अमरावती

कम पटसंख्या वाली शालाओं को जोडा जाएगा क्लस्टर शाला से

जिले में कम पटसंख्या वाली 149 शालाएं है

विद्यार्थी एकत्रिकरण की योजना पर किया जा रहा काम
अमरावती/दि.20 राज्य सहित जिले में कम पटसंख्या वाली शालाओं में विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता तथा सर्वांगिण विकास मेें रहने वाली कमी को ध्यान में रखते हुए शालेय शिक्षा विभाग द्बारा समूचे राज्य में ऐसी शालाओं के विद्यार्थियों हेतु क्लस्टर शाला का प्रयोग चलाया जा रहा है. जिसके तहत कम पटसंख्या वाली शालाओं के विद्यार्थियों को आसपास स्थित अधिक पटसंख्या वाली शाला के साथ जोड दिया जाएगा.
बता दें कि, समूचे राज्य में 20 से कम पटसंख्या रहने वाली 4 हजार 895 शालाएं है. जहां पर 8236 शिक्षक कार्यरत है और करीब 50 हजार विद्यार्थी प्रवेशित है. 20 से कम पटसंख्या रहने वाली शालाओं की संख्या अमरावती जिले में 149 है. यद्यपि प्रत्येक बच्चे के पढाई की जबाबदारी सरकार पर होती है. परंतु कम पटसंख्या की वजह से विद्यार्थी का गुणवत्ता विकास करने और उनके व्यक्तित्व को आकार देने में काफी दिक्कते आती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कम पटसंख्या वाली शालाओं के विद्यार्थियों को अधिक पटसंख्या वाले शालाओं में डालने पर विचार किया जा रहा है. विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले पुणे जिले में पानशेत के पास ऐसा पथदर्शी प्रयोग किया गया है. जो पूरी तरह से यशस्वी भी हुआ है. जिसके चलते नई शिक्षा नीति में इस प्रयोग को समूचे राज्य में अमल में लाए जाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. हालांकि अब तक इसे लेकर शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षाधिकारी के नाम कोई नामदर्शक निर्देश व सुझाव जारी नहीं किए गए है. ऐसे में शिक्षा विभाग द्बारा आवश्यक निर्देश मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है.
* क्लस्टर शाला यानि क्या?
कई शालाओं के विद्यार्थी को एकत्रित लाने वाली एक शाला यानि क्लस्टर शाला कम पटसंख्या रहने वाली शालाओं के आसपास कम दूरी पर रहने वाली किसी एक मध्यवर्ती शाला का चयन करते हुए उस शाला में आसपास के क्षेत्रों की शालाओं से विद्यार्थियों हेतु शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है. इसके लिए संबंधित शालाओं के विद्यार्थियों को उनके गांव से क्लस्टर शाला में आना होता है. क्लस्टर शाला तक पहुंचने में विद्यार्थियों को किसी तरह की कोई दिक्कत न आए. इस बात के मद्देनजर उनकी यात्रा का खर्च भी सरकार द्बारा करने के पर्याय पर विचार किया जा रहा है. साथ ही इस प्रक्रिया में कम पटसंख्या वाली शालाओं में शिक्षकों को किसी तरह की कोई दिक्कत न

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