अमरावती

कुलगुरु द्बारा सिनेट पर नाम निर्देशित एक और नियुक्ति विवादों के घेरे में

बार्शीटाकली के पार्षद एड. विनोद राठोड की सदस्यता पर उठे सवाल

अमरावती/दि.6 – संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले द्बारा अधिसभा यानि सिनेट पर की गई बार्शीटाकली के नगरसेवक एड. विनोद राजाराम राठोड की नियुक्ति अब विवादों के घेरे में फंसती नजर आ रही है. सिनेट में सर्वाधिक सीटों पर चुनाव जीतने वाले नूटा संगठन ने इस बारे में शिकायत दर्ज कराई है. साथ ही एड. राठोड की नामनिर्देशित नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाने की मांग भी उठाई है. जिसके चलते एड. राठोड की सिनेट सदस्यता पर सवालिया निशान लगता दिखाई दे रहा है. साथ ही यदि आगे चलकर इस नामनिर्देशन को पीछे लेने की नौबत आती है, तो यह कुलगुरु द्बारा की गई दूसरी गलती साबित होगी.
बता दें कि, इससे पहले व्यवस्थापन परिषद पर विभाग प्रमुख का चयन करते हुए कुलगुरु ने विद्यापीठ के भुगर्भशास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. वाय. के. मावले का नामनिर्देशन किया था. किंतु डॉ. मावले के मार्गदर्शन में दो विद्यार्थियों की पीएचडी पूरी होने का नामक पूर्ण नहीं हुआ था. यह बात ध्यान में लाए जाने के बाद डॉ. मावले के चयन को रद्द कर दिया गया. कुछ ऐसा ही एड. राठोड की सिनेट सदस्यता के बारे में भी होने की संभावना को लेकर विद्वतजनों में चर्चा चल रही है.
ज्ञात रहे कि, संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के सिनेट का चुनाव नवंबर 2022 में हुआ था. जिसमें अधिकांश सीटों पर नूटा संगठन के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. जिसके बाद 14 मार्च 2023 को सिनेट की पहली बैठक हुई थी. इस बैठक के पहले नियमानुसार महामहीम राज्यपाल ने कुलपति होने के नाते 10 सदस्यों तथ कुलगुरु ने तीन सदस्यों का नामनिर्देश किया. इस चयन का अधिकार पूरी तरह से कुलपति व कुलगुरु के अख्तियार मेें होता है. लेकिन इसके बावजूद सिनेट में नामनिर्देशित सदस्य के तौर पर किस व्यक्ति का चयन किया जाए. इसे लेकर विद्यापीठ अधिनियम में कुछ मानक तय किए गए है. सिनेट पर किसी नगरसेवक का चयन करते समय यह चयन प्रतिवर्ष चक्राकार यानि रोटेशन पद्धति से किया जाता है. जिसके अनुसार अमरावती, अकोला, बुलढाणा, वाशिम व यवतमाल इन पांच जिलों में से इस वर्ष अकोला जिले का दावा था. लेकिन इस समय अकोला जिले की महानगरपालिका व सभी नगर परिषदों में प्रशासक राज चल रहा है और केवल बार्शीटाकली नगर पंचायत में ही लोकनियुक्त सत्ता है. चूंकि नगर पंचायत के सदस्यों को भी नगरसेवक ही संबोधित किया जाता है. जिसके चलते शायद विद्यापीठ ने अकोला जिला अंतर्गत बार्शीटाकली नगर पंचायत के सदस्य के तौर पर एड. विनोद राठोड का सिनेट में नामनिर्देशित सदस्य के रुप में चयन किया हो, ऐसा कयास लगाया जा रहा है. परंतु विद्यापीठ अधिनियम के अनुसार सिनेट में नामनिर्देशित सदस्य के तौर पर महानगरपालिका व नगर परिषद के ही सदस्य का चयन करने की बात उल्लेखित है. ऐसे में इसी नगर पंचायत के सदस्य का सिनेट में नामनिर्देशन कैसे किया गया. इसे लेकर नूटा ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, इन दिनों स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की रचना जनसंख्या पर आधारित होती है और अधिक से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र को सिनेट में प्रतिनिधित्व मिले. इस बात को ध्यान में रखते हुए मनपा व नगर परिषद क्षेत्र के नगर परिषद को सिनेट सदस्य बनाए जाने की व्यवस्था देने का प्रावधान किया गया हो, ऐसा नूटा के पदाधिकारियों का कहना है. वहीं नगर पंचायत क्षेत्र में मनपा व नगर परिषद की तुलना में जनसंख्या बेहद कम होती है. शायद इसी वजह से विद्यापीठ कानून में नामनिर्देशित सदस्यों हेतु नगर पंचायत का उल्लेख नहीं है. परंतु इसके बावजूद भी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले द्बारा नियमों की अनदेखी करते हुए नगर पंचायत सदस्य को सिनेट हेतु नामनिर्देशित किया गया. जो कि पूरी तरह से नियमबाह्य है.

* मेरे साथ कोई पत्र व्यवहार नहीं
नगरसेवक रहने के चलते कुलगुरु ने मेरा सिनेट में चयन किया. अकोला जिले की सभी नगर परिषदों और अकोला महानगरपालिका में इस समय प्रशासक राज चल रहा है. साथ ही केवल बार्शीटाकली नगर पंचायत में ही लोकनियुक्त सत्ता है. जिसके चलते इस नगर पंचायत के अलावा अन्य कहीं भी जननिर्वाचित नगरसेवक नहीं है. यह इस समय की एक हकीकत है. फिलहाल सिनेट में चयन होने के बाद मेरे साथ विद्यापीठ की ओर से कोई भी पत्रव्यवहार नहीं किया गया है.
– एड. विनोद राठोड,
सिनेट सदस्य तथा नगरसेवक

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