अमरावती

ज्येष्ठ साहित्यिक प्रा.सतेश्वर मोरे का निधन

आंबेडकरी आंदोलन व साहित्य क्षेत्र में शोक लहर

अमरावती/दि.3 – नागपुर यूनिवर्सिटी टिचर्स एसोसिएशन (नुटा) के सहसचिव तथा अखिल भारतीय आंबेडकरी साहित्य व संस्कृति संवर्धन महामंडल के निमंत्रक व संगठक, सुविख्यात कवी, गझलकार, नाट्यकलाकार, समीक्षक तथा वस्तुनिष्ठ आंबेडकरी भूमिका के लिए सुविख्यात रहने वाले साहित्यिक प्रा.सतेश्वर मोरे का कल दोपहर 4 बजे के दौरान नागपुर के न्युक्लियस अस्पताल में निधन हो गया.
आंबेडकरी समाज में तथा साहित्य क्षेत्र में प्रा.सतेश्वर मोरे के जाने से शोक लहर व्याप्त है. अनेक आंबेडकरी साहित्य सम्मेलन के संगठन, प्रवर्तन व आयोजन कर प्रा.मोरेे ने आंबेडकरी आंदोलन को कायम रखने का अविरत प्रयास किया. आंदोलन में उनका कृतिशील सहभाग दलित पँथर आंदोलन से तो खैरलांजी आंदोलन में जेल काटने तक रहा. असंख्य आंबेडकरी युवा साहित्यिकों की सैंकडों की टीम तैयार करने में प्राध्यापक सतेश्वर मोरे का मौलिक हिस्सा रहा है.
समकालीन साहित्य यह बुध्द प्रणित वैज्ञानिकता पर आधारित रहना चाहिए और उसके चलते साहित्य निर्मिति होनी चाहिए और धम्म ही आंबेडकरी साहित्य प्रेरणा स्त्रोत व केंद्रबिंदू है, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन प्रा.सतेश्वर मोरे का रहता था. उनकी ‘मेजर’ यह कविता लोकप्रिय है. 1991 में लिखित ‘बाई’ इस नाटक का प्रयोग समूचे महाराष्ट्र में गुंज उठा था. मराठी साहित्य की अकादमीक क्षेत्र में प्रा.सतेश्वर मोरेे यह उतना ही लोकप्रिय नाम था. बडनेरा स्थित आरडीआय के महाविद्यालय में वे तकरीबन 25 वर्ष से बतौर प्राध्यापक कार्यरत थे. नागपुर यूनिवर्सिटी टिचर्स एसोसिएशन ‘नुटा’ के वे सहसचिव, कार्यकारी मंडल के महत्व के सदस्य भी थे. महाराष्ट्र में ही नहीं तो देशभर में उनका आंबेडकरी आंदोलन संदर्भ पर प्रबोधन का कार्य अविरत शुरु था. उनके पश्चात पत्नी प्रा.सीमा (मेश्राम) मोेरे, बेटी प्रकृति, मां, दो भाई आदि परिवार है. आज बुधवार 3 मार्च को सुबह 8 बजे नागपुर स्थित आंबेडकरी घाट में उनपर अंत्यसंस्कार किया गया.

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