शिवाजी साइंस कॉलेज का मिट्टी की गणेश मूर्ति अभियान आरंभ
पर्यावरण-अनुकूल गणपति उत्सव को बढ़ावा देने का आवाहन
अमरावती/दि.6– अमरावती के गणपति उत्सव की पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियों को बढ़ावा देने के एक उल्लेखनीय प्रयास के रूप में शिवाजी साइंस कॉलेज, अमरावती के वनस्पति विज्ञान विभाग के विस्तार कार्यक्रम इकोफ्रेंड्स के तहत श्री गणेश की मूर्तियाँ बनाने में उपयोग किए जाने वाले पीओपी के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है. छात्र यह अभियान वर्ष 2006 से चला रहे हैं. इस अभियान में शहरवासियों का बडी संख्या में सहभाग रहता है. चूंकि अभी भी पीओपी के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, इसलिए इस अभियान के तहत श्री शिवाजी साइंस कॉलेज ने एक बार फिर इस अभियान को नए रूप से शुरु किया है.
इकोफ्रेंड्स वनस्पति विज्ञान विभाग और अर्न एंड लर्न के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता के संदेश को व्यापक रूप से जन-जन तक फैलाकर इस पहल का समर्थन करने में लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है. पूरा अभियान कॉलेज की अर्न एंड लर्न योजना के तहत काम करने वाले छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है. शुक्रवार, 6 सितंबर को समान रूप से सुंदर मूर्तियों की बिक्री स्टाल का उद्घाटन अमरावती गार्डन क्लब की पूर्वाध्यक्ष निर्मलताई हर्षवर्धन देशमुख व सुश्री मिनाताई विजयराव ठाकरे के हाथों बड़े हर्षोल्लास के साथ किया गया. इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी. वी. कोरपे ने की. अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ प्रदान कर किया गया. कमाओ एवं पढो योजना तथा इकोफ्रेंड्स समन्वयक एवं वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. रेखा मग्गिरवार ने कार्यक्रम का प्रास्ताविक किया. इस विशेष अवसर पर अतिथियों ने कमाओ और सीखो योजना के तहत काम कर रहे छात्र स्वयंसेवकों की हार्दिक सराहना की और उन्हें उपयोगी सुझाव देकर शुभकामनाएं दी. श्रीमती निर्मलाताई देशमुख ने कहा कि छात्रों को न केवल श्री गणेश मूर्ति बल्कि पूरे उत्सव के माहौल को पर्यावरण-अनुकूल बनाने पर ध्यान देना चाहिए. इस अवसर पर श्रीमती मिनाताई ठाकरे ने क्रियान्वित किये जा रहे इस अभियान के माध्यम से विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की शुभकामनाएं दी.
इस अभियान के तहत छात्रों ने समाज को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से गणेशोत्सव मनाने के लिए प्रेरित किया. साथ ही इस पूरे प्रोजेक्ट से श्री गणेशोत्सव के अवसर पर वित्तीय टर्नओवर प्राप्त हुआ. विद्यार्थियों ने स्वयं शहरवासियों को वितरित की जाने वाली मूर्तियों को खरीदने और बेचने की यात्रा का अनुभव किया और विभिन्न सबक सीखे जो भविष्य में उपयोगी होंगे. अभियान का उद्देश्य पारंपरिक गणेश मूर्तियों में उपयोग की जाने वाली गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों के हानिकारक प्रभावों के बारे में समुदाय और छात्रों के बीच जागरूकता फैलाना है जो विसर्जन के बाद जल प्रदूषण का कारण बनते हैं. कार्यक्रम में कॉलेज के अधिकांश संकाय सदस्यों के साथ-साथ गैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे. कमाओ और सीखो योजना की रीढ़ छात्र कल्याण समिति के डॉ. प्रशांत मांडलिक, डॉ. मयूरा देशमुख, डॉ. स्वप्निल अरसड ने इस उपक्रम मे अहम भूमिका निभाई. प्रथमेश सावले के साथ पार्थ गुबरे, अजिंक्य रंगोले, संस्कृत थोरात, आदित्य मनोहर, सम्यक शिरसाट और वेदांती सोनपरोते आदी इस अभियान के असली शिल्पकार हैं. वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. दिनेश खेडकर, डॉ. गणेश हेडाऊ, डॉ. स्वाति पुंडकर, डॉ. अविनाश दर्सिम्बे, डॉ. प्रशांत देशमुख, डॉ. अंकित काले, श्रीमती शेरेकर, तुषार बोरकर, गजानन पर्वतकर, वैभव काले, स्नातकोत्तर विभाग के सभी छात्रों ने इस अभियान की सफलता के लिए अथक परिश्रम किया.
* पिछले एक दशक से जागरुकता का प्रयास
कॉलेज पिछले एक दशक से पर्यावरण की रक्षा के लिए पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, विशेष रूप से त्योहारों के दौरान और प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों के कारण होने वाले पर्यावरणीय खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इस अभियान का आयोजन कर रहा है.
– डॉ. जी. वी. कोरपे, प्राचार्य.