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गांगरखेड़ा की मासूम पर डॉक्टर का सफल उपचार
परतवाड़ा/मेलघाट/दि.9 – आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए संसाधन की कमी से जूझते मेलघाट आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स और सहयोगी अपने स्वयं के बलबूते पर प्रयत्न और दवादारू करके मरीजों को जीवनदान देने का काम कर रहे है.इसकी प्रचिती अनेक मर्तबा आदिवासी अंचल में देखने को मिली है.
वन अभ्यारण्य के अतिदुर्गम गांगरखेड़ा ग्राम की एक 19 माह की नन्ही बालिका को जहरीले सांप के काटने के बाद अथक परिश्रम और सेवा सुश्रुषा करके डॉक्टर व सहयोगियो ने बच्ची के प्राण बचा लिए.फिलहाल बालिका खतरे से बाहर है और उसे घर ले जाने की इजाजत भी दे दी गई है.काटकुम्भ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ आदित्य पाटिल ने उक्त जानकारी दी है.
26 जून की शाम में घर के बाहर खेलते समय, इस अबोध बालिका को सांप ने काट लिया था.घर के पालकों ने ‘भूमि ‘ को भुमका और तांत्रिक वगैराह के पास न ले जाते हुए सीधे अस्पताल ले जाना जरूरी समझा.परिजनों ने उसे तत्काल काटकुंभ पीएससी में भर्ती कराया. उस वक्त दवाखाने में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए डॉ पाटिल उपस्थित थे.क्षणभर का विलंब न करते हुए डॉक्टर ने जांच पड़ताल कर चिकित्सा नियमो के तहत बच्ची का औषधोपचार शुरू किया.इलाज के कुछ घंटों बाद भूमि को होश आया.जब भूमि को दवाखाने में भर्ती करवाया गया था टीब उसकी हालत चिंताजनक थी.वो मूर्छित अवस्था मे दवाखाने में पहुंची थी.लेकिन परिजनों ने समय पर योग्य निर्णय लेकर उसे तुरंत दवाखाने में पहुंचाया और डॉक्टर भी उसका इलाज कर पाने में सफल रहे.इस वजह से भूमि को नया जीवन मिल पाया है.अब बालिका बाधा से दूर है,उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा.परिजन भूमि को लेकर घर जा चुके है.भूमि के प्राण बचाने के लिए डॉ आदित्य पाटिल, स्वास्थ्य सेविका योगिनी तैलंग,प्रीति इंगळे आदि ने अथक प्रयास किये.डॉ आदित्य पाटिल ने बताया कि सबसे अच्छी बात यह रही कि बच्ची के घर के लोग उसे सीधे दवाखाने लेकर आये.इस कारण इलाज करना सम्भव हो पाया. अब उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया है.मेलघाट के लोग तांत्रिक-मांत्रिक के पास न जाकर यदि सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर आते है तो असंख्य लोगो का योग्य उपचार कर उन्हें जिंदगी दी जा सकती है.