बच्चू कडू बेहद खफां * महायुति से टूट सकते हैं संबंध
अमरावती/दि.17- अचलपुर के चार बार के विधायक तथा प्रहार जनशक्ति पक्ष के सर्वेसर्वा ओमप्रकाश उर्फ बच्चू कडू महायुति सरकार से नाराज हो गए हैं. उन्हें बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पांचसितारा होटल ताज लैंड्स में आयोजित भोज में नहीं बुलाया गया. जिससे माना जा रहा है कि प्रहार और महायुति के संबंध विच्छेद होने के पूरे चांस है. कडू ने एक भेंट में कह दिया कि भले ही उनकी छाती पर तलवार रखकर भी कहा जाए तो भी अब वे मंत्री पद की शपथ लेने से रहे. कडू ने कुछ और चर्चित विषयों पर बात की. उनकी एकनाथ शिंदे से अनबन बढ़ जाने के संकेत मिले हैं.
* मंत्री और दर्जा में फर्क
कडू ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बुधवार को कैबिनेट मंत्रियों को स्नेहभोज हेतु आमंत्रित किया था. मैं कैबिनेट मंत्री नहीं हूं. कदाचित इसीलिए मुझे नहीं बुलाया गया. कडू को कैबिनेट मंत्री की श्रेणी प्राप्त है, इस बात पर ध्यान दिलाते ही उन्होंने कहा कि श्रेणी और प्रत्यक्ष मंत्री में जमीन आसमान का अंतर है.
* कुछ भी हो जाए, शपथ नहीं
मुख्यमंत्री से बातचीत होने के प्रश्न पर कडू ने कहा कि एकनाथ शिंदे से कल ही उनकी बात हुई. बार-बार हमारी बात होती है. क्या बात हुई, यह सबको बताना जरुरी नहीं. मंत्रिमंडल विस्तार पर कोई चर्चा हुई क्या, यह पूछते ही कडू ने कहा कि अब मंत्री नहीं बनेंगे. शपथ नहीं लेंगे. ऐसी कोई पेशकश आने पर दूसरे को अवसर देंगे.
* पवार को समझना कठिन
शरद और अजीत पवार की मुलाकातों की चर्चा हो रही है. इस पर कडू ने कहा कि चाचा-भतीजा की भेंट से भ्रमित होने का कोई कारण नहीं है. प्रत्येक नेता अपने दल को मजबूत करने का प्रयत्न करते ही हैं. शरद पवार का स्वभाव समझना बहुत मुश्किल है. एक बार समुद्र की गहराई नाप सकते हैं, पवार के मन की थाह लेना संभव नहीं.
* पवार ही करेंगे भाजपा का गेम
कडू ने कहा कि भाजपा ने भले ही राकांपा का गेम करने कदम उठाए हैं, किन्तु असल में शरद पवार ही भाजपा का गेम करेंगे, ऐसी अवस्था है. जो सामने दिखाई दे रहा है, वैसा नहीं है. शरद और अजीत पवार में कोई झगड़ा नहीं है. बल्कि दोनों नेताओं में सुसंवाद है. कडू ने दावा किया कि भविष्य में दोनों का उद्देश्य एक ही है.
* अजीत सीएम बने तो…
बच्चू कडू ने अजीत पवार को सीएम बनाए जाने पर भाजपा को बुरे नतीजे भोगने होने की चेतावनी दी. कडू ने कहा कि शिंदे ने उस समय सबसे बडा जोखिम लिया जब भाजपा के साथ आने कोई तैयार न था. उन्हें दरकिनार कर अजीत दादा को मुख्मंत्री बनाए जाने का नतीजा अच्छा नहीं होगा.