अमरावती

दूसरी लहर से हुआ निराशा में इजाफा

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दवाईयों की बिक्री बढी

  • लॉकडाउन, आर्थिक तनाव व भविष्य की चिंता से बढा प्रमाण

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२३कोविड संक्रमण काल के दौरान लगाये गये लॉकडाउन की वजह से अधिकांश नागरिक अपने-अपने घरों में रहने को मजबूर थे. कोई अपने परिवार के साथ था, तो कोई अकेला. साथ ही इस दौरान कई लोगों को आयसोलेट भी रहना पडा. इसके अलावा संपर्क में आनेवाले हर व्यक्ति की ओर संदेह की दृष्टि से देखने की प्रवृत्ति भी बढने लगी. जिसकी वजह से एंझायटी बढते हुए कई लोग निराशा यानी डिप्रेशन का शिकार होने लगे. ऐसे में डिप्रेशन से बाहर आने के लिए कई लोग मानसोपचार विशेषज्ञों के पास भी पहुंचे और उनकी सलाह पर मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखनेवाली दवाईयों का सेवन करने लगे. जिसकी वजह से ऐसी दवाईयों की बिक्री इस दौरान काफी अधिक बढ गई.
उल्लेखनीय है कि, तनाव जैसे प्रसंगों में खुद मजबूत रहने और परिवार का भी पूरा साथ मिलने की वजह से कई लोग इस स्थिति में भी पूरी तरह से सहज बने रहे. साथ ही तनाव, निराशा एवं औसाद जैसी स्थितियों से तुरंत ही बाहर भी आ गये. लेकिन कई लोग ऐसे भी रहे, जिनका अपने परिजनों के साथ सहज व स्वस्थ संवाद नहीं है, कुछ लोग नौकरी के लिए अपने शहर से बाहर रहते है और कोविड संक्रमण काल के दौरान कई लोगों का रोजगार भी चला गया. इस दौरान कडा लॉकडाउन लागू रहने के चलते अपना दिल हलका करने के लिए भी कोई संगी साथी उपलब्ध नहीं था. ऐसी तमाम स्थितियों के चलते लोगोें में निराशा व अवसाद बडी तेजी से घर करते चले गये. साथ ही इस स्थिति से बाहर आने के लिए मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दवाईयों की बिक्री में काफी हद तक वृध्दी हुई.
स्थानीय मानसोपचार विशेषज्ञों के मुताबिक इस दौरान केवल पुरूष ही नहीं, बल्कि कई महिलाएं भी मानसिक बीमारियों की चपेट में आयी. साथ ही युवा वर्ग के अलावा बुजुर्ग नागरिकों को भी बडे पैमाने पर उदासिनता ने घेरा.

  • क्यों बढा डिप्रेशन

– कोविड संक्रमण काल के दौरान असुरक्षित रहने की भावना निर्माण हुई. पूरा समय घर में बंद रहने और रोजगार चले जाने की वजह से भविष्य की चिंता के साथ-साथ परिवार में किसी के कोविड संक्रमित होने अथवा संक्रमण के चलते किसी की मौत होने और लगातार कोविड संक्रमण से ही संबंधित चर्चाएं सुनाई देने की वजह से निराशा बढने के मामले सामने आये है.
– कोविड संक्रमण काल के दौरान आयसोलेशन में रहने, अन्य लोगों से संवाद कम होने, घर में आर्थिक दिक्कते रहने व कोविड संक्रमण का भय रहने के डर की वजह से लोगों का एक-दूसरे के साथ संवाद कम हो गया. जिसकी वजह से बेचैनी और डिप्रेशन का प्रमाण बढता चला गया.

  • निराशा टालने के लिए इन उपायों पर अमल करे

– निराशा टालने हेतु समय पर भोजन करने व कम से कम आठ घंटे की नींद लेने के साथ ही खुद को किसी काम में व्यस्त रखना बेहद जरूरी है. यह निराशा टालने का सबसे प्राथमिक उपाय है.
– अपने मन की बातें अपने परिजनों या दोस्तों के साथ साझा करे. यदि खुद पर उदासीनता हावी हो रही है, तो तुरंत ही आलस को झटककर खुद को किसी काम में व्यस्त करना बेहद महत्वपूर्ण होता है.
– कुछ लोगों को किसी मानसिक की जरूरत होती है. ऐसे समय समूपदेशन यानी काउंसिलिंग काफी महत्वपूर्ण साबित होती है. इसकी वजह से उदासिनता से बाहर निकलने में काफी सहायता मिलती है. इसमें परिवार एवं दोस्तों की भुमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है.

कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान डिप्रेशन के मरीज काफी हद तक बढ गये है. इस दौरान अपनी भावनाएं किसी के समक्ष व्यक्त नहीं कर पाने, रोजगार चले जाने और आर्थिक दिक्कते बढने की वजह से निराशा व अवसादग्रस्त मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ. इसमें से कई मरीजों का समुपदेशन करने के साथ-साथ उन्हें इस स्थिति से बाहर लाने में मददगार साबित होनेवाली दवाईया भी दी गई.

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