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चार वर्ष बाद फिर स्क्रब टायफस का प्रकोप

37 मरीज पॉजिटिव, इसमें 7 मरीज इस माह पाए गए

-जारी है नागपुर में इलाज
-सभी मरीज अमरावती मनपा क्षेत्र के
अमरावती/दि.19-जिले में चार वर्ष बाद फिर से स्क्रब टायफस के मरीज पाए गए है. अब तक कुल 37 मरीज जिला मलेरिया विभाग में पॉजिटिव पाए जाने की जानकारी है. इनमें 7 मरीज इस माह ही पॉजिटिव पाए गए है. इनमें से कुछ मरीजो पर नागपुर के एम्स हॉस्पीटल में उपचार जारी है. यह सभी मरीज अमरावती मनपा क्षेत्र के है. प्रशासन द्वारा प्रतिबंधात्मक उपाययोजना शुरू की गई है.
जानकारी के मुताबिक स्क्रब टायफस यह बारिश के दिनों में झाडियों में उगनेवाली घास में रहनेवाले चिगारमाईट नामक कीडे के काटने से होता है. यह एक बैक्टेरिया से फैलाव होनेवाली बीमारी है. यह बीमारी डेंगू और चिकनगुनिया की तरह है. इसके लक्षण उलटी होना, ठंड लगना, सिरदर्द, बदन दर्द आदि है. चार वर्ष पूर्व वर्ष 2018 में जिले में यह बीमारी काफी फैली थी. तब जिला मलेरिया विभाग द्वारा उपाययोजना कर उसे नियंत्रिथ किया गया था. पश्चात यह बीमारी अब तक नहीं पाई गई थी. लेकिन पिछले दो माह में यह स्क्रब टायफस फिर फैल रहा है. पिछले माह 30 सितंबर तक इस बीमारी के 30 मरीज पाए गए थे. इस माह इसमें सात मरीजो की बढ़ोतरी हुई है. इस तरह अब तक कुल 37 मरीज स्क्रब टायफस के पाए गए है. यह सभी मरीज मनपा क्षेत्र के है. चिगारमाईट नामक कीडा काटने के बाद यह बीमारी 20 से 21 तक रहती है. इसमें मरीज को तेज बुखार आता है. वर्तमान में वातावरण के बदलाव के कारण अनेक वायरल बीमारी की चपेट में शहर सहित जिले के ग्रामीण इलाको के नागरिक आ रहे है. शहर और ग्रामीण इलाको के सरकारी और निजी अस्पताल हाऊसफुल दिखाई दे रहे है. वायरल और स्क्रब टायफस के लक्षण एक जैसे रहने से बीमारी कौनसी इस बाबत वैद्यकिय अधिकारी भी संभ्रम में है. लेकिन स्क्रब टायफस के मरीज जांच में पाए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पतालो में दवाई उपलब्ध कर दी गई है.

गोचीड की तरह रहता है कीडा
झाडियो में उगनेवाली घास में रहनेवाला यह चिगारमाईट नामक कीडा गोचीड की तरह रहता है. घास में यह पत्ते के निचे रहने से मजूदों को अथवा घास की कटाई करनेवालो को दिखाई नहीं देता. कटाई के बाद घास के गट्ठे उठाने पर यह कीडा गले और हाथ पर काट लेता है. पश्चात संबंधित को वहां जले जैसा चट्टा हो जाता है और वह 20 से 21 दिनों तक रहता है. इस दौरान संबंधित मरीज को तेज बुखार आना, ठंड लगना, उल्टी होना, जी मचलना, शरीर में खुजली होना आदि तकलीफ होती रहती है.

भेजा जाता है नागपुर एम्स अस्पताल
जिला मलेरिया विभाग ने बताया कि स्क्रब टायफस के मरीज को उपचार के लिए नागपुर एम्स हॉस्पीटल भेजा जाता है. पहले भेजे गए 30 मरीज स्वस्थ हो गए है. सात मरीजो पर उपचार जारी है.

तेजी से फैलती है यह बीमारी
जिला मलेरिया विभाग का कहना है कि यह बीमारी तेजी से फैलती है. स्क्रब टायफस यह एक जंतु संसर्ग बीमारी है. इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे रहते है. उचित समय पर निदान न होने पर 40 से 50 प्रतिशत मृत्यु की आशंका रहती है. इस कारण बुखार और अन्य लक्षण पाए जाने पर वैद्यकीय सलाह संबंधित को अवश्य लेनी चाहिए.

ऐसे रहते है लक्षण
कीडा काटने पर यह स्क्रब टायफस बीमारी होती है. कीडा काटने की जगह पर खुजली, शरीर पर चट्टे आना और दंश की जगह पर जख्म हो जाता है और सुजन आती है. इस बीमारी की शुरूआत में सिरदर्द और तेज बुखार के साथ ठंड लगती है. बदन दर्द, शरीर में कंपकपाहट छुटना आदि प्रकार के लक्षण इस बीमारी की शुरूआत में रहते है.

उपाययोजना
पूर्ण शरीर ढंका रहे इस तरह के कपडे पहनने चाहिए. साथ ही साफसफाई का ध्यान रखना, घर के आसपास बढ़ी घास अतिरिक्त बढ़े पौधो की कटाई कर लेना, घर के पालतू प्राणियों की स्वच्छता का ध्यान रखना, फुलो की सजावट पर स्प्रे मारना, स्क्रब टायफस के लक्षण पाए जाने पर अथवा बुखार आने पर जल्द डॉक्टर के पास जाना और बीमारी की शुरूआत उचित निदान होने पर इस बीमारी से पूरी तरह निजात मिलती है.

घास में रहनेवाले विशेष कीडे से होती है बीमारी
जिले में स्क्रब टायफस के अब तक कुल 37 मरीज पाए गए है. इन पर उपचार जारी है. घास में रहनेवाले विशेष कीडे से यह बीमारी होती है. ठंड,बुखार, शरीर में खाज आना, बदन दर्द इसके लक्षण है. अपने घर के आसपास का परिसर स्वच्छ रऑखना चाहिए. बुखार तथा अन्य लक्षण पाए जाने पर वैद्यकीय उपचार अवश्य ले.
डॉ. शरद जोगी, जिला मलेरिया अधिकारी

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