अमरावती

कोलाड नदी के बाढ में फंसे 8 किसानों को बचाया

दिघी कोल्हे व एकपाडा में बारिश का कहर

  • रेस्क्यू दल ने सुरक्षित बाहर निकाला

अमरावती/प्रतिनिधि दि.९ – पिछले दो दिनों से जिले की चांदूर रेलवे तहसील में मुसलाधार बारिश शुरु है. जिससे कल इस तहसील की कोलाड नदी को महाबाढ आयी थी. इसी दौरान समीप के रायगड प्रकल्प का पानी भी ओवरफ्लो होकर लोगों के खेतों में घुसा था. इसी दौरान खेत में कल दोपहर से 8 किसान फंसे हुए थे. वे खेत के सामने से कोलाड नदी बहने के कारण और नदी का पात्र काफी बडा रहने और पानी को काफी प्रवाह रहने के कारण वे खेत से बाहर नहीं आ पा रहे थे. खबर मिलते ही रेस्क्यू दल कल दोपहर 2 बजे इस गांव में जा पहुंचा. इस रेस्क्यू दल ने नदी पार करते हुए खेत में फंसे सभी 8 किसानों को बाहर निकाला. इस बाढ में फंसे किसानों में शेख आरिफ (पलसखेड), अनिकेत वानखडे (पलसखेड), शरद डुकरे (एकपाडा), दिनेश कोल्हे, दिलीप कोल्हे, विलासराव कोल्हे (दिघी), आदेश काले व जयसिंग गेडाम (सोनोरा निवासी) आदि का समावेश था. रेस्क्यू दल में शामिल तैराकों ने रस्सी के सहारे नदी का प्रवाह पार कर नदी के दूसरे छोर पर यह रस्सी बांधी और प्रति दो जवानों के बीच एक व्यक्ति इस तरह आठ लोगों की जान बचाई. यह सभी किसान कल सुबह से भुखे, प्यासे थे. इस कारण उनके लिए बिस्कीट, केले व पानी की व्यवस्था भी की गई. इस रेस्क्यू टीम में देवानंद भुजाडे, कौस्तुभ वैद्य, भूषण वैद्य, गजानन वाडेकर, हिरालाल पवार, पंकज येवले, अजय आसोले, महेश मांदाले, राजेंद्र शहाकार, चालक राजू देवरे व प्रमोद सरवरे आदि का समावेश था.

  • एकपाडा का विश्वेश्वर मंदिर पानी में

पुजारी व दो भक्तों ने छत पर बिताई रात
चांदूर रेलवे से कुछ ही दूरी पर स्थित कोलाड नदी के किनारे विश्वेश्वर महाराज का त्रिवेणी संगम गांव एकपाडा है. रेस्क्यू दल को खबर मिली थी की एकपाडा में 3 से 4 लोग मंदिर में फंसे हुए हैं. अतिवृष्टि के कारण कोलाड नदी को और रायगड नदी को बाढ आने से यह विश्वेश्वर मंदिर बाढ के पानी से चारों ओर से घिर गया था. मंदिर के पुजारी सहित दो लोग मंदिर के सभागृह के स्लैब पर अपनी जान बचाकर आश्रय ले रहे थे. रात के दौरान बारिश का पानी मंदिर के सभागृह में पहुंच गया था. इन तीनों ने पूरी रात मंदिर के स्लैब पर बिताकर निकाली. तब रेस्क्यू टीम ने गांववासियों की मदद से मंदिर में फंसे पुजारी समेत अन्य दो यानी हरिभाऊ गोयत्रे व विनोद कालमेघ व गणेश कालमेघ को मंदिर से सही सलामत बाहर निकाला.

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