अमरावती

‘शिंदे-शाही’ ने डाला सभी को हैरत में

नई सरकार को लेकर मिल रही अलग-अलग प्रतिक्रियाएं

अमरावती/दि.1- विगत दस दिनों से राज्य में सत्ता को लेकर काफी घमासान मचा हुआ था. जिसका गत रोज पूरी तरह से पटापेक्ष हो गया. लेकिन इस सियासी ड्रामे का अंत भी काफी उथल-पुथल वाला रहा और ऐन समय पर नई सरकार में मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस की बजाय एकनाथ शिंदे का नाम सामने आया और यह घोषणा भी खुद देवेंद्र फडणवीस ने ही की. जिससे सभी भौचक्के रह गये. शिंदे का नाम सीएम पद के लिए आगे करने के साथ ही फडणवीस ने कहा था कि, वे इस सरकार में खुद कोई भूमिका नहीं निभायेंगे, परंतु बाद में उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का ‘आदेश’ जारी किया. जिसके पश्चात दोनोें ही नेताओें ने बीती शाम राजभवन में राज्य के नये सीएम व डेप्यूटी सीएम के तौर पर पद व गोपनियता की शपथ ली. ऐसे में अब राज्य में ‘शिंदे-शाही’ के रूप में सत्ता का नया पर्व शुरू हो गया है. इस सरकार का कामकाज कैसा रहेगा और ढाई वर्ष के लिए बनी यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पायेगी अथवा नहीं, इसे लेकर अभी से ही चर्चाओं व कयासों का दौर शुरू हो गया है. साथ ही इसे लेकर राजनीतिक क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले जानकारों द्वारा अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दी जा रही है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्य विधानसभा का हिस्सा रहनेवाले अमरावती जिले के विधायकों का भी मानना है कि, राज्य के राजनीतिक पटल पर अकस्मात उभरी इस सरकार का चलना काफी मुश्किल रहेगा.

* नई सरकार को बधाई, लेकिन काम करे सरकार
अमरावती निर्वाचन क्षेत्र की विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, महाविकास आघाडी सरकार काफी अच्छे ढंग से काम कर रही है. लेकिन शिवसेना में हुई बगावत के चलते सरकार जाती रही. आघाडी सरकार के गिरने में कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन चूंकि अब सरकार बदल गई है, तो नई सरकार व नये मुख्यमंत्री को बधाई दी जा सकती है. साथ ही यह अपेक्षा भी जताई जा सकती है कि, नई सरकार द्वारा जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए बेहतरीन तरीके से काम किये जायेंगे.
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* भाजपा का फैसला रहा समझ से परे
दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक बलवंत वानखडे का मानना है कि, शिवसेना में बगावत होने और सरकार के अस्थिर होने के बाद से यह माना जा रहा था कि, नई सरकार में मुख्यमंत्री पद का जिम्मा देवेंद्र फडणवीस को ही मिलेगा. लेकिन भाजपा ने एक तरह से उनका ‘डिमोशन’ करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की बजाय उपमुख्यमंत्री बना दिया है. जब पिछली बार फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तो एकनाथ शिंदे को फडणवीस के ‘अंडर’ काम करना पडता था. वहीं अब खुद फडणवीस को एकनाथ शिंदे के ‘अंडर’ काम करना पडेगा. यह एक तरह से किसी सिनियर द्वारा अपने ज्युनियर के हाथों के नीचे काम करने की तरह है. ऐसे में साफ लगता है कि, फडणवीस का खेमा इससे संतुष्ट नहीं रहेगा और आगे चलकर सरकार चलाने में दिक्कतें पेश आयेंगी.
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* आम जनता के मुद्दों को मिले पहली प्राथमिकता
मोर्शी-वरूड निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय विधायक देवेंद्र भूयार का इस पूरे मामले को लेकर कहना रहा कि, सरकारों का आना-जाना, सत्ता परिवर्तन होंगे या किसी पार्टी में बगावत होना कोई नई बात नहीं है, यह सब चलता रहता है. लेकिन इन सबके चक्कर में आम जनता के हितों की व समस्याओं की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. अब चूंकि राज्य में नई सरकार का गठन हो चुका है. ऐसे में हमारी नई सरकार से केवल इतनीही अपेक्षा है कि, अब राजनीतिक मुद्दों को परे रखते हुए आम जनता के मुद्दों को प्राथमिकता मिले तथा जनता की समस्याओं और तकलीफों को हल किया जाये.
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* फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी
पूर्व जिला पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख का इस विषय को लेकर मानना है कि, विगत दस दिनों से जिस तरह बडी तेजी के साथ राजनीतिक उथल-पुथल हुई और ऐन समय पर मुख्यमंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे का नाम आगे किया गया एवं कभी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया, यह सब बेहद अनपेक्षित था. ऐसे में इन सभी राजनीतिक घटनाओं और इसके भविष्य में पडनेवाले परिणामों का अभी तुरंत आकलन करना, थोडा जल्दबाजीवाला काम होगा. यह तो तय है कि, शिवसेना से बगावत करनेवाले शिंदे गुट की महत्वाकांक्षाएं इस समय काफी अधिक है, जो भाजपा के लिए आगे चलकर चुनौती व सिरदर्द भी साबित हो सकती है. ऐसे में फिलहाल स्थिति पर नजर बनाये रखते हुए उस बातों का इंतजार करना ही बेहतर रहेगा.

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