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संतोष साहू आत्महत्या मामले में आया नया मोड

परिचय में रहनेवाले कई गणमान्य आ सकते है जांच के लपेटे में

* कर्ज के अलावा अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को लेकर परेशान थे संतोष साहू
* जहर गटकने के बाद सात लोगों को फोन करते हुए दी थी जानकारी
* समय पर नहीं मिली मदद, अन्यथा बचाई जा सकती थी जान
अमरावती/दि.23– विगत 27 मई को अकोली परिसर में रहनेवाले संतोष बाबुलाल साहू उर्फ संतोष पहलवान ने गडगडेश्वर मंदिर परिसर में जहर पीकर आत्महत्या कर ली गई थी, जिसमें अब एक नया मोड आता नजर आ रहा है. जिसके चलते साहू समाज के ही कुछ गणमान्य अब पुलिसिया जांच के घेरे में आ सकते है. उल्लेखनीय है कि, पेशे से व्यापारी रहनेवाले संतोष साहू को सामाजिक कामों में काफी रूचि थी और वे इतवारा बाजार परिसर स्थित बालाजी मंदिर संस्थान सहित साहू हिंदी पुस्तकालय के साथ जुडे हुए थे. साथ ही साथ साहू समाज के लिए हमेशा ही कुछ नया करने की चाहत भी रखते थे. ऐसे में उनके द्वारा उठाये गये आत्मघाती कदम की वजह से साहू समाज में काफी हडकंपवाला माहौल रहा.
बता दें कि, विगत 27 मई को विष प्राशन करते हुए आत्महत्या करनेवाले संतोष साहु के पास से एक सुसाईड नोट बरामद हुआ था. जिससे पता चला कि, संतोष साहू पर वाशिम अर्बन बैंक का साढे 14 लाख रूपयों का कर्ज था और ब्याज की राशि को मिलाकर कर्ज की रकम साढे 22 लाख रूपये पर जा पहुंची थी. जिसकी वसूली के लिए बैंक के अधिकारियों द्वारा बार-बार तगादा किया जा रहा था. जिससे परेशान होकर संतोष साहू ने सुसाईड नोट में आत्महत्या करने की बात कही. वहीं पुलिस द्वारा की गई जांच-पडताल में जब संतोष साहू के शव के पास से बरामद हुए उनके मोबाईल फोन को खंगाला गया, तब पता चला कि, संतोष साहू ने आत्महत्या करने से दो घंटा पहले करीब सात लोगों से अपने मोबाईल फोन के जरिये बात की और उन्हें अपनी समस्याओं व दिक्कतों के बारे में बताया. इसमें भी करीब दो से तीन लोग ऐसे थे, जिन्हें संतोष साहू ने उस समय फोन लगाया, जब वो जहर पी चुके थे और संतोष साहू ने इन दोनों व्यक्तियों को अपने द्वारा जहर पी लिये जाने की जानकारी दी. ऐसे में यदि संबंधितों द्वारा तुरंत ही गडगडेश्वर मंदिर परिसर पहुंचकर संतोष साहू को मेडिकल सहायता उपलब्ध करायी जाती, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी, लेकिन जब तक संतोष साहू के परिवार को इस घटना के बारे में पता चला, तब तक संतोष साहू की गडगडेश्वर मंदिर परिसर में पडे-पडे ही मौत हो चुकी थी. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जिन लोगों को संतोष साहू ने विष प्राशन करने के बाद फोन करते हुए अपने द्वारा उठाये गये कदम की जानकारी दी, तो संबंंधितों द्वारा तुरंत ही वहां पहुंचकर उनकी सहायता क्यो नहीं की गई. ऐसे में अब उन लोगों द्वारा दिखाई गई बेरूखी की वजह भी जांच का विषय बन गई है.
इस संदर्भ में संतोष साहू की मुंबई में रहनेवाली बेटी द्वारा शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से प्रत्यक्ष मुलाकात करते हुए उन्हें अपने पिता की मौत के संदर्भ में एक निवेदन सौंपा गया है. जिसमें कहा गया है कि, संतोष साहू की डावाडोल होती आर्थिक स्थिति के चलते समाज की संस्थाओं पर नजरे गडाये बैठे कुछ लोगों ने उन्हें बालाजी मंदिर संस्था के अध्यक्ष और संस्था की निर्माण समिती के प्रमुख पद से हट जाने हेतु कहा था तथा इसके बदले कर्ज अदा करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने की पेशकश भी की थी. साथ ही उनके पिता पर पद से हट जाने के लिए काफी दबाव भी बनाया जा रहा था. ऐसे में पैसे के साथ ही सामाजिक प्रतिष्ठा भी कम हो जाने की वजह से उनके पिता काफी आहत थे और उन्होंने अपने ही समाजबंधुओं द्वारा दिये गये धोखे से दुखी होकर जहर पी लिया. संतोष साहू की बेटी के मुताबिक अपनी सुसाईड नोट में संतोष साहू ने जिन लोगों के नाम लिखे है और जिन्हें अपनी मौत के लिए जिम्मेदार बताया है, उन सभी को उन्होंने जहर पीने के बाद अपने द्वारा उठाये गये आत्मघाती कदम की जानकारी फोन करते हुए दी थी, लेकिन उनमें से एक भी व्यक्ति उसके पिता को बचाने हेतु मौके पर नहीं पहुंचा और संतोष साहू की मौत हो जाने के बाद इसकी जानकारी परिवारवालों को दी गई. इस निवेदन में यह भी बताया गया कि, संतोष साहू के अंतिम संस्कार के अवसर पर बालाजी मंदिर ट्रस्ट के 16 में से केवल 4 ट्रस्टी ही मौजूद थे. ऐसे में इस मामले की भी जांच होनी चाहिए कि, आखिर संतोष साहू को सामाजिक स्तर पर किस हद तक प्रताडित किया जा रहा था.

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