अंधश्रद्धा को दूर करने वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरुरी
अंनिस की प्रतिक्षा दापुरकर का कथन
* आष्टी में हुआ कार्यकर्ता संवाद व प्रशिक्षण शिविर
आष्टी शहीद/दि.17 – इन दिनों अंधश्रद्धाके पारंपारिक व आधुनिक प्रकार पैदा हो रहे है. जिसके चलते अंधश्रद्धा निर्मूलन का काम आज भी बेहद चुनौतीपूर्ण है. ऐसे में समाज को अधिकाधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण देने पर ही हर तरह की अंधश्रद्धा से मुक्त होने में मदद मिलेगी. इस आशय का प्रतिपादन अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की शाखा कार्याध्यक्ष प्रतिक्षा दापुरकर द्वारा किया गया.
महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की आष्टी शाखा द्वारा एक दिवसीय कार्यकर्ता संवाद व प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था. जिसमें अंनिस के पदाधिकारियों ने अंधश्रद्धा निर्मूलन के काम में शामिल होने के इच्छूक युवाओं का मार्गदर्शन करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण भी दिया.
इस समय अंनिस की वर्धा जिला प्रशिक्षण विभाग कार्यवाह डॉ. माधुरी झाडे ने बताया कि, पुरानी पारंपारिक अंधश्रद्धा तो समाज में पहले से है. लेकिन इन दिनों अत्याधुनिक स्वरुप की अंधश्रद्धाएं भी अपनी जडे जमा रही है, ऐसे में अंधश्रद्धा निर्मूलन हेतु समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिये जाने की जरुरत है, ताकि ढंग से विचार कर रहे. इसके साथ ही अंनिस के पदाधिकारी हरिश पेठकर ने संगठन की कार्यपद्धति बताने के साथ ही अंधश्रद्धा निर्मूलन के कामोें की पंचसूत्री से भी उपस्थितों को परिचित कराया.