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अकोट न्यायालय ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – नाबालिग युवती को भगाकर ले जाकर उस पर लैंगिक अत्याचार करने वाले आरोपी को 9 अगस्त को अकोट के जिला व सत्र न्यायाधीश-1 ने दोषी ठहराते हुए पोस्को कानून अंतर्गत उम्रकैद की सजा व 36 हजार रुपए जुर्माना सुनाया है. जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त सजा काटनी पड़ेगी. इस घटना की सफल जांच तत्कालीन स.पु.नि.शुभांगी दिवेकर ने की थी.
जानकारी के अनुसार 29 जून 2017 की सुबह 10 बजे के करीब पीड़िता घर से छात्रवृत्ति के पैसे निकालने के लिए व ट्यूशन क्लास लगाती हूं ऐसा बताकर घर से बाहर निकली थी. लेकिन वह शाम तक घर वापस नहीं लौटी. इसलिए फिर्यादी व उसके रिश्तेदारों ने पीड़िता की उसके रिश्तेदारों व सहेली के घर पर खोजबीन की. वहां पर भी वह नहीं मिली. शिकायत के बाद दफा 363 भादवि का अपराध दर्ज किया गया था. आरोपी मंगेश महादेव चव्हाण ने पीड़िता से झूठ बोलकर सूरत ले गया. पश्चात 29 सितंबर 2017 को पीड़िता व आरोपी को पुलिस स्टेशन अकोट में उपस्थित किया गया व पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद वैद्यकीय जांच के दौरान वह गर्भवती होने की बात सामने आने से उपरोक्त अपराध में दफा 366, 376 (2)(जे) नुसार अपराध दर्ज किया गया. पीड़िता नाबालिग होने से सिध्द हुए उपरोक्त अपराध में कलम 3,,4,5 (एल)(एन), 6 कलम पोक्सो कानून के अनुसार धारा बढ़ाई गई. आरोपी के खिलाफ अपराध साबित होने के लिए कुल 16 गवाहदारों की जांच की गई. आरोपी के खिलाफ अपराध सिध्द होने पर वि.जिला व सत्र न्यायाधीश-1 चकोर श्रीकृष्ण बाविस्कर के न्यायालय ने आरोपी को बालिका के लैंगिक अत्याचार से संरक्षण अधिनियम, 2012 की 3 (अ) सहित 4 कलम अंतर्गत दस वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना व जुर्माना न भरने पर दो वर्ष की सजा, उम्र कैद की सजा व 20 हजार रुपए जुर्माना एवं जुर्माना न भरने पर तीन वर्ष की सजा, भादवि क धारा 363 के अंतर्गत सजा पात्र अपराध के लिये आरोपी को सात वर्ष सश्रम कारावास और 6 हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न भरने पर 1 वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई.
आरोपी की ओर से जुर्माने की कोई भी रकम वसूल न होने से 75 प्रतिशत रकम पीड़िता को भरपाई देने का आदेश दिया गया. इस मामले मे सरकारी पक्ष की ओर से एड.जी.एल. इंगोले ने न्यायालय के समक्ष मामले की पैरवी कर युक्तिवाद किया. उपरोक्त मामले की जांच स.पु.नि. शुभांगी मुकुंद कोरडे (दिवेकर) ने की. पुलिस हे.कां. संजय श्रीकृष्ण पोटे पु. स्टे. अकोट शहर ने पैरवीकर न्यायालय में इस मामले में सहकार्य किया.