स्व. डॉ. देवीसिंह शेखावत को आदरांजलि
फूल खिले कहीं किसी चमन में, सुगंध उसकी सबको महकाती है.
बदरी करें प्रयत्न कितना भी, चांदनी को वह कहां ढक पाती है.
सूरज की किरनों को रोके कोई कितना, धरा तक वह पहुंच ही जाती है.
आप जैसे सपुत की जननी बनकर, वसुधा खल्लार की धन्य हुई जाती है.
छात्र से मेधावी व बुद्धि कुशाग्र, सफल मेहनत से अपनी आप हो गए.
रसायनशास्त्र के प्राध्यापक बन, रसायन रस के ज्ञानी आप हो गए.
प्रतिभा ने चुन ली अमरावती की प्रतिभा, प्रतिभाशाली व प्रतिभाधनी आप हो गए.
कदम जमाकर शिक्षा क्षेत्र में, विद्याभारती संस्था के प्रभारी आप हो गए.
कस्तुरी छिपे ना मृग नाभि में, गागर में सागर कहां समा पाता है.
आसमा हो जिसकी मंजिल उसे, खजुर के पेड से चैन कहां आता है.
गुण हो जिनमें विविध क्षेत्र के, एक ही क्षेत्र से मन कहां भर पाता है.
महाविद्यालय से विश्वविद्यालय तक कार्यों को इनके ही सहारा जाता है.
शिक्षा के क्षेत्र में दिखा अपना कौशल, राजनीति में भी कमाल कर डाला.
शहर कांगे्रस को नेतृत्व प्रदान कर, दल के ढांचे का स्वरुप बदल डाला.
विधायक बने, बने प्रथम महापौर, अमरावती शहर का विकास कर डाला.
एक काया में गुण अनेक भरकर, ईश्वर ने गुणों का महाकुंभ कर डाला.
राज्यपाल से राष्ट्रपति पद तक, ताईसाहब का सदा साथ निभाया.
पेयजल संकट जैसी कई समस्याओं को सक्रियता से सुलझाया.
मॉडल स्टेशन लाकर अमरावती को राष्ट्रीय मानचित्र पद दर्शाया.
राष्ट्रपति भवन में शहरवासियों को उत्कृष्ट आतिथ्य करवाया.
दृढ निश्चयता, अटूट संकल्पता, इतने गुणों का बखान आज करें हम.
विचार परिपक्वता, चिंतनशिलता, कार्य प्रणाली का ध्यान आज करें हम.
करके सम्मान ऐसे व्यक्तित्व का ‘कमल’, उन्हें याद आज करें हम.
पवित्र आत्मा को मोक्ष मिले, परमात्मा से यही फरियाद आज करें हम.
– प्रा. कमल खंडेलवाल,
सेवा निवृत्त, गणित विभाग प्रमुख,
विद्याभारती महाविद्यालय, अम.