अमरावती

शंकरबाबा पापलकर ने दिया 123 बेसहारा दिव्यांगों को सहारा

पिता का फर्ज निभाकर 24 अनाथों का रचाया ब्याह

अमरावती/दि.21 – लोगों के कपडे धोने का कार्य करने वाला एक साधारण व्यक्ति शंकरबाबा आज अनाथों के नाथ के नाम से संपूर्ण राज्यभर में विख्यात है. शंकरबाबा पापलकर ने 123 अनाथ अंपगों को सहारा दिया है और 24 दिव्यांगों का धूमधाम से ब्याह भी रचाया. उनका पुर्नवसन किया अमरावती जिले के एक छोटे से गांव वझर्‍र में बालगृह स्थापित कर 123 अनाथ बालकों के पिता का फर्ज शंकरबाबा निभा रहे है. सभी अनाथ अपंगों के आधारकार्ड व बैंकों में खाते भी खुलवाए.
शंकरबाबा पापलकर मूलत: परतवाडा के रहनेवाले है. उनका जन्म एक साधारण परिट परिवार में हुआ. उनका व्यवसाय लोगों के कपडे धोने का था. युवा अवसस्था में उनके मन में समाज के लिए कुछ करने की इच्छा जागृत हुई तब उन्होंने पत्रकारिता क्षेत्र में अपने कदम बढाए और अनेकों समाचारपत्रों में काम भी किया. उसके पश्चात उन्हांने स्वयं देवकीनंदन गोपाला मासिक पत्रिका निकाली देवकीनंदन गोपाला मासिक के माध्यम से उनका अनेकों राजकीय, सामाजिक तथा अधिकारियों के साथ संपर्क हुआ.
एक पत्रकार होने की वजह से उनके चारों ओर नजरें रहती थी. जब उन्होंने रेल्वे स्टेशन, बसस्थानक परिसर में लावारिस अवस्था में मतिमंद, दिव्यांग बच्चें नजर आए तब उन्होंने ठान लिया कि वे इन अनाथ बच्चों का पालन-पोषण करेंगे. उन्हें जब भी कोई बच्चा लावारिस अवस्था में दिखाई देता उस बच्चें को वे अपने साथ ले आते और उस बच्चें को पिता का नाम देकर उसका पालन पोषण करते आज वझर्‍र स्थित बालगृह में 123 अनाथ बच्चों के पिता बन अपना कर्तव्य निभा रहे है और उनकी पहचान अनाथों के नाथ के नाम से है.

1995 से की शुरुआत

पत्रकार रहते हुए 1995 में शंकरबाबा पापलकर चार अनाथ बच्चों को लेकर अमरावती पहुंचे और उन्होंने हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य से मुलाखात कर उनके माध्यम से परतवाडा शहर के समीप वझर्‍र ग्राम में स्व. अंबादास पंत अंध दिव्यांग, अनाथ बच्चों के लिए बागृह की शुरुआत की. उनके बालगृह में 200 के लगभग अनाथ बच्चों का पालन पोषण किया गया जिसमें से अनेक बच्चों का उन्होंने ब्याह रचाकर उनका परिवार बसाया. वर्तमान परिस्थिति में बालगृह में 123 दिव्यांग बच्चें है.

सभी बच्चों का आधार कार्ड

शंकरबाबा पापलकर ने 123 अनाथ बच्चों का पालकत्व स्वीकारा. इतना ही नहीं इन बच्चों के आधार कार्ड भी बनवाए आधार कार्ड पर पिता की जगह शंकरबाबा पापलकर लिखवाया और यह सभी बच्चें शंकर बाबा को अपना पिता मानते है.

सभी को दिलवाया मतदान का अधिकार

लोकतंत्र में मतदान का अधिकारी सभी को है और यह अधिकार शंकरबाबा पापलकर ने अपने सभी अनाथ दिव्यांग बेटे, बेटियों को दिलवाया. इतना ही उनका मतदान कार्ड भी बनवाया सभी अनाथ बच्चें अपने मतदान का अधिकार का पालन हर चुनाव में करते है.

बैंको में खाते खुलवाए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्दारा चलायी गई जनधन योजना के माध्यम से शंकरबाबा ने अपने आश्रम में रह रहे सभी अनाथ, अपंग बच्चों के बैंक में खाते खुलवाए. हाल ही में शंकरबाबा पापलकर को अमरावती विद्यापीठ व्दारा डी.लिट की मानक पदवी से सम्मानित किया गया.

अनेकों पुरस्कार नकारे

अनाथों की सेवा में अपने आप को समर्पित करने वाले शंकरबाबा पापलकर को केंद्र व राज्य सरकार व्दारा अनेकों पुरस्कार दिए जाने की घोषणाएं की गई. किंतु उन्होंने पुरस्कारों को नकार दिया. उनका कहना है कि, जब तक 18 वर्ष से अधिक आयु वाले दिव्यांगों को अनाथ आश्रम में रहने का कानून नहीं बनया जाता तब तक वे कोई भी पुरस्कार नहीं लेंगे. 18 वर्ष से अधिक आयु वाले अनाथों को वे न्याय दिलाकर ही रहेंगे ऐसा उन्होंने कहा.

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