अमरावती संसदीय सीट के लिए ही हुआ था शरद पवार का आगमन!
विगत 2 चुनाव से राकांपा के कोटे में ही रहा अमरावती लोकसभा क्षेत्र
* इस बार भी शरद पवार अमरावती सीट से अपना प्रत्याशी देने के इच्छूक
* पवार के संभावित प्रत्याशी को लेकर कयासबाजी हुई तेज
अमरावती/दि.30 – विगत दिनों राकांपा सुप्रीमो शरद पवार 2 दिन के लिए अमरावती जिले के दौरे पर थे. हालांकि कहने को तो शरद पवार का आगमन श्री शिवाजी शिक्षा संस्था में देश के प्रथम कृषि मंत्री डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहब देशमुख के 125 वीं जयंती महोत्सव में हिस्सा लेने हेतु हुआ था. जहां पर शरद पवार को भाउसाहब की स्मृति में दिया जानेवाला पहला पुरस्कार प्रदान किया जाना था. लेकिन इस आयोजन के बाद वापस लौटने की बजाय शरद पवार अगले दिन भी अमरावती में ही मौजूद थे और उन्होंने वझ्झर आश्रम को भेंट देते हुए अमरावती से अचलपुर तक की दूरी नाप ली तथा इस दौरान रास्ते में पडने वाले कुरलपुर्णा स्थित विधायक बच्चू कडू के निवासस्थान पर भी भेंट दी. अपने व्यस्ततम दौरे में से पूरे दो दिन का समय शरद पवार द्वारा अमरावती के लिए यूं ही नहीं निकाला गया होगा. बल्कि इसके पीछे भी कोई ना कोई राजनीतिक वजह जरुर है, अब ऐसी चर्चा पूरे जिले भर में चलनी शुरु हो गई है.
बता दें कि, वर्ष 2014 एवं वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-राकांपा आघाडी के तहत अमरावती संसदीय क्षेत्र राकांपा के कोटे में थी तथा वर्ष 2014 के चुनाव में राकांपा ने नवनीत राणा को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया था. वहीं वर्ष 2019 के चुनाव में नवनीत राणा ने निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरते हुए कांग्रेस-राकांपा आघाडी का समर्थन हासिल किया था. परंतु 2019 के चुनाव में मिली जीत के बाद नवनीत राणा ने अपना पाला बदल लिया और केंद्र की भाजपानीत सरकार का समर्थन करना शुरु कर दिया. वहीं अब आगामी अप्रैल अथवा अप्रैल-मई माह मेें एक बार फिर लोकसभा के आम चुनाव होने जा रहे है और महाविकास आघाडी के तहत अमरावती संसदीय सीट एक बार फिर राकांपा के ही कोटे में छूटे. इसके लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा अभी से ही मोर्चाबंदी की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि, विगत चुनाव के बाद से लेकर अब तक राज्य में राजनीतिक हालात काफी हद तक बदल गये है. पिछली बार भाजपा सेना युती प्रत्याशी के तौर पर शिवसेना के कद्दावर नेता व तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल ने चुनाव लडा था और भाजपा सेना युती के तहत हर बार अमरावती संसदीय क्षेत्र शिवसेना के कोटे में रहा करता था. परंतु विगत विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और शिवसेना की युती टूट गई और शिवसेना ने कांग्रेस व राकांपा के साथ मिलकर महाविकास आघाडी बनाई थी. इसके पश्चात शिवसेना में भी दो फाड हो चुकी है तथा पूर्व सांसद अडसूल एवं उनके बेटे व पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल अब शिंदे गुट वाली शिवसेना के साथ है तथा शिंदे गुट वाली शिवसेना ने दुबारा भाजपा का दामन थाम लिया है. जिसके चलते शिवसेना उबाठा की स्थिति अमरावती में पहले जैसी नहीं रही. जिसकी वजह से शिवसेना उबाठा का महाविकास आघाडी के तहत अमरावती संसदीय सीट पर दावा कमजोर रहने के पूरे आसार है. ऐसे में शरद पवार निश्चित तौर पर अमरावती संसदीय सीट को मविआ के तहत राकांपा के कोटे में ही रखना चाहेंगे. संभवत: इसी वजह के चलते शरद पवार जैसे राष्ट्रीयस्तर के नेता ने पूरे 2 दिन का समय अमरावती जिले के दौरे हेतु निकाला. साथ ही अमरावती से लेकर अचलपुर तक की दूरी नापते हुए इस दौरान विधायक बच्चू कडू के घर पर उनके साथ बंद द्वार चर्चा भी की.
यूं तो शरद पवार और उनके नेतृत्ववाली राकांपा द्वारा इससे पहले भी अमरावती संसदीय सीट पर अपना दावा रहने की बात कही जा चुकी है. लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि, यदि यह सीट मविआ के तहत राकांपा के हिस्से में छूटती ही है, तो उस स्थिति में अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित रहने वाली अमरावती संसदीय सीट से राकांपा द्वारा किसे अपना प्रत्याशी बनाया जाएगा. क्योंकि दो बार तो राकांपा ने नवनीत राणा पर अपना दाव चला था और अब नवनीत राणा दूसरे पाले में है. अत: उनका तो राकांपा में कोई ‘चान्स’ ही नहीं बनता. जिसके चलते इस बार सिनियर पवार द्वारा किस प्रत्याशी को आगे करते हुए अपना दाव खेला जाता है, इसकी ओर सभी की निगाहे लगी हुई है. भले ही शरद पवार ने अमरावती में भाउसाहब देशमुख के जयंती महोत्सव पर एवं राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के साथ ही वझ्झर स्थित अनाथ व दिव्यांग बालगृह तथा उपातखेडा में आदिवासियों की ग्रामसभा परिषद को भेंट देते हुए अपने पूरे दौरे को अराजनीतिक रखने का प्रयास किया. वहीं विधायक बच्चू कडू ने भी शरद पवार के अपने आवास पर आगमन को सदिच्छा भेंट बताते हुए यह जताने का प्रयास किया कि, उन दोनों के बीच राजनीतिक मुद्दों को लेकर नहीं, बल्कि खेतीबाडी व किसानों की समस्याओं को लेकर चर्चा हुई. परंतु यह अपने आप में एक परम सत्य है कि, शरद पवार की नस-नस में राजनीति बसी हुई है और उनका प्रत्येक कदम राजनीतिक ही होता है. ऐसे में शरद पवार के दो दिवसीय अमरावती दौरे के साथ जुडे राजनीतिक निहितार्थ को लेकर चर्चा होना बेहद लाजमी है.