अमरावतीमहाराष्ट्र

विदर्भ व मराठवाडा में दुग्ध व्यवसाय प्रकल्प का दायरा बढा

19 जिलों में योजना के दूसरे चरण पर होगा अमल

* प्रकल्प को पूरा करने आगामी 3 वर्षों का समय
अमरावती/दि.17– विदर्भ मराठवाडा में दुग्ध विकास प्रकल्प की व्याप्ति को बढाया गया है. इससे पहले 11 जिलों हेतु अमल में लाये जा रहे इस प्रकल्प पर अब राज्य के 19 जिलों में अमल किया जाएगा. जिसके लिए आगामी 3 वर्ष की कालावधि तय की गई है. इस प्रकल्प के अंतर्गत विविध 9 घटकों पर 348.42 करोड रुपए खर्च किये जाने है. जिसमें लाभार्थियों के 179.96 करोड रुपए तथा राज्य सरकार के 149.26 करोड रुपए का हिस्सा रहेगा. इससे संबंधित सरकारी निर्णय राज्य के पशु संवर्धन व दुग्ध व्यवसाय विभाग द्वारा 16 सितंबर को जारी किया गया.
बता दें कि, राज्य में कृषि एवं कृषि पूरक व्यवसायों को गतिमान करने की जरुरत है. कृषि पूरक व्यवसायों में दुग्ध व्यवसाय का विशेष महत्व होता है. दूध उम्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र छठवे स्थान पर है, ऐसे में राज्य में दूध के उत्पादन को बढाये जाने की जरुरत है. राज्य के पश्चिम व उत्तर महाराष्ट्र में दुग्ध व्यवसाय प्रगती पर है. परंतु विदर्भ व मराठवाडा इस मामले में पीछे है. इसके अलावा विदर्भ व मराठवाडा में कम बारिश की वजह से खेती किसानी से नियमित व शाश्वत आय भी नहीं होगी. जिसके चलते विदर्भ मराठवाडा क्षेत्र में किसान आत्महत्या का प्रमाण अधिक है. ऐसे में किसानों को अतिरिक्त आय के साधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता प्रमुख रुप से महसूस होती है. इस बात के मद्देनजर विदर्भ व मराठवाडा के 11 जिलों में सन 2016 से 2022 की कालावधि के दौरान दुग्ध विकास प्रकल्प का पहला चरण अमल में लाया गया था. वहीं अब विदर्भ व मराठवाडा के सभी 19 जिलों में दुध उत्पादन को बढाने हेतु दुग्ध विकास प्रकल्प के दूसरे चरण पर अमल करने का निर्णय लिया गया है. जिसके तहत इन सभी 19 जिलों में वर्ष 2024-25 से वर्ष 2026-27 इन तीन वर्षों की कालावधि के दौरान इस प्रकल्प को अमल में लाया जाएगा.
इस प्रकल्प में विविध 9 घटक व भौतिक उद्दिष्ट शामिल रहेंगे. प्रकल्प अंतर्गत गाय व भैसों में पारंपारिक पद्धति, लिंग वर्गीकृत किये गये गोठी में रेतमात्रा का प्रयोग कर कृत्रिम रेतन की सुविधा, भ्रूण प्रत्यारोपण के जरिए दुधारु जानवरों की संख्या बढाना, चराई क्षेत्र विकास कार्यक्रम, मवेशियों की आहार पद्धति में सुधार, गांव स्तर पर पशु आरोग्य सेवा, उच्च दूध उत्पादन क्षमता वाली गाय व भैसों का वितरण एवं रोजगार निर्मिति आदि उद्देश्य तय किये गये.

* 13,400 दुधारु जानवरों का वितरण
इस प्रकल्प अंतर्गत उच्च दूध उत्पादन क्षमता रहने वाली दुधारु गाय व भैसों का वितरण किया जाएगा. इसके तहत विदर्भ व मराठवाडा के 19 जिलों में 3 वर्ष की कालावधि के दौरान 13 हजार 400 दुधारु गाय व भैसे वितरीत की जाएगी. प्रत्येक लाभार्थी को इस प्रकल्प की कालावधि के दौरान रोजाना कम से कम 8 से 10 लीटर दूध उत्पादन की क्षमता रहने वाली एक गाय या भैस का वितरण किया जाएगा.

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