शंकरबाबा पापलकर को मिला पद्मश्री सम्मान
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुई घोषणा
* जिले के हिस्से में पांचवी बार आया पद्म अलंकरण
अमरावती/दि.26 – समिपस्थ वझ्झर स्थित स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग, निराधार व अनाथ बालगृह का संचालन करते हुए वर्ष 1992 से लेकर अब तक 127 से अधिक दिव्यांग व अनाथ बच्चों का पालन पोषण कर रहे वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. शंकरबाबा पापलकर के सेवाकार्यों को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. इसके संदर्भ में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश की राजधानी नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा घोषणा की गई. जिसकी सूचना वझ्झर आश्रम में रहने वाली डॉ. शंकरबाबा पापलकर को रात 9 बजे के बाद प्राप्त हुई. इसके पश्चात अनाथों का नाथ कहे जाते शंकरबाबा पापलकर ने इस पद्म सम्मान को अपने अनाथ व दिव्यांग बच्चों के नाम समर्पित करते हुए कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा 18 वर्ष से अधिक आयु वाले अनाथों व दिव्यांगों के लिए कानून बनाया जाएगा. इस विश्वास के साथ वे इस सम्मान को स्वीकार कर रहे है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती जिले के हिस्से में आया यह पांचवा पद्म सम्मान है. इससे पहले तपोवन आश्रम के संस्थापक डॉ. शिवाजीराव उर्फ दाजीसाहब पटवर्धन, 35 वर्षों से बैरागड में आदिवासियों के बीच रहकर वैद्यकीय सेवा प्रदान करने वाले डॉ. स्मिता व डॉ. रविंद्र कोल्हे, जैविक खेती के प्रणेता डॉ. सुभाष पालेकर तथा क्रीडा प्रशिक्षण के क्षेत्र में विश्व विख्यात रहने वाले श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव प्रभाकरराव वैद्य को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया जा चुका है. वहीं अब हव्याप्रमं द्वारा संचालित वझ्झर स्थित स्व. अंबादासपंत वैद्य दिव्यांग व अनाथ बालगृह का जिम्मा संभालते हुए वर्ष 1992 से 127 अनाथ व दिव्यांग बच्चों का पालन-पोषण करने वाले शंकरबाबा पापलकर को केंद्र सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है.
बता दें कि, वर्ष 1992-93 से दिव्यांग व अनाथ बच्चों का पालन-पोषण करने के कार्य हेतु अपना जीवन समर्पित कर चुके शंकरबाबा पापलकर ने अपने आश्रम में रहने वाले सभी बच्चों को पिता के तौर पर अपना नाम दिया है तथा सभी बच्चों को पढा-लिखाकर इस काबिल बनाया है कि, वे अपने पैरों पर खडे हो सके. इसमें से 12 बच्चों को शंकरबाबा पापलकर नौकरी दिलवा चुके है. साथ ही 30 अनाथ व मुकबधीर बच्चों का बडी धूमधाम के साथ विवाह भी करवा चुके है. इन बच्चों के विवाह समारोह की चर्चा राज्य सहित समूचे देश में रही. क्योंकि लगभग सभी बच्चों के विवाह समारोह मेें घराती व बराती का जिम्मा तत्कालीन मंत्रियों व प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा निभाया गया. इन्हीं सभी कामों को देखते हुए 4 वर्ष पूर्व संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ ने शंकरबाबा पापलकर को डॉक्टरेट ऑफ लेटर (डी. लिट) की मानद उपाधी से सम्मानित किया था. वहीं हाल ही में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने भी वझ्झर आश्रम को सदिच्छा भेंट देते हुए वहां चल रहे सेवाकामों की विस्तार के साथ जानकारी ली थी. इसके अलावा भी समय-समय पर कई मंत्रियों व नेताओं सहित समाज के विविध गणमान्यों द्वारा वझ्झर आश्रम को भेंट दी जाती रही है.