अमरावतीमहाराष्ट्र

33 साल बाद अमरावती में शिवसेना का उम्मीदवार नहीं होगा

मुंंबई के बाद अमरावती में विस्तार पर जोर

* हर गांव में शाखाओं का जाल
अमरावती/दि.30– अमरावती जिला और शिवसेना यह काफी पुराना रिश्ता है. बालासाहेब का पैतृक गांव अचलपुर था. उन्होंने अचलपुर में बचपन भी बिताया था. इस कारण शिवसेना की मुंबई में स्थापना होने के बाद अमरावती में बडी संख्या में शाखा स्थापित कर विस्तार भी उन्होंने किया था. 1991 से 2019 के दौरान अमरावती लोकसभा में शिवसेना के उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में अमरावती से शिवसेना का उम्मीदवार नहीं रहेगा.

1995 में भाजपा -शिवसेना गठबंधन होने के बाद अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना को मिला था. 1999 तक लगातार शिवसेना के उम्मीदवार अमरावती के चुनावी रणसंग्राम में कायम थे. लेकिन सांसद नवनीत राणा ने आनंदराव अडसूल को 2019 में पराजित किया था. पश्चात राज्य में शिवसेना ने भाजपा का साथ छोडकर कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सत्ता स्थापित की थी और उध्दव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. पश्चात एकनाथ शिंदे ने बगावत कर शिवसेना दो फाड कर दी. भाजपा की सहायता से शिंदे मुख्यमंत्री हुए. विधायक और सांसदों को उध्दव ठाकरे से अलग किया. अब धनुष्यबाण शिवसेना पार्टी एकनाथ शिंदे को चुनाव आयोग ने सौंपी है. राजनीतिक परिस्थिति बदलते ही भाजपा ने अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अपने खेमे में खींच लिया है. निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को उम्मीदवारी घोषित की है. वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला होने की संभावना है. भाजपा- शिवसेना गठबंधन में अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र यह परंपरागत शिवसेना को मिलता था. लेकिन इस दफा पहलीबार अमरावती लोकसभा चुनाव के प्रचार से शिवसेना का नाम हट जाने पर पुराने शिवसैनिकों ने निराशा व्यक्त की है.

* सामान्य को बनाया विधायक, सांसद
– मुंबई में शिवसेना को मजबूत किया जाता रहते बालासाहब ठाकरे ने अमरावती जिले में शिवसेना के विस्तार को प्राथमिकता दी.
– कोई भी राजनीतिक संबंध न रहते सामान्य कार्यकर्ताओं को विधायक और सांसद बनाया. यह जादू केवल बालासाहब ठाकरे की शिवसेना में दिखाई दिया. 1995 में ज्ञानेश्वर धाने पाटिल (बडनेरा), प्रकाश भारसाकले (दर्यापुर) और संजय बंड (वलगांव) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे.
– 1991 से 2009 की कालावधि में अनंत गुढे तथा 2009 से 2014 के दौरान आनंदराव अडसूल शिवसेना के सांसद थे.

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