अमरावती

अभिमत विद्यापीठों में छात्रवृत्ति का लाभ नहीं

केंद्र की योजना को राज्य सरकार ने दिखाया ठेंगा

  • नामांकित संस्थाओं की शिक्षा से विद्यार्थी वंचित

अमरावती प्रतिनिधि/दि.५ – निजी अभिमत विद्यापीठों में उच्च शिक्षा हासिल करनेवालों विद्यार्थियों को भी भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिया जाये. ऐसे संशोधित मार्गदर्शक निर्देश केंद्र सरकार ने वर्ष २०१८ में जारी किये थे. अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को देश के नामांकित विद्यापीठों में उच्च शिक्षा के अवसर प्राप्त हो, इस बात के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा बनायी गयी इस योजना को महाराष्ट्र सरकार द्वारा ठेंगा दिखा दिया गया है और दो वर्षों से इस संदर्भ में शासनादेश जारी नहीं होने की वजह से केंद्र के निर्देशों के बावजूद यह योजना अब तक महाराष्ट्र में लागू नहीं हुई है. बता दें कि, उच्च शिक्षा लेनेवाले पिछडा संवर्ग के विद्यार्थियों को केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग की ओर से भारत सरकार छात्रवृत्ति दी जाती है. यह योजना यद्यपि केंद्र सरकार की है, लेकिन इस पर अमल की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है. महाराष्ट्र में भी सिम्बॉसीस डी. वाय. पाटिल व भारती विद्यापीठ जैसे अनेक निजी अभिमत विद्यापीठ और शैक्षणिक संस्थान है. किन्तु इन शिक्षा संस्थाओं में पढाई करनेवाले विद्यार्थियों को सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलता है. जिसकी वजह से सामान्य परिवारों के बच्चे इन शिक्षा संस्थाओं में प्रवेश नहीं ले सकते है.

इस बात के मद्दनेजर केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग ने इन शिक्षा संस्थाओं में पढनेवाले एससी संवर्ग के विद्यार्थियों को भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना का लाभ देने हेतु वर्ष २०१८ में संशोधित मार्गदर्शक निर्देश जारी किये. जिस पर राज्य सरकार द्वारा शासनादेश जारी करना अपेक्षित था. लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा ऐसा कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया. जिसकी वजह से समाजकल्याण विभाग के अधिकारी राज्य में इस फैसले का क्रियान्वयन नहीं कर पा रहे और निजी अभिमत विद्यापीठों में पढाई करनेवाले विद्यार्थी अब भी इस छात्रवृत्ति योजना से वंचित है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इस छात्रवृत्ति के लिए लगनेवाली निधी केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है. लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार द्वारा अभिमत विद्यापीठों में छात्रवृत्ति लागू करने की ओर अनदेखी की जा रही है. बता दें कि, यदि प्रारंभ में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को यह योजना लागू की जाती है, तो धीरे-धीरे बाद में अन्य प्रवर्ग के विद्यार्थियों को भी इस छात्रवृत्ति का लाभ मिल सकता है.

इस संदर्भ में कुछ समय पूर्व बापू थोरात नामक व्यक्ति ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए न्यूनतम आय की सीमा में रहनेवाले विद्यार्थियोें को छात्रवृत्ति अथवा शुल्क माफी का लाभ देने की मांग की थी. जिस पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन इसके खिलाफ सामाजिक न्याय विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय में गूहार लगायी थी. पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने भी मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले को कायम रखा था. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद राज्य सरकार इस योजना को राज्य में लागू नहीं कर रही है. जिसकी वजह से पिछडावर्ग के सैंकडों विद्यार्थी नामांकित शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त करने से वंचित है.

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