अमरावती

डेढ वर्ष से एक ही जगह पर खडी है स्कूल वैन

उदरनिर्वाह के लिए चालक-मालक कर रहे फूटकर व्यवसाय

अमरावती/दि.15 – कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए विगत डेढ वर्ष से सभी सरकारी व निजी शालाएं बंद है. ऐसे में बच्चों को स्कुल लाने-ले जाने का काम करनेवाली स्कूल वैन व स्कूल बस वाहन भी पिछले डेढ वर्ष से एक ही स्थान पर खडे है और कोई कामकाज नहीं रहने के चलते अपना उदरनिर्वाह करने हेतु स्कूल बस चालक व मालिकों द्वारा छोटे-मोटे फूटकर व्यवसाय किये जा रहे है. जिसके तहत कोई सडक किनारे खडे रहकर सब्जी बेच रहा है, तो कोई हाथठेला चलाते हुए अन्य किसी तरह का छोटा-मोटा काम कर रहा है. साथ ही हर कोई स्कूलों के शुरू होने का इंतजार कर रहा है, ताकि एक बार फिर वे स्कूल वैन चलाते हुए बच्चों को लाने-ले जाने का काम करे और पहले की तरह उनका रोजगार चले.
विगत डेढ वर्ष से चल रहे कोविड संक्रमण का असर अब धीरे-धीरे कम हो गया है, लेकिन चूंकि अब भी संक्रमण की तीसरी लहर के आने का अंदेशा है. जिसे देखते हुए जारी शैक्षणिक सत्र में भी स्कूल व कॉलेज खोले नहीं गये है. ऐसे में स्कूल बस चालक व मालिकों के लिए अब भी लॉकडाउन चल रहा है और वे विगत डेढ वर्ष से बेरोजगारी का सामना कर रहे है. उल्लेखनीय है कि, इन स्कूल वैन चालक व मालिकों में कई सुशिक्षित बेरोजगार युवाओं का समावेश है. जिन्होंने स्नातक स्तर की शिक्षा पूर्ण की है, लेकिन पढाई-लिखाई पूरी होने के बाद कहीं कोई नौकरी नहीं मिलने के चलते कई युवाओं ने बैंक व निजी फाईनान्स कंपनियों से कर्ज लेते हुए स्कूल बस व स्कूल वैन चलाने हेतु वाहन खरीदे. किंतु कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए लागू किये गये लॉकडाउन की वजह से स्कूलों को बंद किये जाते ही इन युवाओं का व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प हो गया और वे आर्थिक संकट में फंस गये है. बैंक का कर्ज कैसे अदा किया जाये और घर खर्च कैसे चलाया जाये आदि सवालों से ये सभी युवा इस समय जूझ रहे है और चूंकि एक साल बीत जाने के बावजूद भी कामकाज पहले की तरह पटरी पर नहीं लौट पाया है. ऐसे में कई स्कूल बस व वैन मालिकों व चालकों ने इलेक्ट्रिशियन व मिस्त्री काम करने के साथ ही साग-सब्जी व अंडे-आमलेट बिक्री का काम हाथगाडी लगाकर करना शुरू किया है. इन कामों के जरिये होनेवाली कमाई से वे जैसे-तैसे अपने परिवार की जरूरत पूरी कर रहे है. वहीं दूसरी ओर विगत डेढ वर्ष से एक ही स्थान पर खडे रहने की वजह से स्कूल वैन व बस के इंजिन में काम निकलने लगा है और एक ही जगह पर खडे रहने के चलते इन वाहनों के टायर-ट्यूब भी खराब होने लगे है.
बता दें कि, अमरावती शहर सहित जिले में करीब 750 के आसपास स्कूल बस व वैन है. जिनके जरिये 5 हजार से अधिक विद्यार्थी अपने घरों से स्कूल तक आना-जाना करते है. किंतु शालाएं बंद रहने की वजह इन वाहन चालकों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड रहा है. ऐसे में मांग की जा रही है कि, शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में अपनी सेवाएं देनेवाले स्कूल वैन चालकों व मालिकों के बारे में भी सरकार द्वारा विचार किया जाये.

– जिले में कुल शालाएं – 2,885
– जिले में कुल स्कूल बस व वैन – 750

ऐसे होता है स्कूली वाहनों का प्रयोग

– स्कूल वैन व बस के जरिये केवल विद्यार्थियों को लाने-ले जाने की अनुमति आरटीओ कार्यालय द्वारा दी जाती है. इन वाहनों का अन्य प्रकार के यात्री परिवहन अथवा साहित्य को लाने-ले जाने के काम में उपयोग नहीं किया जा सकता, अन्यथा ऐसा करने पर संबंधित वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
– स्कूल वैन का अन्य कामों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता, ऐसा प्रादेशिक परिवहन विभाग का नियम है. ऐसे में केवल विद्यार्थियों को ही इन वाहनों के जरिये लाया-ले जाया जा सकता है. जिसके चलते विगत एक वर्ष से भी स्कूल वैन अपनी-अपनी जगह पर ही खडी है. हालांकि किसी गरीब एवं जरूरतमंद मरीज के लिए वाहन उपलब्ध नहीं होने पर स्कूल वैन का प्रयोग किया जा सकता है.
– विगत डेढ वर्ष से सभी स्कूल वैन व बस एक ही स्थान पर खडे है. ऐसे में लंबे समय तक एक ही स्थान पर खडे रहने और उपयोग में नहीं लाये जाने के चलते इन वाहनों में तकनीकी खराबी आने की भी संभावना है. स्कूल शुरू होने के बाद अपने वाहनों को चुस्त-दुरूस्त व चकाचक करने के लिए भी वाहन मालिकों को पैसों का इंतजाम करना पडेगा.

  • विगत 17 माह से स्कूलें बंद रहने की वजह से सभी स्कूल वैन व बस भी अपनी-अपनी जगह पर खडी है और यह व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प पडा हुआ है. ऐसे में स्कूल बस वाहन मालिकों व चालकों ने साग-सब्जी व फल बिक्री सहित अलग-अलग छोटे-मोटे काम-धंधे करना शुरू किया है, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके. इस दौरान हमें सरकार की ओर से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली.
    – बंडू कथलकर
    अध्यक्ष, शालेय विद्यार्थी वाहतुक संघ

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