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गुंबद पर केसरिया लेकर चढे थे अमरावती के शिवसैनिक संजय

22 कारसेवकों के साथ दोनों बार गए अयोध्या

* 10 दिसंबर की रात पंचवटी पर हुआ स्वागत
अमरावती/दि.10- भगवान श्रीराम के भव्य-दिव्य मंदिर साकार होकर अब से 11 दिन पश्चात विधिविधान से प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इस बात पर नगर के लाखों राम भक्त प्रसन्न हैं. उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं. उनमें सर्वाधिक प्रसन्न कोई है तो कहा जा सकता है राधानगर निवासी संजय श्रीराम जी उमेकर. अपने भाई अनिल और मधुकर उमेकर उसी प्रकार परिसर के 20-22 शिवसैनिकों के साथ दोनों बार अयोध्या जानेवाले संजय उमेकर ढांचे के गुंबद पर सब्बले में केसरिया झंडा लेकर चढे थे. फिलहाल शहर के एक निजी अस्पताल में उपचार करवा रहे 57 बरस के संजय उमेकर ने अमरावती मंडल से बातचीत में उस समय का घटनाक्रम बतलाया. अभी भी उन्हें लगभग सभी बात, वाकया, चीजें याद हैं. किस प्रकार वे और साथी अयोध्या पहुंचे. ग्रामिणों ने और उपजिलाधिकारी स्तर के अधिकारी ने उन्हें सहायता की.
* घर में संघ के संस्कार
उमेकर के पिता श्रीराम जी आरएसएस के जिला कार्यवाह रह चुके हैं. अत: लडकपन से ही घर में संघ के संस्कार संजय को प्राप्त हुए. अत: जब 1990 और 1992 में अयोध्या जाने का आहवान हुआ तो शिवसैनिक उमेकर बंधु भी जाने के लिए उद्यत हुए. घर से अनुमति लेकर संजय उमेकर, अनिल उमेकर, राजू देशमुख, विजय कोठार, प्रशांत कालबांडे, संजय इंगले, संजय मते आदि 22 युवा शिवसैनिक ने अमरावती से नागपुर और वहां से अयोध्या प्रस्थान किया.
* कल्याण सिंह के साथ काटी जेल
उमेकर ने बताया कि 1990 में 30 अक्तूबर की कारसेवा के लिए वे लोग गए. उस समय यूपी में मुलायमसिंह यादव की सरकार थी. इसलिए कारसेवकों को यूपी की सीमा पर ही बकायदा ट्रेनें रोककर उतार दिया गया. उन्हें अस्थायी जेलों में रखा गया. फिर नैनी जेल में स्थानांतरित किया गया. इस जेल में अमरावती के इन कारसेवकों के संग तत्कालीन विपक्ष के नेता कल्याणसिंह को भी रखा गया था. उस समय मनोरंजन के अधिक साधन नहीं थे. अत: खेलकूद और कीर्तन कर समय गुजारा करते. उमेकर ने बताया कि कल्याणसिंह के साथ उन लोगों ने कबड्डी, वालीबॉल खेली.
* दूसरी बार प्रण लेकर गए
उमेकर ने कहा कि लगभग 30-32 वर्ष हो गए हैं. फिर भी जब 1992 में कारसेवा के लिए आहवान हुआ तो इस बार भी वे और उनके बंधु और सहयोगी शिवसैनिक अयोध्या कूच करने तैयार हो गए थे. उनके अयोध्या पहुंचने में इस बार कोई रोडा न था. वे प्रण कर गए थे. विवादित ढांचे के पास संजय उमेकर को भारी भीड और आपाधापी को पार कर जाने का मौका मिल गया.
* रस्सी से चढे गुंबद पर
उस समय 25-26 वर्ष के रहे शिवसैनिक संजय उमेकर ने अवसर मिलते ही गुंबद पर रस्सी के सहारे चढ गए. अपने साथ वे सब्बल ले गए थे. लोहे की इस रॉड में उन्होंने केसरिया झंडा लगा रखा था. यह सब्बल उन्हें ढांचा गिराने में उपयोगी रहा. संजय बताते हैं कि एक गुंबद ढहाने के बाद वे 5-6 अंजान कारसेवकों के साथ आगे दूसरे गुंबद पर भी चढे. वहां से फिसलकर गिरे. मिट्टी से सराबोर हो गए थे.
* सिर पर सात टाके
गुंबद से गिरने के कारण संजय उमेकर लहूलुहान हो गए. सिर पर चोट आई थी. खून बह रहा था. मिट्टी से भी भरे थे. ऐसे में श्रीवास्तव (नाम ठीक से याद नहीं) नामक अधिकारी देवदूत बनकर आया. उन्होंने उमेकर की सहायता की. उनकी मरहम पट्टी की गई. सिर के घाव पर सात टाके लगाने पडे थे. उसी प्रकार सीधा हाथ भी फ्रैक्चर हो गया था.
* अधिकारी के घर मिष्ठान्न
उमेकर ने बताया कि ढांचा गिरने से अयोध्या के लोग बडे प्रसन्न हो गए थे. वे भी जिस अधिकारी के घर ठहरे थे वहां घर में मिष्ठान्न बनाया गया था. उन्हें भी दिया गया. दो दिनों तक वहां उपचार करवाकर वे साथियों संग लौटे. (शेष अगले अंक में)

* जयंत यादगीरे ने बतलाए अनुभव
कारसेवक जयंत यादगीरे ने आज पूर्वान्ह अमरावती मंडल से बातचीत में अयोध्या में हुए घटनाक्रम के बारे में बतलाया. यह बातचीत पृथ्वी ट्रेवल्स के कार्यालय में हुई. इस दौरान संजय चव्हाण, बसरिया जी, प्रवीण वैश्य, देशपांडे, गजानन मारुडकर, पाटिल आदि उपस्थित थे. यादगीरे ने अयोध्या के अनुभव संक्षेप में बतलाए. उन्होंने बताया कि वे और उनके साथियों ने विधायक जगदीश गुप्ता के आहवान पर अयोध्या कूच किया. उनके संग केतन पाठक, शेखर जगदाले, अरुण गुडधे, रवि पाठक, विकास चौधरी, विलास हलवे, वसंतराव मारुडकर आदि अनेक भी थे. लगभग 150 कारसेवक गए थे. उन्हें इलाहाबाद से पहले ही अडा दिया गया था. वहां भागादौडी मची. सब तिरतबितर हो गए. बिछड गए. जयंत यादगीरे ने कहा कि अटल जी, आडवानी जी, सिंघल जी के विचारों से प्रेरित होकर अयोध्या में कारसेवकों का रेला उमडा था. इन नेताओं के भाषण चल रहे थे. उसी समय गुंबद पर चढे कोठारी बंधुओं पर गोलियां दाग दी गई. जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया. यादगीरे ने बताया कि अनेक घायलों को बचाने का प्रयत्न उन्होंने साथियों के साथ मिलकर किया.

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