20 दिसंबर को शंकरबाबा की 24 वीं बिटिया का ब्याह
मूकबधीर वर्षा के मानसपिता बने गृहमंत्री अनिल देशमुख
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नागपुर में बडी धूमधाम के साथ करेंगे कन्यादान
अमरावती/दि.9 – अचलपुर तहसील अंतर्गत आने वाले वझ्झर स्थित स्व.अंबादास पंत वैद्य मतिमंद मुकबधिर अंपग बालगृह के संचालक शंकरबाबा पापलकर को अनाथों के पिता के रुप में जाना जाता है. शंकरबाबा पापलकर की संस्था में लावरिस पध्दति से छोटे गए दिव्यांग बच्चों को सहारा देकर उनकी परवरिश कर उन्हें शिक्षा देकर खुद के पांव पर खडा कर विवाह योग्य उम्र होने पर उनकी शादी कराकर उनका पुनर्वास की भी जिम्मेदारी शंकरबाबा आज तक निभाते आये है. इसी के तहत अब शंकरबाबा पापलकर की 24 वीं मानसकन्या वर्षा का शुभविवाह इसी बालगृह में रहनेवाले मूकबधिर समीर के साथ किया जा रहा है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शंकरबाबा पापलकर की मानसकन्या वर्षा का कन्यादान करने की जिम्मेदारी राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख द्वारा उठायी गयी है और वर्षा का कन्यादान आगामी 20 दिसंबर को गृहमंत्री देशमुख के नागपुर स्थित निवास स्थान में किया जायेगा. साथ ही इस अवसर पर देश के दिव्यांग अनाथ लडके-लडकियों को उम्र के 18 वर्ष आयु के बाद आजीवन पुनर्वास के लिए बालगृह में ही रहने देने के लिए भारत सरकार को कानून बनाने की विनंती करेंगे.
बता दें कि राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने 14 जनवरी को वझ्झर के स्व.अंबादास पंत वैद्य मतिमंद मुकबधिर अंपग बालगृह भेंट दी थी, उस दरमियान वर्षा का कन्यादान करने का आश्वासन शंकरबाबा को दिया था. साथ ही शंकरबाबा को मुंबई स्थित अपने निवास पर बुलाते हुए गृहमंत्री अनिल देशमुख व उनकी पत्नी आरती देशमुख ने आगामी 20 दिसंबर को नागपुर स्थित अपने निवास पर वर्षा का कन्यादान करने का मानस व्यक्त किया. जिसके बाद इस विवाह की तैयारियां शुरू की गई.
नागपुर स्टेशन पर लावारिस मिली थी वर्षा
बता दें कि, आज विवाहयोग्य हो चुकी वर्षा नामक यह युवती कई साल पहले नागपुर रेल्वे स्टेशन पर लावारिस स्थिति में पुलिस को मिली थी. उस समय उसकी आयु एक साल थी. बरामदगी के बाद पुलिस ने इस बच्ची के अभिभावकों की तलाश शुरू की, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया. पश्चात बाल कल्याण समिती के आदेश पर इस बच्ची को अमरावती जिला अंतर्गत वझ्झर स्थित स्व. अंबादासपंत वैद्य मतिमंद व मूकबधीर बालगृह एवं अनाथालय के सुपुर्द किया गया. जहां के संचालक शंकरबाबा पापलकर ने इस बच्ची को बतौर पिता अपना नाम देते हुए उसका आजीवन पालकत्व स्वीकार किया. वर्षा के 6 साल की होने के बाद शंकरबाबा ने उसे परतवाडा के संत गाडगे बाबा निवासी मूकबधिर विद्यालय में शिक्षा के लिए प्रवेश दिलाया. यहां वर्षा ने चौथी तक शिक्षा पूर्ण की. साथ ही वर्षा को उच्च शिक्षा दिलवाते हुए उसे स्वावलंबी बनाया गया. पश्चात वर्षा के विवाह योग्य होने के कारण उसका पुनर्वास करने की चिंता शंकरबाबा को थी. क्योेंकि कानून के अनुसार उम्र के 18 साल पूर्ण होने के बाद वर्षा को बालगृह में रखने की अनुमति नहीं है, उसे इस बालगृह से बाहर भेजना जरुरी हो ुचुका था. ऐसे में शंकरबाबा को इस बात की चिंता सताना उचित ही था. लेकिन संयोग से संस्था में ही रहनेवाले मूकबधीर समीर के भी विवाह योग्य होने से शंकरबाबा ने वर्षा की समीर के साथ विवाह करने का निर्णय लिया.
वर्षा की पढाई का खर्चा प्रभाकरराव वैद्य ने उठाया
मूकबधीर वर्षा को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मूकबधीर विद्यालय में प्रवेश दिलवाया गया. शिक्षा देकर उसे अपने पैरों पर खडा किया. उसकी पढाई लिखाई का खर्च हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य ने उठाया.
मुंबई के डोंबिवली में लावारिस मिला था समीर
वहीं दूसरी ओर वर्षा से विवाहबध्द होने जा रहे समीर की उम्र करीब दो साल की थी, तब वह मुंबई के डोंबिवली में लावारिस स्थिति में पुलिस को मिला था. पुलिस ने उसके माता-पिता की खोज की, लेकिन समीर के माता-पिता का कही पता नहीं चला. इसलिए बाल कल्याण समिति के आदेश के चलते समीर को शंकरबाबा पापलकर के बालगृह में भेजा गया. जहां शंकरबाबा को समीर के आजीवन पुनर्वास की जिम्मेदारी सौंपी गई. आज समीर 27 वर्ष का हो चुका है और इसी बालगृह में रहनेवाली वर्षा के साथ विवाहबध्द होकर अपने सांसारिक जीवन की शुरूआत करने जा रहा है.