‘साठेखत’ भविष्य में संपत्ति के लेन-देन का वादा करने वाला एक करार
नियम और शर्तों का पालन करना अनिवार्य
अमरावती/दि.19– संपत्ति का हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 54 के तहत साठेखत (सेल अॅग्रीमेंट फॉर ट्रान्सफर ऑफ इस्टेट) यह अचल संपत्ति की बिक्री का एक करार है. विशेष बात यह है कि, यह करार होने पर खरीददार को कोई हक, बोजा व हितसंबंध निर्माण नहीं होता. क्योंकि साठेखत में केवल किसी आय को भविष्य में हस्तांतरित करने का वचन देने वाला करार होता है. इस तरह के हस्तांतरण के लिए इसमें जो शर्ते और नियम दर्ज किए है, उनकी पूर्तता होना आवश्यक है. साठेखत के कारण कुछ विशिष्ट शर्तों की पूर्तता करने पर किसी संपत्ती खरीदी करने का अधिकार खरीददार को मिलता है. दोनो ही शर्तें और नियम पूर्ण करने के बाद उस संपत्ति का खरीदीपत्र तैयार होकर खरीददार को उस संपत्ति का पूरा अधिकार मिलता है. खरीदीखत करने वाली व्यक्ति साठेखत में दर्ज नियम और शर्ते पूर्ण नहीं कर रही है तो बिक्री करने वाले व्यक्ति को भी उस करार की शर्ते और नियम पूर्ण करने का आदेश देने की मांग कानून नुसार की जा सकती है.
* क्यों किया जाता है साठेखत?
कई बार जमीन का अथवा संपत्ति का हस्तांतरण तुरंत होना संभव नहीं होता. ऐसे समय इस व्यवहार को कानूनी स्वरूप देने के लिए साठेखत तैयार किया जाता है. यदि भूमि अधिभोगी-2 की है तो उसे जिलाधिकारी की अनुमति के बिना बेचा नहीं जा सकता, इसी प्रकार यदि सरकार है तो भूमि का हस्तांतरण पट्टे, बंधक, दान या किसी अन्य प्रकार की भूमि के माध्यम से नहीं किया जा सकता है. उसी प्रकार जमीन पर सरकार का आरक्षण होगा तो अथवा जमीन का प्रत्यक्ष नापजोख व चतु:सीमा की जानकारी नहीं होगी अथवा जमीनपर अन्य किसी का कब्जा या अतिक्रमण होगा, आदि दिक्कतें आने पर जमीन का तुरंत खरीदीखत कर हस्तांतरण होना संभव नहीं होता. ऐसे समय किया हुआ यह करार संपत्ती खरीददार के उपयोग में आता है.
* साठेखत रद्द करना संभव
साठेखत के लिए पूर्ण मुद्रांक व पंजीयन शुल्क लगता है. इसके बाद ऐसे मुद्रांक व पंजीयन शुल्क खरीदीखत को नहीं लगता. आगे जमीन का हस्तांतरण खरीदीखत द्वारा किया जाता है.
* खरीदीखत के बाद ही आगे रिकार्ड ऑफ द राइट्ट का नाम लगता है. व संपत्ति का टायटल पूर्ण होता है.
अक्सर कुछ लेन-देन बड़े होते हैं. उस स्थिति में खरीदार के पास लेनदेन का पूरा पैसा नहीं होता है. कुछ पैसे निशानी के तौर पर दिए जाते हैं और बाकी किश्तों में लेना होता है. ऐसे लेनदेन में खरीदार और विक्रेता दोनों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के लिए जमा किया जाता है. अक्सर खरीदार संपत्ति हासिल करने के लिए कर्ज लेता है. लोन पाने के लिए उस व्यक्ति के पक्ष में संपत्ति का दस्तावेज या एग्रीमेंट बनाना जरूरी होता है.
* जमा के लिए पूर्ण स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की आवश्यकता होती है. बाद में खरीदार को ऐसा स्टांप और पंजीकरण शुल्क नहीं देना पडता है. इसके अलावा भूमि का हस्तांतरण खरीद द्वारा किया जाता है.
* ‘साठे’ यह एसएटीई का अपभ्रंश
जिसे साठेखत कहा जाता है, वह सेल अॅग्रीमेंट फॉर ट्रान्सफर ऑफ इस्टेट एसएटीई है.
* अपभ्रंश होकर आगे ‘साठे’ हुआ और इसके साथ खत यह शब्द जोडकर ‘साठेखत’ प्रचलित हुआ.