र के किसानोें के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही है. उल्लेखनीय है कि, इस वर्ष अतिवृष्टि की वजह से सोयाबीन की फसल पूरी तरह से हाथ से निकल गई. वहीं अब तुअर व कपास की फसल का बेमौसम बारिश की वजह से नुकसान हो रहा है. एक सप्ताह से लगातार रूक-रूककर हो रही बेमौसम बारिश के चलते खेतों में काटकर रखी गई तुअर को घर पर लाने का समय भी किसानों को नहीं मिल पाया है. वहीं इस बेमौसम बारिश की वजह से प्याज उत्पादक किसान दिक्कतों में फंस गये है, क्योंकि प्याज की कैरियों में पानी भर गया है. इसी तरह संतरा बागानों में भी जलजमाव की स्थिति है. जिससे संतरा फलों के उत्पादन पर विपरित असर पडेगा.
ओलावृष्टि के बाद बदरीले मौसम ने बढाई जिले के किसानों की चिंता
विगत एक सप्ताह से शहर सहित जिले में हलके व मध्यम स्तर की बेमौसम बारिश हो रही है. जहां एक ओर इस बेमौसम बारिश की वजह से किसानों की जान सूख रही है, वहीं दूसरी ओर लगातार बदरीला मौसम रहने से भी उनकी धडकनें तेज है. गत वर्ष भी रबी सीझन के दौरान बेमौसम बारिश की वजह किसानोें का काफी नुकसान हुआ था. ऐसे में कहीं इस बार भी गत वर्ष की पुनरावृत्ति तो नहीं होने जा रही, यह चिंता किसानों को सता रही है.
15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों का नुकसान
पिछले सप्ताह हुई बेमौसम बारिश की वजह से जिले की चांदूर बाजार, अचलपुर, भातकुली व मोर्शी तहसीलों में 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती-किसानी का नुकसान होने की जानकारी प्राथमिक रिपोर्ट के जरिये सामने आयी है. कृषि विभाग द्वारा नुकसानग्रस्त इलाकोें का सर्वेक्षण करते हुए पंचनामा किया जा रहा है.
– अनिल खर्चान
जिला अधीक्षक, कृषि अधिकारी
* पांच दिन का सप्ताह पड रहा किसानों पर भारी
राज्य सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए पांच दिनों का सप्ताह किया गया है. जिसका सबसे अधिक फटका किसानों पर बैठ रहा है. साथ ही प्राकृतिक संकट के समय कृषि अधिकारी ऑनलाईन मिटींग के नाम पर नॉट रिचेबल रहते है. इसके अलावा किसानों द्वारा 72 घंटे के भीतर अपनी शिकायत दर्ज करवाना अनिवार्य किया गया है. किंतु शनिवार व रविवार को साप्ताहिक अवकाश रहने के चलते किसानोें को काफी समस्याओं का सामना करना पडता है. पांच दिन का सप्ताह करते समय सरकार ने कार्यालयीन कामकाज का समय बढाया था, किंतु कोई भी कृषि अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्यालयीन कामकाज के समय पर अपने कार्यालय में नहीं मिलता है. यह भी अपने आप में एक हकीकत है.
* पालकमंत्री की अनुपस्थिति से भी कामकाज प्रभावित
उल्लेखनीय है कि, जिला पालकमंत्री के तौर पर जिले का नेतृत्व करनेवाली एड. यशोमति ठाकुर कोविड संक्रमित रहने के चलते इस समय मुंबई में रहकर अपना इलाज करवा रही है. ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में जिला प्रशासन भी काफी हद तक सुस्त पडा हुआ है. जिले के किसानों के मुताबिक यदि पालकमंत्री यशोमति ठाकुर इस समय अमरावती में होती, तो निश्चित तौर पर नुकसान प्रभावित इलाकों का दौरा करती और कृषि महकमे के साथ-साथ जिला प्रशासन को सक्रिय करते हुए काम पर लगाती.
* कृषि अधिक्षक पद पर जबर्दस्ती प्रभार का मामला
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जिले में कृषि विभाग का सबसे प्रमुख पद रहनेवाला जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी का पद विगत छह माह से रिक्त पडा हुआ है और इस पद की जिम्मेदारी अनिल खर्चान के पास दी गई है. जबकि अनिल खर्चान की इस पद पर बने रहने को लेकर कोई खास रूचि नहीं है. किंतु किसी भी वजह के चलते यह पद रिक्त हुआ तो खर्चान की गर्दन पकडकर उन्हें इस पद का प्रभार सौंप दिया जाता है, जबकि खर्चान इस पद का जिम्मा संभालना ही नहीं चाहते. ऐसे में यह एक तरह से जबर्दस्तीवाला मामला है. इसके जरिये कृषि विभाग का कामकाज जैसे-तैसे चलाया जा रहा है. अत: सबसे जरूरी है कि, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी पद पर नियमित व पूर्णकालिक अधिकारी की जल्द से जल्द नियुक्ती की जाये.