अमरावती

सेव मेरिट सेव नेशन फिर मैदान में

रामार्पण सभागार में किया प्रण

* अति आरक्षण के विरुद्ध लडेंगे
* पूर्व आयएएस डॉ. घाणेकर का जोरदार भाषण
अमरावती/दि.20– सेव मेरिट सेव नेशन संगठन पुन: मैदान में आ गया है. अति आरक्षण के विरोध में 3 साल पहले काफी सक्रिय रहे और विदर्भ के अनेक भागों में आंदोलन व रैली निकालने वाले संगठन ने सोमवार शाम दीपार्चन के रामार्पण सभागार में अति आरक्षण के खिलाफ संकल्प किया तो, शहर के अनेक प्रसिद्ध चिकित्सक और प्रोफेशनल्स उपस्थित थे. सभी का जोश एक बार फिर लबालब नजर आया. जिसमें पूर्व आयएएस अधिकारी रही डॉ. वीणा घाणेकर का जोरदार वक्तव्य भी सभी को प्रभावित कर गया. डॉ. घाणेकर ने संविधान का व्यापक हवाला देकर बताया कि किस प्रकार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण संविधान की मूल भावना से ही विरुद्ध हैं. उनके आवाहन पर सभागार में मौजूद सैकडों स्त्री-पुरुषों ने अति आरक्षण के खिलाफ लडने का प्रण किया.
मंच पर सेव मेरिट सेव नेशन के जनक नागपुर के डॉ. अनिल लद्दड, संजय आंचलिया, प्रेमचंद कुकरेजा, गुरुव्दारा गुरुसिंग सभा के गुरुविंदर सिंह बेदी, सीए आर.आर. खंडेलवाल, पूज्य पंचायत दस्तूर नगर के सचिव संतोष नाथानी, किरण हाथगांवकर, डॉ. रवि खेतान, प्रा. मोहन काटे, मधूसुदन करवा विराजमान थे.
डॉ. वीणा घाणेकर ने ‘आरक्षण की जीवित कथा और व्यथा’ विषय पर विस्तृत निवेदन किया. भोपाल की संभाग आयुक्त रह चुकी डॉ. घाणेकर ने संविधान की अनेक बातों को सबके सामने रखा. अनेक चौंकाने वाले तथ्य भी प्रस्तुत किए. उन्होंने कहा कि 1995 और सन 2000 में आरक्षण संबंधित प्रावधानों में बदलाव किया गया. जिससे राज्यों को भी आरक्षण लागू करने का अधिकारी मिला. फलस्वरुप राज्यों ने आरक्षण बढा दिया. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने शासन को 50 फीसदी सामान्य श्रेणी के आरक्षण को हानी पहुंचाए बिना लागू करने के निर्देश दिए थे. वर्तमान आरक्षण 50 फीसदी से अधिक होने के कारण कई जगह रोक लगी या अतिरिक्त आरक्षण रद्द किए गए.
उन्होंने कहा कि, अति आरक्षण से लाभ की बजाए हानी होने लगी है. आरक्षण अभिशाप बनता जा रहा है. इसके कारण लोगों में दूरियां बढी है. जबकि समृद्ध, सजग राष्ट्र के लिए स्वाभिमानी नागरिक बनाने का लक्ष्य होना चाहिए. उन्होंने इस बारे में प्रण करने की आवश्यकता बताई. डॉ. घाणेकर ने कहा कि, जातिवाद ने लोगों को एक दूसरे से दूर ही किया है. मध्यप्रदेश मंत्रालय में उच्च अधिकारी रह चुकी डॉ.वीणा घाणेकर ने जातिनिहाय आयोग स्थापित करने की बजाए सीधे आर्थिक आरक्षण आयोग, किसान आयोग, गरीब वर्ग आयोग, निम्न मध्यवर्गीय आयोग बनाने की मांग कर डाली. उन्होंने कहा कि, स्वाधीनता आंदोलन में नेतृत्व बैरिस्टर की पदवी प्राप्त लोगों के हाथ में था. उन्हें कानून का अच्छा नॉलेज था. लेकिन वर्तमान सरकार ने कानून से जिनका लेना-देना नहीं, ऐसे लोग देश की कमान संभाले हैं. जिससे आरक्षण व अन्य कानूनों का मुद्दा जनविरोधी बनता जा रहा हैं.
डॉ. घाणेकर ने कहा कि, आरक्षण राजनीतिक समस्या है. उसे राजनीति से ही जवाब देना होगा. देश में पुन: भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव पैदा होना आवश्य है. हम किस जाति के हैं, यह सोच पीछे रख सबसे पहले हम देशभक्त हैं, इसी से काम करने पर सफलता मिलेगी. सेव मेरिट सेव नेशन के डॉ. लद्दड ने दावा किया कि लोग आरक्षण पर बोलने से हिचकिचाते थे. आज ओपन कैटिगिरी के लोग बेबाक हो गए हैं. घर से बाहर निकलकर आरक्षण पर बोल रहे हैं. उन्होंने समझौता न करने का प्रण लेने का अवाहन सभी से किया.
डॉ. वर्षा अग्रवाल, ने अतिथियों का परिचय दिया. संचालन डॉ. शुभांगी मुंधडा ने किया. आभार नीलेश परतानी ने माना. कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों ने अपनी राय रखी. सर्वश्री ओमप्रकाश खेमचंदानी, विवेक भारे, मनीष खंडेलवाल, गोपाल लद्दड, जयप्रकाश पारेख, विनोद फाफट, कोषाध्यक्ष जगदीश घुंडियाल, ऑडिटर अनिल अडवानी, शरणपाल सिंघ अरोरा, कमल सारडा, कमलकिशोर राठी, अनीत पानट, दत्तात्रेय पानट, घनश्याम नावंदर, सुरेश जैन, सचिन वाठोडकर, विद्या वाठोलकर, बोदुलाल सोनी, भरत देवडिया, डॉ. अविनाश चौधरी, डॉ. ऋषिकेश सावदेकर, मनोज राठी, हरिश खत्री, राजेश मित्तल पिंकी, संजय नागंलिया, चंद्रशेखर पावडे, सपना सानप, संदीप बुब, जॉनी जयसिंघानी, विजय अग्रवाल, डॉ. किरण वाठोडकर, कौतुभ रांगडे, जयंत गोरे, डॉ. मनोज मुंधडा, अशोक गोखले, मिलिंद सरदेशपांडे, माधवी सरदेशपांडे, स्वाती परांजपे, सुरेश मेठी खंडेलवाल, माधुरी कानेटकर, सीए गिरीधर राठी, डॉ. मशानकर, धनश्री भागवत, विनोद मराठे, जयेश तपस्वी, प्रथमेश तपस्वी, संगीता हाथगांवकर, परसराम अग्रवाल, अनघा काले, रश्मी नावंदर आदि अनेक ओपन कैटिगिरी के नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे.

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