अमरावती-/दि.24 स्वास्थ्य विभाग को संक्रामक बीमारियों के साथ शहर और ग्रामीण इलाकों के विभिन्न परिसरों में होने वाले बिच्छू दंश, श्वान दंश और सर्प दंश के मरीजों पर समय पर उपचार कर मरीजों की जान बचानी पडती है. जिले में पिछले सात माह में 290 नागरिकों को बिच्छू काटने की घटना घटित हुई है. इसमें एक भी मरीज की मृत्यु न होने की जानकारी जिला अस्पताल प्रशासन से मिली है. जबकि 844 अन्य दंश होने की बात दर्ज है.
अप्रैल, मई के बाद मानसून के दिनों में और नवंबर माह में बिच्छू काटने की घटना का प्रमाण सर्वाधिक रहता है. ग्रामीण इलाकों में विशेषत: अप्रैल व मई माह में उष्णता के कारण रात के समय बिच्छू बाहर निकलते है और शीतकाल में अनेक कबाड जहां पडे रहते है वहां बिच्छू छिपे बैठे रहते है. इस कारण इस अवधि में बिच्छू दंश का प्रमाण बढता है तथा बारिश के दिनों में भी अनेक कीटकजन्य जीव बाहर आते है. इस कारण घर काम और खेती के काम करते समय अनेक बार बिच्छू कारटे के प्रमाण अधिक रहता है. जिले के जिला अस्पताल, पांच उपजिला अस्पताल और 9 ग्रामीण अस्पताल में गत सात माह से बिच्छू दंश के करीब 290 मरीज दर्ज हुए हैं. इसमें सबसे अधिक ग्रामीण अस्पताल के मरीज है. इस दंश पर स्वास्थ्य विभाग में औषधोपचार उपलब्ध रहने से इन मरीजों पर तत्काल उपचार कर संभावित खतरा टाला जाता है. जिला अस्पताल में 0 बिच्छू दंश मरीज तथा अंजनगांव सुर्जी अस्पताल में 21 मरीज दर्ज है. भातकुली में 16, चांदूर बाजार में 73 मरीज दर्ज है. इसके अलावा चांदूर रेलवे अस्पताल में 23, चिखलदरा में 2, चुर्णी में 7, धामणगां रेलवे में 5, नांदगांव खंडेश्वर 28, वरुड 12, अचलपुर 5, दर्यापुर 2, धारणी 8, मोर्शी 5 और तिवसा ग्रामीण अस्पताल में 30 मरीज ऐसे कुल 290 लोगों को बिच्छू काटने की घटना 1 जनवरी से जुलाई 2023 की कालावधि में हुई है.
* अन्य दंश होने की अस्पताल निहाय संख्या
जिला अस्पताल 193, अंजनगांव सुर्जी 15, भातकुली 22, चांदूर बाजार 96, चांदूर रेलवे 25, चिखलदरा 174, चुर्णी 99, धामणगांव रेलवे 2, नांदगांव खंडेश्वर 23, वरुड 29, अचलपुर 31, दर्यापुर 44, धारणी 56, मोर्शी 19, तिवसा 13 ऐसे कुल 844 अन्य दंश की संख्या है.
* मरीज तत्काल अस्पताल पहुंचे
बिच्छू तथा सर्पदंश अथवा अन्य दंश होने पर ग्रामीण इलाकों के नागरिकों ने सर्वप्रथम अपने निकट के स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर उपचार करना चाहिए. वैद्यकीय उपचार लेने में देरी हुई तो उस मरीज की जान को खतरा पहुंचने की संभावना रहती है.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्य चिकित्सक