संतमणि सद्गुरू परिवार की अनूठी सदाशयता
निराधार महिलाओं को दीपावली हेतु बांटा किराणा
* 20 वर्षों से धर्मसेवा व समाजसेवा में समर्पित है परिवार
अमरावती/दि.20- 40-42 वर्ष पहले एक साथ कॉलेज में पढनेवाले युवाओें द्वारा आगे चलकर सन 2002 में परमपूज्य संत श्री सीतारामदास बाबा की कृृपापात्रा शिष्या सुश्री अलकाश्री जी की प्रेरणा से स्थापित संतमणि सद्गुरू परिवार द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी समाज की जरूरतमंद व निराधार महिलाओं को दीपावली पर्व के मद्देनजर किराणा कीट का वितरण किया गया. जिसके तहत इस वर्ष करीब 60 महिलाओं को आटा, चावल, मैदा, रवा, पोहा, घी, नमक, मिर्च, मसाला, हल्दी व तेल आदि वस्तुओें का समावेश रहनेवाली किराणा कीट नि:शुल्क तौर पर वितरित की गई, ताकि उन निराधार महिलाओं के परिवार भी हंसी-खुशी दीपावली का पर्व मना सके.
संतमणि सद्गुरू परिवार द्वारा निराधार व जरूरतमंद महिलाओं को किराणा साहित्य वितरित करने हेतु गत रोज पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजीत किया गया था. जिसमें प्रमुख अतिथी के तौर पर रिम्स् हॉस्पीटल के संचालक डॉ. श्याम राठी, माहेश्वरी पंचायत के अध्यक्ष जगदीश कलंत्री, संतमणि सद्गुरू परिवार के अध्यक्ष नितीन चांडक व सचिव नितीन सारडा उपस्थित थे.
इस अवसर पर सर्वप्रथम संतमणि सद्गुरू परिवार के अध्यक्ष नितीन चांडक ने इस आयोजन की प्रस्तावना रखते हुए परिवारद्वारा विगत कई वर्षों से किये जा रहे कामों की जानकारी उपस्थितों के सामने विषद की. जिसके उपरांत कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए संतमणि सद्गुरू परिवार द्वारा किये जा रहे कामों की प्रशंसा की. इसके बाद उपस्थित गणमान्यों के हाथों समाज की निराधार व जरूरतमंद महिलाओं को नि:शुल्क किराणा कीट का वितरण किया गया.
इस अवसर पर संतमणि सद्गुरू परिवार के सर्वश्री दामोदर बजाज, गोपाल पनपालिया, पुरूषोत्तम राठी, सुरेश चांडक, सुशील सारडा, विजय लोहिया, रवि डागा, प्रदीप गांधी, रमण राठी, विनोद राठी, गोविंद मुंधडा, प्रकाश पनपालिया, रवि बजाज, विजय खंडेलवाल, मनोज खंडेलवाल, कैलास लढ्ढा, गोपाल राठी, ब्रिजबाला चांडक, अनुपमा सारडा, जयश्री लोहिया, स्नेहल सारडा, विजया राठी, प्रमिला चांडक, संगीता राठी आदि उपस्थित थे.
* क्या है संतमणि सद्गुरू परिवार
करीब 40-42 साल पहले स्कूल व कॉलेज में एक साथ पढाई-लिखाई करनेवाले अमरावती शहर के कुछ युवाओं की अमरावती से ही वास्ता रखनेवाले महान तपस्वी संत श्री सीतारामदास बाबा महाराज के प्रति अगाध श्रध्दा रही और इन सभी युवाओं ने आगे चलकर कडी मेहनत व संघर्ष के बाद अपने-अपने जीवन व कार्यक्षेत्र में सफल होने के बाद अपनी कमाई का कुछ हिस्सा धर्म व समाजसेवा के काम में खर्च करने का विचार किया. पश्चात संतश्री की कृपापात्र शिष्या सुश्री अलकाश्री जी की प्रेरणा से वर्ष 2002 में संतमणि सद्गुरू परिवार की स्थापना हुई. विशेष उल्लेखनीय है कि, इस परिवार को संतमणि सद्गुरू परिवार नाम भी खुद सुश्री अलकाश्री जी द्वारा ही दिया गया और इस परिवार ने वर्ष 2002 में ही अमरावती में सुश्री अलकाश्री जी की पहली रामकथा का आयोजन किया था. साथ ही वर्ष 2002 में ही श्री रामेश्वरम् धाम की पहली धर्मयात्रा भी आयोजीत की गई थी. इसके बाद से अब तक रामकथा व नानीबाई का मायरा के अनेकों धार्मिक आयोजन इस परिवार द्वारा अमरावती सहित देश के विभिन्न धर्म क्षेत्रों में कराये जा चुके है. साथ ही बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, जगदीश्वर धाम, द्वारकानाथ धाम व नेपाल स्थित पशुपतिनाथ धाम जैसे धर्मक्षेत्रों की यात्रा आयोजीत की जा चुकी है. इन यात्राओं में शामिल होनेवाले भाविक श्रध्दालुओं के लिए विशेष रेलगाडियों व वाहनों का प्रबंध किया जाता है और सभी श्रध्दालुओं को केवल अपने आने-जाने के खर्च का ही वहन करना होता है. वही दोनों समय के भोजन व रात्री विश्राम की व्यवस्था और इस पर होनेवाले खर्च का वहन संतमणि सद्गुरू परिवार द्वारा उठाया जाता है. इन धर्मकार्यों के साथ ही इस परिवार द्वारा पूरे सालभर विभिन्न सामाजिक उपक्रम भी आयोजीत किये जाते है. जिसके तहत वर्षाकाल के समय वृक्षारोपण किया जाता है और कमजोर आर्थिक स्थितिवाले परिवारों के बच्चों को पढाई-लिखाई के लिए कॉपी-किताब का नि:शुल्क वितरण किया जाता है. साथ ही इससे पहले संतमणि सद्गुरू परिवार द्वारा कई वर्षों तक बडनेरा रेल्वे स्टेशन पर गर्मी के मौसम में प्याऊ (पानपोई) लगायी जाती थी. जिसे अब हर साल राजकमल चौक पर वनिता समाज के सामने लगाते हुए गर्मी के मौसम में राहगीरों हेतु जलवितरण की सेवा व सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा प्रतिवर्ष दीपावली के पर्व पर संतमणि सद्गुरू परिवार के सदस्य आपसी सहयोग से समाज के जरूरतमंद व निराधार परिवारों के लिए किराणा साहित्य उपलब्ध कराते है, ताकि वे परिवार भी दीपावली का पर्व मना सके. विशेष उल्लेखनीय है कि, जिन परिवारों को यह सहायता उपलब्ध करायी जाती है, उनके नामोें का कभी खुलासा नहीं किया जाता और उनके सहायता प्राप्त करते हुए फोटो भी नहीं लिये जाते, ताकि उन परिवारों के सम्मान और गरिमा को कहीं से भी कोई ठेस न लगे.