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हव्याप्रमं में धूमधाम से मना शिवजयंती महोत्सव

शिवरैली व खेल प्रात्यक्षिक के साथ हुआ भव्य-दिव्य आयोजन

* हव्याप्रमं परिसर में कोल्हापुर से लायी गई शिवप्रतिमा हुई स्थापित
* एक हजार से अधिक छात्र-छात्राओें की उपस्थिति में हुआ शिवपूजन
अमरावती/दि.21– स्थानीय हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल द्वारा संचालित डिग्री कॉलेज ऑफ फिजीकल एज्युकेशन तथा बहुसंकाय स्वायत्त महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में गत रोज हव्याप्रमं के प्रांगण पर शिवजयंती महोत्सव का भव्य-दिव्य आयोजन किया गया. जिसमें 1 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने शामिल होकर शिवरैली निकालने के साथ ही विभिन्न क्रीडा प्रकारों के प्रात्यक्षिक साकार करते हुए राजा शिवछत्रपति को अभिवादन किया. साथ ही इस अवसर पर हव्याप्रमं परिसर में कोल्हापुर से विशेष तौर पर लाई गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई.
हव्याप्र मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य की अध्यक्षता में आयोजीत इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में शहर पुलिस उपायुक्त विक्रम साली, दैनिक अमरावती मंडल व मातृभुमि के संपादक अनिल अग्रवाल, जीजाउ ब्रिगेड की राष्ट्रीय संगठिका मयूरा देशमुख, प्रा. डॉ. स्मिता देशमुख, हव्याप्रमं की सचिव प्रा. डॉ. माधुरी चेंडके, पदाधिकारी प्रा. डॉ. श्रीकांत चेंडके, महाविद्यालय के प्राचार्य के. के. देवनाथ व उपप्राचार्य डॉ. देशपांडे उपस्थित थे. इस अवसर पर सभी उपस्थित गणमान्यों ने अपने समयोचित विचार व्यक्त करते हुए राजा शिवछत्रपति की स्मृतियों का अभिवादन किया.
कार्यक्रम में संचालन मंदार सोनोने व शिवानी पाटील तथा आभार प्रदर्शन प्रा. डॉ. विजय पांडे ने किया. इस अवसर पर प्रा. डॉ. संजय तीरथकर, डॉ. संजय येडे, प्रा. देवानंद सावरकर, डॉ. हसमुख भट्टी, डॉ. अजयपाल उपाध्याय, डॉ. केनेडी सिंह, डॉ. दिनानाथ नवाथे, डॉ. मांजरे, प्रा. संजय गोहाड सहित महाविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं बडी संख्या में उपस्थित थे.

शिवाजी जैसे बेटों के लिए जीजाऊ जैसी माताओं का रहना जरूरी
इस अवसर पर बतौर प्रमुख अतिथि अपने विचार व्यक्त करते हुए दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने कहा कि, राजमाता जीजाऊ द्वारा दिये गये संस्कारों और स्वराज्य संबंधी विचारों की वजह से ही आगे चलकर उनके बेटे ने छत्रपति राजा बनकर स्वराज्य की संकल्पना को साकार किया. ऐसे में यह जरूरी है कि, यदि हमें छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रनिर्माण के प्रति समर्पित बेटे चाहिये, तो हमें सबसे पहले अपनी बेटियों में राजमाता जीजाऊ के संस्कार रोपित करने होंगे. तभी उनके जरिये हमें शिवाजी जैसे बेटे मिल सकते है. साथ ही संपादक अनिल अग्रवाल ने छत्रपति शिवाजी महाराज को बहुमूखी प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि, छत्रपति शिवाजी महाराज ने राष्ट्रनिर्माण का कार्य करने के लिए उन्होंने एक से बढकर एक अभेद्य किले व दुर्ग बनाने के साथ-साथ देश व धर्म के लिए जान तक न्यौछावर करनेवाले लोगों की भारी-भरकम टीम भी बनायी थी. ऐसे में कहा जा सकता है कि, छत्रपति शिवाजी महाराज राजनीति व युध्दकौशल में पारंगत रहने के साथ-साथ अपने आप में शानदार व्यवस्थापन कौशल से संपन्न व्यक्तित्व थे. जिन्हें आधुनिक भाषा में बेहतरीन मैनेजमेंट गुरू कहा जा सकता है.

* मैदानी खेलों का प्रदर्शन और शिवपालखी का आयोजन
हव्याप्रमं के डीसीपीई द्वारा आयोजीत शिव महोत्सव की शुरूआत शिवपालखी के आयोजन से हुई. इस समय विद्यार्थियों ने शिवप्रतिमा को पालखी में स्थापित कर पूरे परिसर में भव्य शोभायात्रा निकाली. जिसमें लेझीम की झनकार और ढोल-ताशे की धून पर भगवे झंडे फहराते हुए सभी छात्र-छात्राएं पारंपारिक पोशाख में शामिल हुए. पश्चात यह शोभायात्रा पूरे परिसर की परिक्रमा करते हुए मुख्य कार्यक्रम स्थल पर पहुंची. जहां पर शिवजयंती महोत्सव के निमित्त विद्यार्थियों द्वारा मैदानी खेलों का आकर्षक ढंग से प्रदर्शन किया गया. जिसमें मावलों का रूप धरकर छात्र-छात्राओं ने लाठी-काठी, दांड पट्टा व तलवारबाजी के करतब दिखाये. वही कुछ छात्र-छात्राओं ने योग मुद्राओं व मलखंब के जरिये शिवचरित्र को प्रस्तुत करने का बेहतरीन प्रयास किया.

* विधिविधान से हुआ शिवप्रतिमा का पूजन
बता देें कि, हव्याप्र मंडल के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट छत्रपति शिवाजी महाराज की सिंहासनारूढ भव्य प्रतिमा स्थापित की गई. जिसका विगत शनिवार 19 फरवरी को हव्याप्र मंडल के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य के हाथों पूरे विधि-विधानपूर्वक पूजन किया गया. इस समय कई छात्र-छात्राओं ने शिवगर्जना करते हुए राजा शिवछत्रपति को गारद सलामी दी. इस पूरे आयोजन में अधिकांश छात्र-छात्राएं पारंपारिक वेशभूषाओं के साथ ही भगवा फेटों में सजे हुए थे. जिससे वातावरण पूरी तरह से शिवमय हो गया था.

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