* विभागीय वन अधिकार समिति की बैठक
अमरावती/ दि. 16-अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (13 दिसंबर 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों के लिए मुख्य रूप से जंगलों में रहने वाले और आजीविका के लिए जंगलों या वन भूमि पर निर्भर) को उनके पूर्वजों से विरासत में मिली वन भूमि के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक वन अधिकार अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (अधिकारों की वन स्वीकृति) अधिनियम 2006 प्राप्त हो गया है. इसलिए समय सीमा के भीतर वन अधिकारों के दावों का निपटारा करने के निर्देश विभागीय वन अधिकार समिति की अध्यक्ष व संभागीय आयुक्त डॉ. निधि पांडेय ने दिए.
विभागीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में विभागीय वन अधिकार समिति की बैठक संभागीय आयुक्त डॉ.पांडेय की अध्यक्षता ली गई. बैठक में प्र. मुख्य वनसंरक्षक जयोती बॅनर्जी, आदिवासी विकास अपर आयुक्त सुरेश वानखेडे, उपवनसंरक्षक सुमंत सोलंके, किरण जगताप, सहायक आयुक्त (भुसूधार) श्यामकांत मस्के, वरिष्ठ संशोधन अधिकारी प्रीति तेलखेडे, व्यवस्थापक संजय लगड आदि मौजूद रहे. डॉ. पांडेय ने कहा कि वन अधिकार के लिए दायर व्यक्तिगत एवं सामूहिक दावों के प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए संबंधित जिला प्रशासन एवं वन विभाग संयुक्त रूप से स्थल का भ्रमण कर वर्ष 2005 के पूर्व वन भूमि के निबंधन एवं कब्जा सिद्ध करने वाले पुख्ता साक्ष्यों की जांच करें. अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए. आदिवासी भाइयों को शीघ्र लाभ मिले, इसके लिए दायर आवेदनों पर जिम्मेदारी से कार्रवाई की जाए. उन्होंने आगे कहा कि अमरावती डिवीजन के तहत सभी पांच जिलों की वन-आधारित ग्राम सभाओं को अधिनियम की धारा के तहत सामूहिक दावों से निपटने का अधिकार दिया गया है. वन आधारित ग्राम सभाओं को चाहिए कि वे अपने गांवों की योजना के लिए सामूहिक योजनाए तैयार करें और उन्हें सरकार को प्रस्तुत करें. जिससे गांव को वन उत्पादों से रोजगार व आजीविका के साधन प्राप्त होंगे.
गुरुवार को हुई बैठक में सुनवाई के लिए रखे गए वन अधिकारों के दावों में अमरावती जिले के 17 और यवतमाल जिले के 29 दावों सहित कुल 46 दावे थे. उसमें से 44 दावे आदिवासियों के और 2 दावे गैर आदिवासियों के थे. इन सभी वन अधिकार दावों पर समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने चर्चा की. वन अधिकार दावा दायर करने वालों के बयान सुने. सुनवाई के अंत में 39 वन अधिकार दावों का निस्तारण किया जा चुका है और शेष दावों की जांच पंद्रह दिन के भीतर करने के निर्देश संभागीय आयुक्त ने संबंधित जिला प्रशासन को दिए हैं.