अमरावतीमहाराष्ट्र

स्किझोफ्रेनिया के मरीजों को भावनात्मक आधार की जरुरत

इर्विन अस्पताल में प्रतिमाह होता है 200 मरीजों का समुपदेशन

* मानसोपचार विशेषज्ञों से मुलाकात होती है जरुरी
अमरावती/दि.24– इंसानों को होने वाली मानसिक बीमारियों में स्किझोफ्रेनिया अपने आप में सबसे गंभीर मानसिक बीमारी है. जिसमें मरीज की मानसिक स्थिति हमेशा दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजीत होती है और वह संभ्रमावस्था का शिकार रहता है. ऐसे मरीजों की ओर अनदेखी न करते हुए उन्हें भावनात्मक आधार देना जरुरी होता है. औषधोपचार व समूपदेशन का योग्य संतुलन साधे जाने पर इस बीमारी से स्किझोफ्रेनिया का मरीज मुक्त हो सकता है. स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल में प्रतिमाह स्किझोफ्रेनिया से पीडित 200 मरीज समुपदेशन के लिए आते है, ऐसी जानकारी अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई है.

अपने आसपास कोई है, अपने खिलाफ कोई षडयंत्र रचा जा रहा है. कोई अपने को झूठा साबित करने का प्रयास कर रहा है, ऐसा स्किझोफ्रेनिया के मरीजों को सतत आभास होता रहता है. जिसकी वजह से उनका चिडचिडापण बढ जाता है. ख्यातनाम मानसोपचार विशेषज्ञ डॉ. ब्ल्यूर ने 24 मई 2008 को स्किझोफ्रेनिया विषय पर सर्वप्रथम जानकारी प्रस्तुत की थी. तब से प्रतिवर्ष यह दिन मनाया जाता है.

* क्या है इलाज पद्धति?
स्किझोफ्रेनिया के लक्षणों की सूची मानसोपचार विशेषज्ञों के पास होती है. जिसके चलते मरीजों के लक्षणानुसार उनका समुपदेशन किया जाता है. साथ ही औषधोपचार पद्धति से भी स्किझोफ्रेनिया के प्रभाव को कम किया जाता है. वहीं कुछ मरीजों को शॉक ट्रिटमेंट दिये जाने की बात भी विशेषज्ञों द्वारा कहीं जाती है.

* क्या है स्किझोफ्रेनिया?
स्किझोफ्रेनिया का पुरुषों में 15 से 25 वर्ष तथा स्त्रियों में 25 से 35 वर्ष आयु गुट के अनुसार प्रमाण सर्वाधिक रहता है. साथ ही वयोवृद्धों में भी यह बीमारी पायी जाती है. इस बीमारी में मरीज को हमेशा ही अपने आसपास किसी के रहने तथा अपने खिलाफ कोई षडयंत्र जारी रहने का आभास होता है.

* क्या है प्रमुख लक्षण?
मन में हमेशा भ्रम, शंका या संदेह बना रहना, हमेशा ही कोई ना कोई आभास होते रहना, भाषा व संवाद में गडबडी होना, ध्यान केंद्रीत नहीं होना, अपने ही आंतरीक विश्व में रहना, नींद नहीं लगना, अजीबोगरीब आभास होना, अकेलापन बढना व चिडचिडापन बढना आदि को स्किझोफ्रेनिया के लक्षण कहा जा सकता है.

स्किझोफ्रेनिया की बीमारी में मरीजों को अजीबोगरीब आभास होते है. इस बीमारी के लक्षण जितनी जल्दी ध्यान में आये, उतनी जल्दी मरीजों का इलाज करना आसान होता है. समूपदेशन व औषधोपचार से स्किझोफ्रेनिया का मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है. ऐसे में स्किझोफ्रेनिया के लक्षण दिखाई देते ही मानसोपचार विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद जरुरी होता है.
– डॉ. अमोल गुल्हाने,
मानसोपचार विशेषज्ञ,
जिला सामान्य अस्पताल,
अमरावती.

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