चुनाव के चलते एसटी बसों का टोटा
अधिकांश बसों को लगाया गया इलेक्शन ड्यूटी पर
* बस अड्डों पर यात्रियों की तौबा भीड, आने-जाने के लिए बसें ही नहीं
* यात्रियों के हुए हाल बेहाल, निजी वाहनों की खुली लॉटरी
अमरावती/दि.19 – विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन विभाग द्वारा पोलिंग पार्टियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने हेतु एसटी बसों को अधिग्रहित किया गया है. जिसके चलते अमरावती जिले व संभाग सहित पूरे राज्य में आम यात्रियों के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने हेतु एसटी बसों का टोटा पैदा हो गया है. जिसके चलते बस स्थानकों पर जहां एक ओर यात्रियों की तौबा भीड बसों का इंतजार करती दिखाई दे रही है. वहीं दूसरी ओर एसटी बसों का दूर-दूर तक अता-पता ही नहीं है. ऐसे में यात्री ढुलाई करने वाले निजी वाहन चालकों की लॉटरी खुल गई है, जो अपने वाहनों को ओवर लोड भरते हुए मनमाना किराया वसूलते दिखाई दिये. ऐसे में कहा जा सकता है कि, जहां एक ओर चुनाव के चलते राज्य परिवहन निगम मालामाल हो रहा है. वहीं दूसरी ओर तमाम एसटी बसें इलेक्शन ड्यूटी पर लगा दिये जाने के चलते आम यात्रियों के हाल बेहाल हो रहे है.
उल्लेखनीय है कि, ‘यात्रियों की सेवा हेतु’ यह ब्रिद वाक्य लेकर काम करने वाले राज्य परिवहन निगम की सरकारी एसटी बसों को हमेशा ही लोकसभा व विधानसभा चुनाव के समय सरकार एवं प्रशासन द्वारा अधिग्रहित कर लिया जाता है, ताकि जिला व तहसील मुख्यालयों से पोलिंग पार्टियों को मतदान साहित्य सहित उनकी नियुक्ति वाले मतदान केंद्रों तक पहुंचाया जा सके. लेकिन इस चक्कर में इस बात की अनदेखी कर दी जाती है कि, एक साथ सारी बसों को यात्री सेवा के काम से हटा दिये जाने की वजह से सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाती है. इस बार भी विधानसभा चुनाव में लगभग कुछ ऐसी ही स्थिति है.
बता दें कि, रापनि के अमरावती विभाग अंतर्गत कुल 337 एसटी बसें है. जिसमें से 281 एसटी बसों को चुनाव के काम हेतु 18 नवंबर की रात से ही निर्वाचन विभाग द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया है. अधिग्रहित की गई तमाम एसटी बसें 18 नवंबर की शाम से ही जिला व तहसील मुख्यालय जाकर खडी होनी शुरु हो गई. साथ ही इलेक्शन संबंधी कामों पर भेजी जाने वाली एसटी बसों को 18 नवंबर की दोपहर से ही मैंटेनस के नाम पर यात्री सेवा से हटाकर आगारों के यांत्रिक विभाग में भेज दिया गया. जिसके चलते 18 नवंबर की दोपहर से ही बस अड्डों पर बसों की आवाजाही धीरे-धीरे घटनी शुरु हुई. वहीं दूसरी ओर इसी दौरान वैवाहिक मुहूर्त रहने के चलते जमकर वैवाहिक समारोह के आयोजन भी हुए. जिसके चलते लोगबाग अपने परिचितों के यहां आयोजित वैवाहिक समारोह में शामिल होने हेतु एक शहर से दूसरे शहर जाने हेतु निकले. जिसकी वजह से बस अड्डों पर यात्रियों की तौबा भीड उमडनी शुरु हुई. लेकिन घंटों के इंतजार के बावजूद बसों का कोई अता-पता नहीं था. ऐसे में अमरावती से नागपुर, अकोला, यवतमाल, परतवाडा, वाशिम, दर्यापुर, मोर्शी व वरुड की ओर जाने वाले यात्रियों को कई-कई घंटों तक बसों का इंतजार करते हुए खडे रहना पडा और बसों के नहीं आने की वजह से उनके हाल बेहाल भी होते रहे. साथ ही भुले भटके किसी गंतव्य की ओर जाने वाली कोई एक बस के आ जाने पर सैकडों यात्रियों के बीच बस में जगह पकडने हेतु धक्का मुक्की के साथ मारापीटी वाली स्थिति भी दिखाई दी. सबसे बुरी स्थिति उन लोगों की रही, जो अपने परिवार व बाल-बच्चों के साथ किसी अन्य शहर जाने हेतु बस अड्डों पर पहुंचे थे. ऐसे लोग अपने परिवार व साजो-सामान के साथ बसों मेें जगह पकडने को लेकर पूरी तरह से नाकाम ही साबित हुए.
* कई यात्रियों ने निजी टैक्सियों का लिया सहारा
बस अड्डों पर एक साथ तीन से चार बसों के लायक जमा ट्रैफिक और बसों के आने में हो रही देरी को देखते हुए कई यात्रियों ने अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचने हेतु निजी टैक्सियों का सहारा लिया. जिसके तहत प्राइवेट टैक्सी वालों ने भी जमकर चांदी काटी और स्पेशल बुकिंग के नाम पर जाने व आने का किराया वसूला. साथ ही साथ स्पेशल बुकिंग वाले यात्रियों को छोडन के बाद वापसी की यात्रा के समय भी ‘ढचाढच’ सवारियां भी उठाई.
* छोटे गांवों में यात्रियों के रहे हाल-बेहाल
एक शहर से किसी अन्य शहर की ओर जाने वाले रास्ते पर पडने वाले छोटे-छोटे गांवों में रहने वाले लोगों के तो और भी हाल बेहाल रहे. क्योंकि ऐसे गांवों से यात्रा के साधन पहले ही नहीं के बराबर होते है और ऐसे गांवों के लोगबाग अपने गांवों से होकर गुजरने वाली एसटी बसों पर ही निर्भर रहते है. परंतु आज पूरा दिन ऐसे गांवों से इक्का-दुक्का एसटी बसे ही गुजरी, जो पहले से ही खचाखच भरी हुई थी. जिसके चलते छोटे गांवों में एसटी बसों के रुकने का सवाल ही नहीं पैदा हुआ और ऐसे गांवों के लोग अपने आंखों के सामने से खचाखच भरी एसटी बसों को देखते रहने पर मजबूर रहे.
* बीच रास्ते में खराब हुई खटारा बसों के यात्री बने ‘त्रिशंकु’
जहां एक ओर जिले में आज पहले ही एसटी बसों का काफी हद तक टोटा रहा. वहीं दूसरी ओर यात्रि ढुलाई हेतु लगाई गई बसों में से कई बसें काफी हद तक खटारा व खच्चर रही और ऐसी बसों में यात्रियों की संख्या ओवर लोड रहने के चलते कई बसों ने यात्रा के दौरान बीच रास्ते में दम तोड दिया. जिसके चलते ऐसी बसों में बडी जद्दोजहद के साथ जगह हासिल कर सवार हुए यात्री बीच रास्ते में लटक गये और त्रिशंकु वाली स्थिति में आ गये. क्योंकि ऐसे यात्रियों को आगे की यात्रा पर किसी अन्य वाहन से भेजने की भी कोई व्यवस्था राज्य परिवहन निगम के पास नहीं थी. बता दें कि, अमूमन बीच रास्ते में किसी एसटी बस के खराब हो जाने पर उस बस के ड्राइवर व कंडक्टर द्वारा पीछे से आ रही किसी अन्य बस में अपनी बस के यात्रियों को बिठाकर आगे की यात्रा के लिए भिजवाया जाता है. परंतु गत रोज बीच रास्ते में खराब होने वाली कई बसों के यात्रियों को इस सुविधा का भी लाभ नहीं मिला. क्योंकि अव्वल तो पीछे से कोई अन्य बस काफी समय तक आ ही नहीं रही थी और जो बसे आ भी रही थी, वे खचाखच भरी हुई थी तथा उनमें एक भी यात्री को बिठाने की कोई गुंजाइश भी नहीं थी. जिसके चलते ऐसे यात्री बीच रास्ते में कई घंटों तक फंसे भी रहे.
* पूरे राज्य में 9 हजार बसों का अधिग्रहण
बता दें कि, कल 20 नवंबर को होने वाले मतदान हेतु निर्वाचन विभाग द्वारा समूचे राज्य में करीब 9 हजार बसों को आरक्षित व अधिग्रहित किया गया है. जिसके जरिए राज्य परिवहन निगम को 27 से 30 करोड रुपयों की आय होनी है, लेकिन इतनी बडी संख्या में एसटी बसों को यात्री सेवा के काम से एकसाथ हटा दिये जाने के चलते आम नागरिकों को इसकी वजह से काफी खामियाजा भुगतना पडा और कई तरह की दिक्कतों का सामना भी करना पडा. विशेष उल्लेखनीय है कि, हर बार चुनाव के समय आम मतदाताओं यानि जनता की सुख सुविधाओं को लेकर बडी-बडी घोषणाएं की जाती है. परंतु चुनाव के लिए किये जाने वाले प्रबंधों के तहत एसटी बसों को अधिग्रहित करते समय इस बात की साफ तौर पर अनदेखी की जाती है कि, इस वजह से यात्रियों को कितनी अधिक असुविधा होने वाली है.