वरिष्ठ नागरिकों का मेलघाट में साइकिल से भ्रमण
8 दिनों में 500 किलोमीटर का किया सफर
अमरावती/दि.7– सतपुडा पहाडों से घिरे मेलघाट के घने जंगल में उंची पहाडियों पर चढना और घाट के मोड और उतार से दूसरे छोर पर जाने का सफर वाहन में सवार होकर भी करते समय डर लगता है. ऐसा रहते हुए भी विरान रहनेवाले इस घने जंगल से पुणे के 6 वरिष्ठ नागरिकों ने साइकिल पर सवार होकर 8 दिनों में 500 किलोमीटर जंगल भ्रमण किया. देश के विविध इलाको में अब तक साइकिल से सफर किया, उससे मेलघाट का सफर काफी रौंगटे खडे कर देनेवाला और अविस्मरणीय रहने का अनुभव इन वरिष्ठ नागरिकों ने बोलते हुए व्यक्त किया.
वन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी चंद्रशेखर पिछले 7-8 साल से साइकिल चलाने का शौक रखते है. उन्होंने देश के विभिन्न इलाको में साइकिल से भ्रमण किया है. चंद्रशेखर अपनी 61 वर्षीय पत्नी शामला चंद्रशेखर के साथ निरुपमा भावे (77), उमेश ढोपेश्वर (67), एकादशी कोल्हटकर (59) और ज्योति महिंद्रे भक्त (57) का मेलघाट भ्रमण के लिए आए दल में समावेश है. 27 नवंबर को अमरावती शहर से यह 6 सदस्यों का दल मेलघाट की दिशा में निकला. गुरुवार 5 दिसंबर को यह दल मेलघाट जंगल में करीबन 500 किलोमीटर जंगल साइकिल से घूमकर अमरावती दोपहर 4 बजे पहुंचा.
* बहिरम मार्ग से मेलघाट में एंट्री
पुणे से अमरावती ट्रेन से पहुंचने पर 27 नवंबर को सुबह इन 6 सदस्यों का सफर अमरावती से मेलघाट की दिशा में शुरु हुआ. बहिरम से मध्य प्रदेश के जंगल से यह सदस्य साइकिल से मेलघाट पहुंचे. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आनेवाले कुकरु से मेलघाट के चौराकुंड, रंगुबेली, कुटुंगा, बैरागड, लवादा, हरिसाल, सेमाडोह, घटांग, आमझरी, चिखलदरा, मोथा, मडकी, धामणगांव गढी सफर करते हुए परतवाडा मार्ग से फिर से मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आनेवाले मुक्तागिरी पहुंचे. मुक्तागिरी में जैन मंदिर देखने के बाद फिर से परतवाडा मार्ग से अमरावती की दिशा से रवाना हुए और दर्यापुर तहसील में आनेवाले महिमापुर के ऐतिहासिक सीढियों के कुएं को देखा, ऐसा ज्योति महिंद्रे भक्त ने कहा.
* नागरिकों का मेलघाट में साइकिल भ्रमण
दल के प्रमुख चंद्रशेखर ने एक माह पूर्व अमरावती में रहनेवाले उनके दोस्त संदीप गोडबोले के साथ मेलघाट की रेकी की. किस मार्ग से साइकिल से सफर करते आ सकेगा. इस बाबत निश्चित किया गया. वन विभाग से सेवानिवृत्त होने के कारण इस क्षेत्र के वन अधिकारियों ने भी उन्हें अच्छा सहयोग किया. रहने की व्यवस्था पहले से ही ऑनलाइन बुक की गई, ऐसी जानकारी भी ज्योति महिंद्रे भक्त ने दी.
* हर दिन 60 से 70 किलोमीटर का टारगेट
पिछले 7 से 8 साल में भारत के अनेक इलाको में साइकिल से हम चले. लेकिन जंगल से साइकिल चलाने का हमारा पहला अनुभव था, ऐसा शामला चंद्रशेखर ने कहा. हमने मेलघाट का नाम काफी सुना है. लेकिन नजदिक से देखने का यह पहला अवसर था. मेलघाट की साइकलिंग काफी कठिन रहेगी, यह पता था. इस कारण वैसी तैयारी से ही हम पहुंचे. हमारे से ज्यादा अनेकों ने साइकिल से संपूर्ण भारत भ्रमण किया है. हम पुणे-कन्याकुमारी साइकलिंग की. कुछ लोगों ने पुणे से जम्मु तक साइकिल भ्रमण किया. गुजरात और ओडिशा में भी हम साइकिल से गए है. प्रैक्टिस के बल पर मेलघाट में दिन में 60 से 70 किलोमीटर चढना-उतरना हम कर सकते है, ऐसा विश्वास लेकर ही हम यहां पहुंचे. मेलघाट का सफर काफी अच्छा था. नागरिकों ने भी हमें अच्छा सहयोग किया. सभी ने स्वागत भी अच्छा किया. मेलघाट के लोग काफी अच्छे थे, ऐसा शामला चंद्रशेखर ने कहा.
* कात्रज घाट में की प्रैक्टिस
जंगल भ्रमण की हमने पहली बार योजना बनाई. मेलघाट काफी टफ है. यहां हमारा यूनिक एक्स्पीरियंस था. मेलघाट के लिए हम अक्तूबर माह से ही प्रैक्टिस में जुट गए और पुणे के पास कात्रज घाट में विशेष कर हमने प्रैक्टिस की. उस कारण ही मेलघाट में हमें फायदा हुआ. जो कोई साइकिल लवर्स है, उन्होंने वन विभाग की अनुमति निकालकर निश्चित रुप से मेलघाट में साइकलिंग का अनुभव लेना चाहिए, ऐसा भी चंद्रशेखर ने कहा.