अमरावती/दि.19 – पंचायत राज व्यवस्था की मजबूतीकरण के लिए ग्रामपंचायत को सीधे निधि दिया जा रहा है. ग्रामपंचायत का कामकाज संभालने वाले सरपंच व उपसरपंच को जनसंख्या के आधार पर मानधन दिया जाता है. मानधन सदस्यों को मात्र नहीं मिलता. इससे ग्रामपंचायत में काम का समूचा बोझ सरपंच पर पड रहा है.
गांव की जनसंख्या कम रहे या ज्यादा कामकाज समान ही. जिससे मानधन में सरपंच व उपसरपंच को जनसंख्या के अनुसार वर्गीकरण नहीं रहना चाहिए, इस तरह के विचार भी सरपंचों ने व्यक्त किये है. ग्रामपंचायत सदस्यों को पहले बैठक भत्ता केवल 25 रुपए मिलता था. अब उसमें वृध्दि की गई है. 200 रुपए बैठक के लिए भत्ता दिया जाता है. किंतु मानधन न रहने वाले सदस्यों को बैंक भत्ता व चायपान पर समाधान मानना पडता है. सरपंचों को 75 प्रतिशत मानधन व्यवस्था से दिया जाता है. 25 प्रतिशत रकम ग्रामपंचायत के उत्पन्न से लेनी पडती है. किंतु ग्रामपंचायत का उत्पन्न कम रहने से मानधन लेते समय बाधा आ रही है. यह व्यवस्था सरकार की तिजोरी से होना चाहिए. सरपंच, उपसरंपच समेत सदस्यों को भी मानधन मिलना चाहिए, ऐसी माग है.
इस तरह मिलता है मानधन
जनसंख्या निहाय ग्रापं. सरपंच उपसरपंच
0 से 2 हजार 3000रु. 1000रु.
2001 से 8000 4000रु. 1500रु.
8000 से ज्यादा 5000रु. 2000रु.
चुने गए सदस्यों को 200 से 300 रुपए बैठक भत्ता और चाय पानी इतने पर ही समाधान मानना पडता है.
क्या कहते है सरपंच
जनता की सेवा में समान हिस्सा उठाने वाले सरपंचों की तरह सदस्यों को भी मानधन मिला तो उसका लाभ ही होगा. हर महिने मिलने वाले मानधन में समूचा हिस्सा यह सरकार का रहना चाहिए तो ही समस्या नहीं आयेगी. इसके लिए सरकार ने व्यवस्था करना अपेक्षित है.
– विपीन अनोकार,
सरपंच, निमखेड बाजार
ग्रामपंचायत के विविध निर्णय में सरपंच, उपसरपंच समेत सदस्यों का महत्व का सहभाग रहता है. अपने काम निपटाकर सभी लोग ग्राम विकास के लिए प्रयास करते है. इसके लिए बैठकों को उपस्थित रहते है. जिससे सदस्यों को मानधन लागू करने के साथ ही सरपंच, उपसरपंचों के मानधन में वृध्दि होनी चाहिए.
– कविता विनोद डांगे, सरपंच नांदगांव पेठ
ग्रामपंचायत अंतर्गत सरपंच, उपसरपंच समेत सदस्यों को महावारी बैठक में उपस्थित रहना पडता है, इसके साथ ही सरपंचों को वर्ष के 365 दिन गांव तथा ग्रामस्थों के लिए काम करना पडता है. उस तुलना में पदाधिकारियों का मानधन काफी कम है.सदस्यों को भी मानधन देना पडता है और इसमें वृध्दि करना चाहिए.
– विनोद सोनोने, सरपंच, सासन रामपुर