अमरावती

शिवपुराण कथा में शिव विवाह का महोत्सव

अनादि महाराज ने भक्तगणों को विषद किया यह प्रसंग

अमरावती/ दि.28-शहर के संतोषी नगर में आयोजित शिव महापुराण कथा के सातवे दिन रविवार को अनादि महाराज ने शिव विवाह का प्रसंग विषद किया. आरती के दौरान शिव विवाह महोत्सव की झांकी भी प्रस्तुत की गई. इसके लिए भगवान शिव व माता सती की वेशभूषा में कलाकार कथास्थल पहुंचे. इस प्रसंग के अवसर पर बडी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे.
कथा प्रवक्ता अनादि महाराज ने बताया कि भगवान ब्रम्हा भगवान शिव का अनादर करने मां जगदंबा से सहायता की गुहार लगाते है. पश्चात मां जगदंबा दक्ष प्रजापति के घर मां सती के रूप में जन्म लेती है. मां सती बचपन से ही भगवान शिव की परम भक्त होती है. इतनी भक्त कि वह खेलते-खेलते हुए ही शिव का नाम लेती और उसी दौरान उनकी पूजा भी कर लेती. सती की इस तपस्या को देखकर सभी देवता भगवान शिव से मां सती से विवाह करने की प्रार्थना करते है. पहलीबार नहीं कहने के बाद वह दूसरी बार सती से इस वचन पर विवाह करने तैयार होते है कि जब कभी मां सती उन पर अविश्वास करेगी वे विवाह तोड देंगे. पश्चात जब सभी देवतागण भगवान शिव के साथ दक्ष प्रजापति के महल में रिश्ता लेकर पहुंचते है तब दक्ष प्रजापति तत्काल हां कहकर विवाह के लिए तैयार हो जाते है. माता सती और शिव में काफी मधुर संबंध रहता है. वह दिन भर उनके साथ रहा करते थे और जो बात उन्हें दूर से उन्हें बता सकते थे वह बात भी जाकर उनके कान में कहते थे. एक दफा वन में विचरण करने के दौरान उन्हें भगवान राम दिखाई देते है जो उस समय माता सीता की खोज में थे. भगवान राम को देखकर शिव उन्हें जय सच्चिदानंद कहकर दूर से प्रणाम करते है. लेकिन माता सती इस बात से हैरान होती है कि जब दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति भगवान शिव के समक्ष आकर झुकता है तो भगवान शिव ऐसे व्यक्ति को क्यों नमन कर रहे है. व्याकुलतावश माता सती भगवान शिव के कृत्य पर अविश्वास कर उनसे पूछती है कि क्यों आप उन्हें नमन कर रहे है. भगवान शिव कहते है कि जाओं आप खुद ही पूछ लो. जब माता सती भगवान राम के पास अपना सवाल करने पहुंचती है, तब उन्हें भगवान राम के मुख से शिव का नाम सुनाई देता है. भगवान राम शिव का नाम जप रहे थे और वहां भगवान शिव राम नाम जप रहे थे. माता के सवाल का जवाब देते हुए वह संपूर्ण कहानी उन्हें समझाते है. लेकिन माता सती द्बारा अविश्वास किए जाने से शिव उनसे नाराज हो जाते है और वही समाधिस्त हो जाते है.
गत 21 नवंबर से जारी शिव महापुराण का आयोजन कौशिक अग्रवाल, विक्की मातोले व नट्टू महाराज द्बारा किया गया है. शिव महाराज वाचक अनादि महाराज की मधुर वाणी में कथा का लाभ लेने रविवार को सुरेखा मातोले, सुरभी मातोले, श्वेता मातोले, सपना मुले, सुनीता गुप्ता, नेहा सदावर्ते, हर्षा सदावर्ते, शीतल साहू, नंदा माथुरकर, अरूणा गुप्ता, ज्योती साहू, पूर्व उपमहापौर, कुसुम साहू, संगीता गुप्ता, कमला सदावर्ते, आशा गुप्ता, हेमा श्रीवास, सुनीता वानरे, अनिता मातोले, रोशनी साहू, लता भिसे, सुनीता वानरे, सुनंदा राउत, ममता गडवाले, हर्षा देवीकर, मनीषा टाले, प्रियंका साहू, संजय पावडे, नीरज सदावर्ते, रमेश सरोदे, अभिजीत गुप्ता, अभिजीत वानरे, ओम साहू, ओम शिंदे, धु्रव लोनारे, चेतन साहू, माणिकराव राउत, देवानंद राउत, रवि डोंगरे, केशव साहू, योगेश मालवे, पंकज सोनटक्के, नामदेव तिजारे, विश्वास यावले, विनायक आकोलकर, गजानन तिजारे, अंशुल गुप्ता, योगेश वालवे, राज साहू, अजीत भिसाई, ्ऋषिकेश तायवाडे, भावेश दायदार, गौरव ढोकणे, कुणाल मेसरे, निहाल गायकवाड, सुनील मिश्रा, अभय मुले, योगेश साहू, चेतन साहू, निशांत जोगी, विक्की वासनकर, दीप अडगोकर, श्रीरामनवमी शोभायात्रा समिति व शिव प्रतिष्ठान हिन्दुस्तान के सदस्य सहित बडी संख्या में शिवभक्त उपस्थित थे.

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