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शरद पवार का आदेश ही मेरे लिए सबकुछ, साहेब के कहने पर ही लड रहा चुनाव

पूर्व मंत्री हर्षवर्धन देशमुख का विशेष साक्षात्कार में कथन

* वर्धा संसदीय क्षेत्र में शिव परिवार का पूरा साथ मिलने की जताई उम्मीद
* इंडिया गठबंधन में वर्धा सीट राकांपा के कोटे में ही रहने का जताया विश्वास
अमरावती/दि.14– शरद पवार मेेरे नेता है और मेरे लिए शरद पवार द्वारा कहीं गई बात पत्थर की लकीर होती है. मुझे मेरे नेता की ओर से आदेश मिला है कि, मुझे वर्धा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लडना है और मैं इस आदेश को कतई टाल नहीं सकता. यहीं वजह है कि, मैंने वर्धा संसदीय क्षेत्र में आगामी लोकसभा चुनाव को लडने हेतु अपनी और से तैयारी करनी शुरु कर दी है. जिसमें अभी हाल फिलहाल मैंने वर्धा संसदीय क्षेत्र में शामिल अमरावती जिले के तहसील क्षेत्रों का दौरा किया है. जिसमें मुझे लोगों का भरपूर प्रतिसाद भी मिला है. साथ ही अब मैं अगले तीन दिन वर्धा जिले के तहसील क्षेत्रों का दौरा करुंगा, जिसे लेकर मुझे पूरा भरोसा है कि, मुझे वहां पर भी लोगों का भरपूर समर्थन मिलेगा. साथ ही शिव परिवार की ताकत हमेशा की तरह इस बार भी मेरे साथ रहेगी. इस आशय का प्रतिपादन राकांपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के पूर्व मंत्री रह चुके तथा श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख द्वारा किया गया.
श्री शिवाजी शिक्षा संस्था के मुख्यालय में दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए पूर्व मंत्री व शिवाजी संस्था के अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख ने वर्धा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडने की अपनी तैयारियों को लेकर खुलकर बातचीत की तथा सभी सवालों का बडी बेबाकी के साथ जवाब दिया. इस साक्षात्कार में हर्षवर्धन देशमुख ने खुले मन से यह स्वीकार किया कि, उन्होंने एक अरसा पहले मुख्यधारा की राजनीति से अलग होने तथा भविष्य में कोई चुनाव नहीं लडने का खुला ऐलान किया था. लेकिन चूंकि अब उनके नेता शरद पवार की ओर से ही चुनाव लडने का आदेश आया है. ऐसे में वे इस आदेश को टाल नहीं सकते.

* 27 जनवरी को मिला था साहेब का आदेश
इस बातचीत के दौरान हर्षवर्धन देशमुख ने बताया कि, विगत 27 जनवरी को उन्हें राकांपा प्रमुख शरद पवार की ओर से चुनाव की तैयारियों में लग जाने का आदेश प्राप्त हुआ. 27 जनवरी से पहले उन्होंने इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा था और उनके मन में दूर-दूर तक यह ख्याल नहीं था कि, उन्हें लोकसभा का चुनाव लडना चाहिए. देशमुख के मुताबिक उन्होंने वर्ष 1980 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लडा था और वे इसके बाद कई बार विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले चुके है. जिसमें से तीन बार विजयी रहते हुए वे विधायक भी चुने गये और मंत्री भी बने. लेकिन उन्होंने कभी भी लोकसभा चुनाव लडने के बारे में नहीं सोची और उनके मन में इसे लेकर कभी कोई ख्याल भी नहीं आया. लेकिन विगत 27 जनवरी को शरद पवार ने जब उन्हें वर्धा संसदीय क्षेत्र के लोकसभा चुनाव लडने के बारे में आदेश दिया, तब उन्होंने इसके बारे में सोचना शुरु किया.

* समय कम है, लेकिन प्रयास पूरा करेंगे
इस बातचीत में जब हर्षवर्धन देशमुख से यह पूछा गया कि, लोकसभा का चुनाव होने में अब बमुश्किल ढाई-तीन महिने का समय शेष है और आपने अब अपनी तैयारी करनी शुरु की है. क्या इतनी जल्दी लोकसभा चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी हो जाएगी, तो हर्षवर्धन देशमुख ने समय की कमी को स्वीकार करते हुए कहा कि, यद्यपि समय कम है, लेकिन राकांपा के नेता शरद पवार के मार्गदर्शन और संगठन के पदाधिकारियों के सहयोग से कम समय में ही तमाम तैयारियों को पूरा कर लिया जाएगा. जिसमें कोई कोर-कसर नहीं छोडी जाएगी.

* नाम और चुनावी चिन्ह से नहीं पडेगा फर्क
हाल ही में निर्वाचन आयोग द्वारा शरद पवार से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का नाम और चुनावी चिन्ह छीनकर अजीत पवार को दे दिया गया. ऐसे में अब शरद पवार को नये नाम व नये चुनावी चिन्ह के साथ मतदाताओं के बीच जाना होगा. क्या इतने कम समय के भीतर नये नाम व नये चुनावी चिन्ह के साथ सभी मतदाताओं तक पहुंच भी बन जाएगी. इस सवाल पर शरद पवार के बेहद खासमखास रहने वाले हर्षवर्धन देशमुख ने कहा कि, पवार साहब के पास हर तरह की चुनावी चुनौती व स्थिति का सामना करने की क्षमता है. साथ ही शरद पवार ने खुद अब तक कई बार अलग-अलग चुनावी चिन्ह पर चुनाव लडते हुए जीत हासिल की है. जिसका सीधा मतलब है कि, पवार साहब का अपना एक अलग जादू है, जो निश्चित तौर पर आगामी चुनाव में भी जरुर चलेगा तथा निर्वाचन आयोग के फैसले का पवार साहब के नेतृत्ववाली राकांपा पर कोई फर्क नहीं पडेगा.

* विरोध करना उनका अधिकार, लेकिन उन्हें भी गठबंधन धर्म का पालन करना होगा
वर्धा संसदीय क्षेत्र को कांग्रेस के वर्धा जिला पदाधिकारी द्वारा अपनी परंपरागत सीट बताते हुए राकांपा के दावे और हर्षवर्धन देशमुख की संभावित उम्मीदवारी का विरोध किया जा रहा है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर हर्षवर्धन देशमुख ने कहा कि, किसी भी गठबंधन में शामिल हर दल के स्थानीय पदाधिकारी प्रत्याशी तय होने से पहले तक यह चाहते हैं कि, उनका क्षेत्र उनकी ही पार्टी के कोटे में आये. इसमें कोई गलत बात भी नहीं है. ऐसे में यदि वर्धा के कांग्रेस पदाधिकारियों द्वारा वर्धा संसदीय सीट पर अपना दावा किया जा रहा है, तो यह उनका अधिकार है. लेकिन कांग्रेस भी राकांपा की तरह महाविकास आघाडी व इंडिया गठबंधन में शामिल है और यदि गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं द्वारा वर्धा संसदीय सीट को राकांपा के कोटे में दिया जाता है, तब तो कांग्रेस के वर्धा जिला पदाधिकारियों को भी गठबंधन धर्म का पालन करते हुए राकांपा प्रत्याशी के तौर पर उनकी दावेदारी का समर्थन करना होगा. साथ ही इस समय हर्षवर्धन देशमुख ने यह विश्वास भी जताया कि, वे वर्धा जिले के कांग्रेस पदाधिकारियों के सहयोग से ही लोकसभा चुनाव में सफलता प्राप्त करेंगे.

* फिलहाल लडने के लिए लड रहे, जीत का दावा नहीं
इस बातचीत में हर्षवर्धन देशमुख ने अपनी संभावित दावेदारी को लेकर बडी बेबाकी के साथ यह भी स्वीकार किया कि, चूंकि वे बहुत पहले से लोकसभा चुनाव लडने की तैयारी नहीं कर रहे, बल्कि पवार साहब के कहने पर चुनाव लडने जा रहे है. साथ ही उनके पास तैयारियों के लिए समय काफी कम है. वहीं वर्धा संसदीय क्षेत्र में कुछ हिस्से ऐसे है, जहां पर उनकी और राकांपा की पहुंच थोडी कम है. लेकिन इसके बावजूद भी धार्मांध व कट्टरवादी ताकतों को रोकने के लिए वे पूरी तरह से कटिबद्ध है. साथ ही ऐसी ताकतों का रास्तो रोकने के लिए ही वे चुनाव लडने जा रहे है. इस समय जीत को लेकर पूछे गये सवाल पर हर्षवर्धन देशमुख ने खुले मन से यह भी कहा कि, फिलहाल वे अपनी जीत को लेकर कोई दावा पेश नहीं कर रहे, बल्कि इस समय तो केवल लडने के लिए ही चुनाव लड रहे है.

* मोदी के बारे में कुछ कहूं, मैं इतना बडा नहीं
इस बातचीत के दौरान जब तीन बार विधायक व एक बार राज्य के कृषि राज्यमंत्री रह चुके हर्षवर्धन देशमुख से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे मेें उनकी राय पूछी गई, तो उन्होंने तुरंत ही जवाब देते हुए कहा कि, मोदी के बारे में कुछ कहूं, मैं अभी इतना बडा नहीं हूं. साथ ही हर्षवर्धन देशमुख ने व्यंगात्मक अंदाज में यह भी कहा कि, मोदी अपने आप में एक बडे नेता है. जिनके बारे में हम जैसे छोटे लोगों द्वारा क्या कहा जा सकता है.

* उम्र केवल एक नंबर, इससे फर्क नहीं पडेगा
इस समय हर्षवर्धन देशमुख की उम्र 73 वर्ष हो चली है और वे लोकसभा का चुनाव लडने की तैयारी कर रहे है. इस बारे में सवाल पूछे जाने पर हर्षवर्धन देशमुख ने मंद मंद मुस्कूराते हुए कहा कि, उम्र केवल एक संख्या भर होती है और शरद पवार साहब के सामने तो इस बारे में बात करने का कोई मतलब ही नहीं है. क्योंकि पवार साहब को 80 की उम्र पार करने के बावजूद भी पहले की तरह सक्रिय है. वहीं वे खुद आज भी रोजाना 5 किमी पैदल चलते है तथा पूरा दिन शिवाजी शिक्षा संस्था के कामों में व्यस्त भी रहते है. उनकी सक्रियता में आज भी कोई कमी नहीं आयी है. ऐसे में उनकी उम्र और उनके लोकसभा चुनाव लडने

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