बच्चू के अनशन से शिवसेना उबाठा का ‘सुरक्षित अंतर’
सत्ता पक्ष व विपक्ष के तमाम बडे नेता पहुंचे अनशन स्थल पर

* मविआ में शामिल कांग्रेस व शरद पवार गुट ने किया बच्चू का समर्थन
* शिवसेना उबाठा का अब तक एक भी बडा व लोकल नेता नहीं पहुंचा
अमरावती/दि.14 – किसान कर्जमाफी तथा दिव्यांगों की मानधन वृद्धि की दो प्रमुख मांगों सहित किसानों, दिव्यांगों, निराधारों व विधवा महिलाओं की 17 मांगों को लेकर प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा विगत रविवार 8 जून से राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की कर्मभूमि रहनेवाले गुरुकुंज मोझरी में अन्नत्याग आंदोलन करते हुए आमरण अनशन किया जा रहा है. आज इस अनशन का सातवां दिन रहा और इन सात दिनों के दौरान एक बार भी पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली शिवसेना उबाठा पार्टी की ओर से बच्चू कडू के आंदोलन का समर्थन नहीं किया गया. साथ ही साथ इन सात दिनों के दौरान शिवसेना उबाठा का एक भी स्थानीय पदाधिकारी व कोई बडा नेता गुरुकुंज मोझरी स्थित बच्चू कडू के अनशन स्थल पर नहीं पहुंचा.
बता दें कि, बच्चू कडू द्वारा विगत सात दिनों से किए जा रहे अन्नत्याग आंदोलन के शुरुआती दौर में राकेश टिकैत व मनोज जरांगे जैसे नेताओं ने पहुंचकर बच्चू कडू के अनशन का समर्थन किया था. वहीं इसके बाद महाविकास आघाडी में शामिल कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं का भी अनशन स्थल पर पहुंचना शुरु हो गया था. जिसके तहत शरद पवार गुट वाली राकांपा के मुखिया शरद पवार व सांसद सुप्रीया सुले ने बच्चू कडू से मोबाइल फोन पर बातचीत करते हुए उनके स्वास्थ का हालचाल जाना, साथ ही राकांपा विधायक रोहित पवार ने खुद गुरुकुंज मोझरी पहुंचकर बच्चू कडू द्वारा किए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया. इसके साथ ही जहां कांग्रेस नेत्री यशोमति ठाकुर ने बच्चू कडू के साथ अपने तमाम मतभेदों को दरकिनार कर उनके द्वारा किसानों के लिए किए जा रहे आंदोलन व अनशन का समर्थन किया, वहीं कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख अपने साथ कांग्रेस शहराध्यक्ष बबलू शेखावत व पूर्व महापौर विलास इंगोले को लेकर गुरुकुंज मोझरी पहुंचे और उन्होंने बच्चू कडू से मुलाकात कर उनके आंदोलन व अनशन के प्रति अपना समर्थन दर्शाया. साथ ही साथ गत रोज सत्ता पक्ष से जुडे नेताओं का भी बच्चू कडू के अनशन स्थल पर पहुंचना शुरु हुआ. जिसके तहत अजीत पवार गुट वाली राकांपा के विधायक संजय खोडके व सुलभा खोडके व मंत्री संजय राठोड ने गुरुकुंज मोझरी पहुंचकर बच्चू कडू से मुलाकात की. साथ ही देर शाम राजस्व मंत्री व जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी अनशन स्थल पर पहुंचकर पूर्व मंत्री बच्चू कडू से अनशन खत्म करने का आवाहन किया. साथ ही उन्हें बताया कि, सरकार द्वारा उनकी 17 में 15 मांगों को स्वीकार कर लिया गया है तथा किसान कर्जमाफी व दिव्यांगों के के मानधन वृद्धि की मांग को आगामी कुछ दिनों में पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन हैरतवाली बात यह रही कि, इन सात दिनों के दौरान उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना का एक भी स्थानीय पदाधिकारी अथवा बडा नेता गुरुकुंज मोझरी नहीं पहुंचा और शिवसेना उबाठा की ओर से बच्चू कडू के इस आंदोलन के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया. जिसे लेकर काफी हद तक आश्चर्य जताया जा रहा है.
यहां एक विशेष उल्लेखनीय है कि, बच्चू कडू ने अपनी राजनीतिक यात्रा किसी जमाने में कट्टर शिवसैनिक के तौर पर ही की थी, तथा बाद में कुछ मतभेदों के चलते शिवसेना से अलग होकर प्रहार जनशक्ति पार्टी बनाई थी. जो देखते ही देखते एक बडी राजनीतिक ताकत में तब्दील हो गई और बच्चू कडू लगातार चार बार अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए. साथ ही साथ वर्ष 2019 के चुनाव पश्चात बच्चू कडू ने निर्दलिय विधायक के तौर पर शिवसेना को अपना समर्थन दिया था तथा राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व तले महाविकास आघाडी सरकार बनने पर बच्चू कडू राज्यमंत्री भी बने थे. परंतु यह बात किसी से भी छिपी नहीं थी कि, उस समय राज्य में भले ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार थी. लेकिन बच्चू कडू उद्धव ठाकरे की बजाए शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के समर्थन में रहा करते थे. यही वजह है कि, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्वतले शिवसेना में बगावत हुई थी, तो उस वक्त बच्चू कडू ने अपने राज्यमंत्री पद की परवाह किए बिना शिंदे गुट का समर्थन किया था और वे भी अपने सहयोगी विधायक राजकुमार पटेल के साथ गुवाहटी पहुंचे थे. संभवत: इस बात की नाराजगी शिवसेना उबाठा व उद्धव ठाकरे में अब तक है. जिसके चलते शिवसेना उबाठा ने विगत सात दिनों के दौरान किसानों के हित में किए जा रहे पूर्व मंत्री बच्चू कडू के आमरण अनशन से अपनी सुरक्षित दूरी बनाकर रखी है और अब तक एक बार भी बच्चू कडू के आमरण अनशन के समर्थन अथवा विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा है.