अमरावती

रक्षाबंधन पर्व पर शहर में सजी राखियों की दुकानें

फैन्सी राखी की मांग बढने लगी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.९ – बदलते समय केे साथ साथ मार्केट में अब अलग अलग राखियों की डिमांड हो रही हेै. साधी राखी का क्रेज कम होने से फैशन का प्रभाव राखियों पर भी दिखाई दे रहा है. रक्षाबंधन के लिए जहां एक ओर कोरोना की तीसरी लहर के साये में मार्केट में दुकानें सजाई जा रही है. वीं दूसरी ओर डेढ वर्षों से लगातार जारी लॉकडाउन के कारण बहनों ने त्यौहार पर किए जाने वाला अपना बजट कम कर दिया है. इसलिए इस वर्ष कम कीमत वाली कोलकाता बूटा, लुंबा और स्टोन राखियों की डिमांड अधिक है.
मार्केट में एक से बढकर एक राखियों में अमेरिकन डायमंड, स्टोन, वेस्टर्न राखी, मीनाकारी राखी, किड्स राखी, लुंबा राखी, फैन्सी डोर राखी आदि उपलब्ध है. अधिकांश तौर पर राखियों की कीमत 5 रुपए से लेकर 150 रुपए तक है. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष राखी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा. जिसके चलते मार्केट में भी रौनक दिखाई दे रही है. महिलाओं व्दारा शुरु की गई खरीदी के चलते व्यापारियों के चेहरों पर भी रोैनक आयी है. व्यापारियों की माने तो गत वर्ष की तुलना में इस वषर्र् अच्छे व्यवहार की संभावना है, लेकिन लॉकडाउन के चलते महिलाओं ने भी आर्थिक खर्च कम कर दिया है. उसका थोडा बहुत असर व्यवसाय पर होना संभव है.

  • विभिन्न प्रकार के राखियों के दाम

फैन्सी डोर राखी          5 से 150 रुपए
कलकता बुटा राखी      14 से 110 रुपए
लुंबा राखी                   5 से 150 रुपए
मीनाकारी राखी          20 से 50 रुपए
गोटा चांदी राखी          50 से 150 रुपए
स्टोन राखी                20 से 230 रुपए

  • कम हो रहा बहनो का बजट

इस वर्ष कोलकाता, दिल्ली, मुंबई से राखियां उपलब्ध करायी गई है. कोरोना ने लोगों के रोजगार छिन लिए, नौकरियां नहीं रही, जो बहन भाईयों के लिए 100 रुपए की राखी खरीदने के लिए भी पीछे नहीं हटती थी, वहीं अब 50 रुपए की राखी खरीदने के लिए विचार कर रही है. लेकिन कोरोना के कारण आर्थिक तंगी का असर सीधे व्यवसाय पर हो रहा है.
– गजानन पतंगराय,
व्यवसायी.

  • गांव भेजने के लिए शुरु की खरीदी

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन 24 अगस्त को मनाया जाएगा. 24 अगस्त को मनाया जाएगा. 24 अगस्त को रविवार रहने से इस दिन जिले में लॉकडाउन घोषित किया जाता है. जिसके चलते महिलाओं ने रक्षाबंधन के लिए पहले ही खरीदी शुरु कर दी है. ऐसे में बाहरगांव रहने वाले भाईयों को भेजी जाने वाली राखियों के लिए प्राथमिकता दी जाती रही है. इसलिए बहनों ने राखियां खरीदकर उसे भेजने की तैयारियां शुरु कर दी.

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