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गर्मी के मौसम में पूरा समय चलेंगी शालाएं

शनिवार व रविवार को भी शालाएं खुली रहेंगी

* अप्रैल में परीक्षा व मई माह में परिणाम
* राज्य के शालेय शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश
* कोविड काल में हुए शैक्षणिक नुकसान को पूर्ण करने लिया गया निर्णय
अमरावती/दि.25– विगत दो वर्षों से कोविड संक्रमण के चलते पढाई-लिखाई का काम बुरी तरह से अस्त-व्यस्त था और कभी ऑनलाईन व कभी ऑफलाईन पढाई का दौर चल रहा था. जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. इसे पूरा करने हेतु अब राज्य के शालेय शिक्षा विभाग ने पूरा समय शालाएं शुरू रखने का आदेश जारी किया है. साथ ही अप्रैल माह में परीक्षा लेने और मई माह में परीक्षा परिणाम घोषित करने के संदर्भ में भी निर्देश जारी किये गये है. किंतु इस समय पड रही तेज धूप व भीषण गर्मी के दौरान पूरा समय शालाओं को शुरू रखने के संदर्भ में लिये गये निर्णय की वजह से शिक्षकों में काफी हद तक असंतोष व्याप्त है और विद्यार्थियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस फैसले का काफी हद तक विरोध भी किया जा रहा है.
बता दें कि, राज्य में विगत दो वर्षों से कोविड की संक्रामक महामारी का कहर चल रहा था. ऐसे में विगत शैक्षणिक सत्र के दौरान शालाएं पूरे सालभर बंद रही. वही जारी शैक्षणिक सत्र के दौरान शालाएं कभी बंद व कभी शुरू रही. जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों की पढाई शत-प्रतिशत पूर्ण नहीं हो सकी और विद्यार्थियों का बडे पैमाने पर शैक्षणिक नुकसान हुआ. ऐसे में इस नुकसान को पूरा करने तथा विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को शत-प्रतिशत पूर्ण करने के लिए सरकार ने नये दिशा-निर्देश जारी किये है. जिसके मुताबिक अब कामकाजी दिनों में शालाएं पहले की तरह दो सत्रों में पूरा समय शुरू रहेगी. साथ ही शनिवार व रविवार को सप्ताहांत एवं साप्ताहिक अवकाशवाले दिन भी शालाओं को शुरू रखना होगा.
उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष मार्च माह से केवल सुबह के सत्र में शालाएं चलाने की अनुमति दी जाती है, क्योंकि मार्च माह से तेज धूप और गर्मी का सिलसिला शुरू हो जाता है. किंतु जारी शैक्षणिक सत्र में मार्च से अप्रैल तक केवल सुबह के सत्र में शाला शुरू रखने की बजाय कक्षा 1 ली से 9 वीं व कक्षा 11 वीं की शालाओं को पहले की तरह दोनों सत्रों में पूरा समय शुरू रखने के निर्देश दिये गये है. विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, अप्रैल माह के अंत तक शनिवार को भी पूरा समय शालाएं शुरू रखनी होगी. वही रविवार को शालाएं ऐच्छिक तौर पर शुरू रखी जा सकेगी. अमूमन कक्षा 1 ली से 9 वीं व कक्षा 11 वीं की परीक्षाएं मार्च माह के अंत में ली जाती है. किंतु इस वर्ष ये परीक्षाएं अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह में लेने और मई माह में परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने का निर्णय लिया गया. साथ ही यह भी कहा गया है कि, जिन स्थानों पर सुबह के सत्र में ही शालाएं चलाना आवश्यक है, वहां पर सभी तासिकाएं पूर्णकालीक शालाओं की तरह ली जाये. साथ ही इस समय शालाओं में विद्यार्थियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति को भी अनुमति दी गई है.
किंतु सरकार की ओर से जारी निर्देशों को लेकर इस समय शिक्षकों का ‘पारा’ उंचा उठ गया है. शिक्षकों का मानना है कि, विदर्भ क्षेत्र में गर्मी के मौसम दौरान तेज धूप व भीषण गर्मी पडती है. ऐसे में पूरा समय शालाओं को शुरू रखना संभव नहीं है. साथ ही सभी जगहों की शालाओं में गर्मी से बचने हेतु हर तरह की सुविधा भी उपलब्ध नहीं रहती. ऐसे में पूरा समय शालाएं शुरू रखने में काफी समस्याएं व दिक्कतें पेश आयेगी.
* मौसम विभाग की चेतावनी को भूला शिक्षा विभाग
इस बार विदर्भ ही नहीं, बल्कि समूचे राज्य में भीषण गर्मी पडने का अंदेशा मौसम विभाग द्वारा हाल ही में जताया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी इसे अनदेखा करते हुए राज्य सरकार ने पूरे समय तक शालाओं को खुला रखने को लेकर निर्देश जारी किये है. यह अपने आप में बेहद आश्चर्य का विषय है. कई स्थानों पर शालाओं में छात्रों को गर्मी व लू के थपेडों से बचाने हेतु आवश्यक सुविधाएं नहीं है. ऐसे में इस फैसले पर सरकार ने पुनर्विचार करना चाहिए.
-ललीत चौधरी
जिलाध्यक्ष, मुख्याध्यापक संघ

* पूरा समय शालाएं चलाना असंभव
विदर्भ क्षेत्र में काफी भीषण गर्मी पडती है. यह बात सभी को पता है, तत्कालीन शिक्षा मंत्री वसंत पुरके द्वारा इस संदर्भ में लिये गये फैसले के खिलाफ अभिभावकों व शिक्षकों के संगठन हाईकोर्ट गये थे और उस समय हाईकोर्ट में मौसम विभाग की ओर विदर्भ के तापमान को लेकर आंकडे प्रस्तुत किये गये थे. यहीं वजह है कि, समूचे महाराष्ट्र में केवल विदर्भ क्षेत्र में ही शालाओं को 15 जून की बजाय 16 जून से शुरू किया जाता है. विदर्भ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों की कई शालाओं में मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है और कई जिला परिषद शालाओं में विद्युत आपूर्ति ही उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा कई शालाओं में ठीक ढंग से छप्पर तक उपलब्ध नहीं है. ऐसे में गरमी के मौसम के दौरान पूरा समय शालाओं व कक्षाओं को शुरू रखना असंभव है. हालांकि केवल सुबह के सत्र में सभी तासिकाओं को पूरी तरह चलाया जा सकता है.
– राजेश सावरकर
राज्य प्रतिनिधि, महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिती.

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