अमरावतीमहाराष्ट्र

ज्यूनियर वकीलों को सिनियर अधिवक्ताओं ने दी ‘टिप्स एण्ड ट्रिक्यू’

जिला वकील संघ द्वारा आयोजित की गई थी कार्यशाला

अमरावती /दि.15– अमरावती जिला वकील संघ द्वारा ग्रंथालय कक्ष में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान कानून बाबत ‘टिप्स एण्ड ट्रिक्स’ कार्यक्रम ज्यूनियर अधिवक्ताओं के लिए आयोजित किया गया था. दिवानी और फौजदारी न्यायालय में चलने वाले अनेक प्रकरणों में कानून संबंधित गहन अर्थ व जानकारी विविध प्रकरणों में न्यायालय में पक्षकारों के हितार्थ रखे जाते है. इसके लिए ज्यूनियर अधिवक्ताओं के लिए दिवानी, फौजदारी व पारिवारिक न्यायालय संबंधित कानून व केस लडने के लिए उपयोग में आने वाली महत्वपूर्ण बातों की टिप्स एण्ड ट्रिक्स बाबत अमरावती जिला वकील संघ के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के जरिए मार्गदर्शन किया गया.
इस कार्यक्रम में एड. वसुसेन देशमुख ने दिवानी दावे बाबत तथा एड. प्रशांत देशपांडे ने फौजदारी कानून के जमानत प्रकरण में अलग-अलग जमानत तथा अंतरिम जमानत बाबत काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी. पश्चात वरिष्ठ अधिवक्ता एड. शिरीष जाखड ने फौजदारी कानून के शस्त्र कानून बाबत जानकारी दी. एड. नीलेश राउत ने उच्च न्यायालय में अपील प्रकरण, रिट याचिका बाबत विभिन्न टिप्स तथा वकीलों द्वारा उच्च न्यायालय में प्रैक्टीस कैसे शुरु करना आदि बाबत जानकारी दी. इस कार्यक्रम में एड. लक्ष्मीप्रिया खंडालकर ने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एण्ड गोवा द्वारा चलायी जाने वाली ई-फाइलिंग बीमा योजना बाबत ज्यूनियर अधिवक्ताओं को जानकारी देकर मार्गदर्शन किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अमरावती जिला वकील संघ के अध्यक्ष एड. विश्वास काले ने की. प्रमुख अतिथि के रुप में उपाध्यक्ष एड. नितिन राउत, सचिव एड. चंदसेनन गुलसुंदरे, एड. मो. वसीम शेख, सदस्य एड. सोनाली महात्मे, एड. शाहू चिखले, एड. सारिका भोंगाडे-ठाकरे, एड. विक्रम सरवटकर, एड. सूरज जामठे, एड. गजानन गायकवाड, एड. मांगल्य निर्मल, एड. राजू कलाने, एड. गौतम खोब्रागडे उपस्थित थे. कार्यक्रम में बडी संख्या में जिला वकील संघ के ज्यूनियर अधिवक्ता उपस्थित थे. प्रास्ताविक उपाध्यक्ष एड. नितिन राउत ने, संचालन एड. सोनल तायडे ने तथा आभार प्रदर्शन एड. सारिका भोंगाडे ने किया. कार्यक्रम का उद्देश्य ज्यूनियर अधिवक्ताओं को कानून का मार्मिक अपेक्षित मतलब तथा उनकी प्रैक्टिस में पक्षकारों को न्याय दिलवाने के लिए लगने वाला कौशल्य निर्माण करना व सिनियर व ज्यूनियर अधिवक्ता (गुरु-शिष्य) के बिच सलोखे की परंपरा कायम रखने बाबत जानकारी देना था.

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