अमरावती

शिव प्रभू भक्त के प्यार के भुखे है

गुरु मां ने बताया भोलेनाथ का चरित्र

* देवकरन नगर में शिवमहापुराण कथा
अमरावती/ दि.11 – ‘वंदे वंदम दुष्ट मानस मति प्रेम प्रियम प्रेमतम’ मतलब वह जो सिर्फ वंदन करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे देवों के देव हैं शिव. वे सिर्फ भक्त प्रेम के प्यासे हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए कुछ नहीं करना होता. सिर्फ पूरे भक्तिभाव से उन्हें प्रणाम करना और उनकी वंदना गाना ही काफी है. जरुरी नहीं कि, आपकी आवाज सुरीली ही हो, जैसी आवाज में बन पड़े अपने मुख से उनकी थोड़ी उपासना करें और आराधना करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं. मंगलाचरण के इस श्लोक से गुरुमां ने भोलेनाथ का भोला चरित्र समझाया. देवरणकर नगर में शिवपुराण के 5वें दिन गुरुमां चैतन्य मीरा ने श्रीकृष्ण उपमन्यु संवा, प्रणवध्यान विधि और पंचाक्षर मंत्र का महातम्य समझाया.
शुक्रवार को 261 अध्याय, 7 संहिताएं और 24000 श्लोक वाली शिवमहापुराण कथा में दूसरी संहिता के चौथे खंड में प्रवेश किया. गुरुमां ने कथा में उपस्थित सभी भक्तों से प्रणवध्यान करवाया, जिसके बाद पंडाल में सर्वत्र सन्नाटा फैल गया, लोग भी पहले के मुकाबले शांत दिखाई दिए. इस स्थिति को समझाते हुए मां ने महाभारत का दृष्टांत दिया और कहा कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि, अभ्यास करने से होगा, रोज करने से होगा, आपके लिए भी वही सलाह है. जिसके बाद आपकी यह स्थिति सदा के लिए हो जाती है. उन्होंने कहा हमारे भोलेनाथ ऐसे हैं कि, वंदना करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं. उन्हें भक्तों का प्रेम ही प्रिय है. सारे भगवान जिनके यहां चाकरी करते हैं. ऐसे भगवान हैं शिव.
उनके पास दुनिया के सारे ऐश्वर्य हैं, नहीं है तो सिर्फ प्रेम. इसलिए आप उन्हें जितना प्रेम दोगे वह आपको उसका कई गुना देंगे. यह गणित सिर्फ भोलेनाथ के साथ ही लागू नहीं होता, बल्कि दुनिया के हर व्यक्ति के साथ लागू होता है. शिव स्वयंपूर्ण हैं और हमारी सारी इच्छाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं. मांगा उसी से जाता है जो पहले से ही संतुष्ट है. इसलिए शिव हमारी साधना में पूर्णता लाते हैं. जिस दिन आपका ओम पूर्ण हो जाएगा, आप शिव स्वरूप हो जाएंगे. जब कुछ नहीं था तब भी वे हैं, जब कुछ नहीं होगा तब भी होंगे, जो तीनों कालों मे अभाजित है वह सत्य स्वरूप हैं शिव. विष्णु और ब्रम्हा जिनकी निरंतर वंदना करते हैं और जिसने अपनी इच्छा के चलते निराकार से साकार बनने का संकल्प किया है. ऐसे नित्य सत्य, चैतन्य स्वरूप शिव को हमारा बारंबार नमस्कार. काशी विश्वेश्वर शिवशंभु से प्रार्थना करें कि, शरीर रहते हुए हमें शरीर से अलग कर दें. मन रहते हुए हमें मन से अलग कर दें और हम अपने शुद्ध स्वरूप में अपने आप को जान सकें.आयोजन के मुख्य यजमान कमलकिशोर मालाणी, सुषमा मालाणी व संपूर्ण परिवार और स्वागताध्यक्ष चंद्रकुमार जाजोदिया हैं. शुक्रवार के दैनिक यजमान डॉ. राजेंद्र सत्यनारायण करवा, राजश्री करवा, रोशन करवा, मोनाली करवा और प्रसादी यजमान दिलीप पोपट (रघुवीर मिठाइयां) रहे. इस दिन चेम्बर ऑफ कॉमर्स की ओर से विनोद कलंत्री व कार्यकारिणी, रामधनी परिवार के रमेश मालाणी व कार्यकारिणी, जिला माहेश्वरी संगठन के सूर्यप्रकाश मालाणी व कार्यकारिणी, सिकवाल परिवार से श्रीकिसन व्यास व कार्यकारिणी, श्री माहेश्वरी महिला मंडल रानी करवा, संगीता टवाणी, सोनाली राठी, कृष्णा राठी, रामदेवबाबा महिला मंडल सावित्री लढ्ढा व कार्यकारिणी, अमरावती तेजस्विनी की समस्त कार्यकारिणी, हेलो अमरावती साइकिलिंग ग्रुप और सिंधी समाज के गुरू साईं संतोद्दिन नवलानी (शिवधारा आश्रम) द्वारा गुरुमां कास्वागत-सत्कार किया गया. संचालन अशोक जाजू ने किया. कथा में पवन जाजोदिया, अमित मंत्री, संजय अग्रवाल, नीलेश अग्रवाल, वीरेंद्र शर्मा, संजय भुतड़ा, सुनील मंत्री, रोशन सादाणी, देवेंद्र अग्रवाल, नीलेश डागा, अमित शर्मा, अजय जोशी, चंदा भुतड़ा, डॉ. नंदकिशोर भुतड़ा, बंकटलाल राठी, लक्ष्मी पांडे, सुमित कलंत्री, मनीष करवा समेत शिवभक्त उपस्थित रहे.

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