निर्वाचन आयोग के फैसले से शिंदे गुट खुश, ठाकरे गुट संतप्त
अन्य राजनीतिक दलों की ओर से मिली संतुलित प्रतिक्रियाएं
अमरावती/दि.18 – शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा ठोकते हुए उद्धव ठाकरे तथा एकनाथ शिंदे गुट के बीच विगत करीब 6 माह से लडाई चल रही थी और इस लडाई का पटापेक्ष गत रोज उस समय हुआ जब निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी के नाम व चुनावी चिन्ह का असली दावेदार माना. निर्वाचन आयोग द्बारा सुनाए गए इस फैसले के चलते यह स्पष्ट हो गया है कि, अब एकनाथ शिंदे वाला गुट ही असली शिवसेना है और पार्टी का चुनावी चिन्ह धनुष्यबाण भी शिंदे गुट के पास रहेगा. इस फैसले से अब तक बालासाहब की शिवसेना के तौर पर पहचान रखने वाले शिंदे गुट में जबर्दस्त हर्षोल्लास का वातावरण है. वहीं उद्धव ठाकरे गुट मेें शिवसेना के तौर पर पहचान व चुनावी चिन्ह तीर-कमान के हाथ से चले जाने के चलते मायूसी व रोष का आलम है. वहीं अन्य राजनीतिक दलों ने इस मामले को लेकर अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से संतुलित प्रतिक्रियाएं दी है.
अरुण पडोले
* बालासाहब के विचारों व सच्चे शिवसैनिकों की जीत
बालासाहब की शिवसेना यह बालासाहब ठाकरे के विचारों पर चलने वाली पार्टी है. जनता ने हमे स्पष्ट बहुमत दिया है. जिसे ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने हमे पार्टी का नाम और चुनावी चिन्ह दिया है. देर से ही सही लेकिन हमे हमारा हम मिला है. हमे धनुष्यबाण चुनावी चिन्ह मिलना यह बालासाहब ठाकरे के विचारों की जीत है और इस जीत के मुख्य शिल्पकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे है.
– अरुण पडोले,
जिलाध्यक्ष, बालासाहब की शिवसेना
* आखिर सच और हक की जीत हुई
निर्वाचन आयोग के फैसले से आखिरकार सच और हक की जीत हुई है. इस देश में लोकतंत्र है और राजनीतिक दलों व संगठनों में भी लोकतंत्र का रहना जरुरी है. परंतु कुछ लोगों ने राजनीतिक दलों में परिवारवाद घुसाकर संगठन को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाना शुरु कर दिया था. ऐसे में निर्वाचन आयोग ने पार्टी के सच्चे कार्यकर्ताओं को पार्टी का असली दावेदार बताकर एतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले के जरिए वंदनीय बालासाहब ठाकरे व उनके विचारों के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाले सर्वसामान्य शिवसैनिकों की भावनाओं का सम्मान हुआ है. इसके साथ ही अब शिवसेना में फाइव स्टार कल्चर खत्म होगा तथा शिवसेना पहले की तरह आम शिवसैनिकों की रहेगी.
– संतोष बद्रे,
महानगर प्रमुख, बालासाहब की शिवसेना
* उदधव ठाकरे है हमारी पार्टी और चुनावी चिन्ह
निर्वाचन आयोग द्बारा दिया गया फैसला काफी धक्कादायक है. इस समय किस पर भरोसा रखा जाए, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है. इस समय शिवसैनिकों ने किसी भी तरह के फैसले से बिना घबराए एक ही बात को ध्यान में रखना चाहिए कि, अब हमारी पार्टी और चुनावी चिन्ह उद्धव बालासाहब ठाकरे है. क्योंकि वे ही शिवसेना के असली वारिस है.
– पराग गुडधे,
महानगर प्रमुख, ठाकरे गुट
* आज चुनाव करवा लो, असलीयत समझेंगी
हाल ही में हुए चुनाव में भाजपा को दबाव तंत्र वाली राजनीति का फल भुगतना पडा. यहीं वजह है कि, भाजपा द्बारा महानगरपालिका, जिला परिषद व नगर परिषद के चुनाव करवाने में टाल मटोल की जा रही है. क्योंकि इस समय जनमत किस तरफ है. यह उन्हें अच्छे से पता है. यहीं वजह है कि, निर्वाचन आयोग पर दबाव डालकर फैसले को शिंदे गुट के पक्ष में मोडा गया. लेकिन हमे किसी पार्टी के नाम या चुनावी चिन्ह की जरुरत नहीं है. बल्कि हम उद्धव बालासाहब ठाकरे के नाम पर ही जीत हासिल कर सकते है.
– श्याम देशमुख,
जिला प्रमुख, ठाकरे गुट
* अब जनता करेगी सही फैसला
संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पहले निर्वाचन आयोग द्बारा इस मामले में फैसला नहीं सुनाया जा सकता. लेकिन इसके बावजूद भी निर्वाचन आयोग ने फैसला सुनाया. जिससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रभावित हो सकता है, ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि, क्या हमारा देश अब तानाशाही की ओर बढ रहा है. हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने के साथ-साथ जनता की अदालत में भी जाएंगे और महाराष्ट्र की जनता ही इस मामले का अब सही फैसला करेगी.
– सुनील खराटे,
जिला प्रमुख, ठाकरे गुट
* दुर्भाग्यजनक फैसला
निर्वाचन आयोग द्बारा सुनाए गए फैसले को पूरी तरह से दुर्भाग्यजनक व निराशाजनक फैसला कहा जा सकता है. शिवसेना पर उद्धव बालासाहब ठाकरे का ही स्वाभाविक व नैतिक अधिकार है, जो आगे भी बना रहेगा. यह बात सभी जानते है और इसका फैसला महाराष्ट्र की जनता द्बारा अगले चुनाव में निश्चित तौर पर किया जाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं है.
– सुधीर सूर्यवंशी,
संपर्क प्रमुख, ठाकरे गुट
* पूर्व नियोजित था फैसला
इस मामले में क्या फैसला आएगा यह लगभग पहले से तय था. एक बार समझ से परे है कि, जो मामला पहले ही देश की सबसे बडी अदालत के सामने विचाराधीन है. उसे लेकर निर्वाचन आयोग कैसे फैसला सुना सकता है. जिस देश में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर राजनीति की जाती है और खबर प्रकाशित होते ही बीबीसी पर आयकर विभाग का छापा मारा जाता है. उस देश में न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है.
– अनंत गुढे,
पूर्व सांसद, ठाकरे गुट
* यह तो सीधे-सीधे सत्ता का दुरुपयोग
भाजपा द्बारा सत्ता का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है. यह बात पूरा देश जान रहा है और समझ भी रहा है. इस समय पूरी राजनीति दबाव तंत्र के हिसाब से चल रही है. निर्वाचन आयोग को इस मामले में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं था. क्योंकि यह मामला न्यायप्रविष्ट है. परंतु इस बावजूद यह निर्णय दिया गया. जिससे निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग गया है. हम आगे भी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना के तौर पर काम करेंगे तथा आगे चलकर यह भी साबित करके दिखाएंगे कि, हमारी पार्टी ही बालासाहब ठाकरे की असली शिवसेना है.
– ज्ञानेश्वर धाने पाटिल,
पूर्व विधायक, ठाकरे गुट
* लोकतंत्र का खुला अपमान
इस फैसले के जरिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने सीधे-सीधे संविधान और लोकतंत्र का खुला अपमान किया है. वंदनीय बालासाहब ठाकरे ने काफी मेहनत से शिवसेना को खडा किया था और शिवसेना के विचार लाखों शिवसैनिकों तक पहुंचाए थे. भले ही हमसे पार्टी का नाम और चुनावी चिन्ह छीन लिया गया है. लेकिन हमसे बालासाहब के विचार और संस्कार कोई नहीं छीन सकता. साथ ही अगले चुनाव में इस बात का भी जवाब मिल जाएगा कि, असली कौन है और नकली कौन है.
– धीरज श्रीवास,
पदाधिकारी, ठाकरे गुट
* ठाकरे नाम का ब्रांड अब भी बाकी
निर्वाचन आयोग का निर्णय बेहद अन्यायकारक है. यह देश के इतिहास का काला दिन है. यह जनता का शिव धनुष्य है, जिसे उठाना सामान्य लोगों की बस की बात नहीं है. साफ दिखाई दे रहा है कि, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को प्रभावित करने हेतु निर्वाचन आयोग का यह निर्णय लाया गया है. यद्यपि उद्धव ठाकरे के पास से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह चले गए है. लेकिन बालासाहब और ठाकरे नाम का ब्रांड अब भी बचा हुआ है, जो उनसे कोई भी छीन नहीं सकता है. देश में इस समय अघोषित आपातकाल चल रहा है. जिसके खिलाफ सभी विरोधी दलों ने एकसाथ आकर संघर्ष करना चाहिए.
– एड. यशोमति ठाकुर,
पूर्व मंत्री व विधायक (कांग्रेस)
* बालासाहब के विचारों पर लगी मुहर
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने बेहतरीन फैसला दिया. इस फैसले के चलते बालासाहब ठाकरे द्बारा स्थापित की गई शिवसेना के मुल विचारों पर चलने वाले लोग कौन है, यह तय हो गया है. एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी और पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष्यबाण दिया गया है. यह अपने आप में बेहद शानदार व एतिहासिक निर्णय है.
– डॉ. अनिल बोंडे,
राज्यसभा सांसद (भाजपा)
* यह तो उद्धव ठाकरे के साथ अन्याय है
केंद्रीय निर्वाचन आयोग के निर्णय पर बोलना वैसे तो योग्य नहीं होगा, लेकिन इस निर्णय के चलते उद्धव ठाकरे पर अन्याय हुआ है. ऐसा जरुर लग रहा है. शिवसेना का नाम और चुनावी चिन्ह उद्धव ठाकरे को ही मिलना चाहिए था. पर ऐसा नहीं हो पाया, इसका अफसोस है.
– सुलभा खोडके,
विधायक (कांग्रेस)
* देर से सही, पर योग्य निर्णय
यह फैसला तो काफी पहले आना अपेक्षित था. देर से ही सही लेकिन योग्य निर्णय हुआ है. केंद्रीय निर्वाचन आयोग के इस फैसले से सभी का समाधान हुआ है. इस मामले में क्या निर्णय आएगा. इसका पहले से अंदाजा था. ऐसे में फैसला जल्द आने की उम्मीद थी.
– रवि राणा,
विधायक (निर्दलिय)
* सबको पता है शिवसेना किसकी है
यद्यपि केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने सत्ता पक्ष के दबाव में आकर फैसला सुनाया है. लेकिन इस फैसले का आगामी चुनाव पर कोई असर नहीं पडेगा. क्योंकि महाराष्ट्र सहित पूरा देश जानता है कि, असली शिवसेना कौन है और शिवसेना के असली दावेदार कौन है. ऐसे में भले ही चुनावी चिन्ह व नाम छीन गया हो, परंतु महाराष्ट्र की जनता हमेशा ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ बनी रहेगी.
– डॉ. सुनील देशमुख,
पूर्व पालकमंत्री (कांग्रेस)
* लोकतंत्र नहीं बचा
देश में अब लोकतंत्र नहीं बचा है तथा संघ व भाजपा की दहशत व दबाव के तहत सारे निर्णय लिए जा रहे है. न्यायपालिका निर्वाचन आयोग व जांच एजेंसियों द्बारा केवल भाजपा व संघ के इशारे पर काम किया जा रहा है. सबसे बडा सवाल यह है कि, इस मामले में चुनाव चिन्ह को ‘फ्रिज’ क्यों नहीं कर दिया गया. इस फैसले से उद्धव ठाकरे पर कोई फक्र नहीं पडने वाला है. साथ ही आगामी सभी चुनावों में महाविकास आघाडी अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है.
– बबलू देशमुख,
जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
* निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल
केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्बारा दिए गए फैसले की वजह से खुद निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है. इस फैसले के चलते सुप्रीम कोर्ट का निर्णय प्रभावित होने की पूरी संभावनाएं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रहने के दौरान इस निर्णय का आना बिल्कूल भी न्याय संगत नहीं है.
– मिलिंद चिमोटे,
प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
* यह तो होना ही था, फैसले पर कोई आश्चर्य नहीं
इन दिनों देश में अदालतों व जांच एजेंसियों द्बारा जिस तरह से सत्तापक्ष के दबाव में आकर काम किया जा रहा है. उसे देखते हुए निर्वाचन आयोग से इसी तरह का फैसला आने की उम्मीद थी. ऐसे में इस फैसले को लेकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ है. देश में जब तक मोदी व शाह की बेंच बैठी हुई है, तब तक इसी तरह के फैसले आएंगे.
– एड. दिलीप एडतकर,
प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
* अयोग्य व गलत निर्णय
यह निर्णय पूरी तरह से अयोग्य व गलत रहने के साथ ही लोकतंत्र के लिए घातक है. यदि सत्तापक्ष के दबाव में आकर इसी तरह के फैसले होते रहे, तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगा. यह बात धीरे-धीरे सभी को समझ में आ रही है. ऐसे में अगले चुनाव के वक्त महाराष्ट्र व देश की जनता सत्ता के मद में चूर लोगों और राजनीतिक दलों को सबक सिखाएगी.
– बबलू शेखावत,
शहराध्यक्ष, कांग्रेस
* अलोकतांत्रिक फैसला
वंदनीय बालासाहब ठाकरे ने बडे परिश्रम और कडे संघर्ष से शिवसेना को खडा किया तथा उनके आशीर्वाद से ही शिवसेना में कई लोग नेता बने. परंतु इनमें से कुछ ने आगे चलकर पार्टी को धोखा देने का काम करने के साथ पूरी पार्टी को ही हाईजेक कर लिया और इस काम में केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने अलोकतांत्रिक फैसला सुनाकर शिंदे गुट का साथ दिया है. यह एक गलत परंपरा है.
– विलास इंगोले,
पूर्व महापौर, कांग्रेस
* गलत है आयोग का फैसला
राजनीति में समय के साथ बदलात होते रहता है. लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि, बडे परिश्रम के साथ निर्माण की गई व्यवस्था को कोई भी आकर तकनीकों का आधार लेकर छीन ले. यह तो सीधे-सीधे लोकतंत्र के नियमों के खिलाफ किया गया काम है और केंद्रीय निर्वाचन आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए घातक कहा जा सकता है.
– किशोर बोरकर,
प्रदेश सचिव, कांग्रेस
* पक्षपातपूर्ण है फैसला
साफ दिखाई दे रहा है कि, निर्वाचन आयोग द्बारा सत्तापक्ष के दबाव मेें आकर पक्षपातपूर्ण फैसला दिया गया है. जिसके खिलाफ निश्चित रुप से उद्धव ठाकरे गुट द्बारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी जाएगी. कोई भी पार्टी विधायकों के दम पर नहीं चलती, बल्कि पार्टी का संचालन संगठन सदस्य, केंद्रीय पदाधिकारी व अध्यक्ष या प्रमुख द्बारा किया जाता है. परंतु इसके बावजूद केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्बारा विधायक गुट को पार्टी का दावेदार बताया जाना दुर्भाग्यजनक फैसला है.
– संजय खोडके,
प्रदेश उपाध्यक्ष, राकांपा
* कोई फक्र नहीं पडेगा
केंद्रीय निर्वाचन आयोग के फैसले से उद्धव ठाकरे पर कोई भी फक्र नहीं पडेगा. पार्टी से ज्यादा महत्व नेता का होता है. यह बात आगामी चुनाव में एक बार फिर स्पष्ट हो जाएगी. जब जनमत उद्धव ठाकरे के पक्ष में खडा रहेगा.
– संगीता ठाकरे,
जिलाध्यक्ष, राकांपा महिला आघाडी
* स्वागत योग्य निर्णय
लोकतंत्र में बहुमत को सर्वपरी माना जाता है. वर्ष 2019 में महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा व शिवसेना युती को स्पष्ट बहुमत दिया था. लेकिन भाजपा को धोखा देने के साथ ही जनादेश का अनादर करते हुए उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस व राकांपा के साथ जाकर अलोकतांत्रिक पद्धति से सरकार स्थापित की थी. इस समय बालासाहब की शिवसेना व भाजपा के साथ जनता का जनमत और बहुमत है. ऐसे में निर्वाचन आयोग ने स्वागतयोग्य निणर्य दिया है.
– किरण पातुरकर,
शहराध्यक्ष, भाजपा
* हिंदूत्व का विचार आगे बढेगा
जिस दिन उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस से युती की थी. उसी दिन उनका शिवसेना के नाम पर धनुष्यबाण के चुनावी चिन्ह पर नैतिक अधिकार खत्म हो गया था. साथ ह निर्वाचन आयोग ने आज शिवसेना को धनुष्यबाण को योग्य व्यक्ति के हवाले किया है. निर्वाचन आयोग के इस फैसले से हिंदूत्व की विचारधारा को बल मिलेगा.
– तुषार भारतीय,
प्रदेश सदस्य, भाजपा
* अपने कर्मों का फल भुगत रहे उद्धव
उद्धव ठाकरे ने जिस तरह से धोखेबाजी करते हुए सरकार बनाई थी और श्रद्धेय बालासाहब ठाकरे की हिंदूत्ववादी विचारधारा का अपमान किया था. आज उसी का परिणाम उद्धव ठाकरे को भुगतना पड रहा है. निर्वाचन आयोग द्बारा दिए गए फैसले से बालासाहब ठाकरे के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी हिंदूत्व प्रेमियों में खुशी की लहर है.
– प्रा. दिनेश सूर्यवंशी,
प्रदेश सदस्य, भाजपा
* यह तो होना ही था
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास सर्वाधिक विधायक व सांसद है. साथ ही उनके पास महाराष्ट्र की जनता का व्यापक समर्थन भी है. इसी आधार पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए उन्हें पार्टी का चुनावी चिन्ह धनुष्यबाण बहाल किया है. इसके साथ ही उद्धव ठाकरे को एक तरह से उनकी कर्मों का फल भी मिल गया है. क्योंकि उद्धव ठाकरे ने विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गद्दारी करने के साथ ही जनादेश का भी अपमान किया था.
– निवेदिता चौधरी,
जिलाध्यक्ष, भाजपा
* सत्ता का खुला दुरुपयोग
शिवसेना किसकी है, यह बात पूरे देश में हर एक व्यक्ति को पता है. साथ ही निर्वाचन आयोग के फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि, भाजपा द्बारा किस तरह से सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है. इस फैसले के जरिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग की भूमिका भी संदेह व सवाल के घेरे में और इस फैसले की वजह से लोगों के विश्वास को ठेस पहुंची है. ऐसे में इस फैसले का जवाब महाराष्ट्र की जनता द्बारा अगले चुनाव में निश्चित तौर पर दिया जाएगा.
– नीलेश विश्वकर्मा,
प्रदेशाध्यक्ष, युवा वंचित आघाडी