अमरावती

श्रावण मास ईश्वरीय प्रवचनों को श्रवण करने का महीना है

पूज्य नरेशभाई राज्यगुरु ने बताया कथा मर्म

भक्तिधाम मंदिर में श्री शिव कथा का आयोजन                      रायचुरा निवास से निकली पोथी यात्रा
अमरावती-दि.22 स्थानीय भक्तिधाम मंदिर में श्रावण मास निमित्त श्री शिव कथा का आयोजन किया गया है. कथा प्रवचन के पहले दिन उपस्थित सैकड़ों भक्तों के सामने कथा का मर्म बताते हुए कथा प्रवक्ता पूज्य नरेशभाई राज्यगुरु ने कहा कि ईश्वर जब जीव पर प्रसन्न होते हैं, तब मानव जन्म देते है और अधिक प्रसन्न होते है तब कथा श्रवण का मौका देते है. श्रावणमास यह श्रवण का मास माना जाता है. ईश्वरीय प्रवचनों को श्रवण करने का मास है. सत्य और शिव एक ही है. सत्य के राह पर चलते हुए कठिनाई आ सकती है, मगर ईश्वर ही हमें सत्य की राह पर चलने का विश्वास दृढ करवाता है.
रविवार को पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार दीपकभाई एवं नितीनभाई रायचुरा के साईनगर स्थित निवास स्थान से दोपहर 3 बजे पोथी यात्रा निकाली गई. हार-फूल तथा रंगीबिरंगी रोशनाई से सजे रथ में कथा प्रवक्ता नरेशभाई राज्यगुरु को विराजित कर परंपरागत पद्धति से पूजा-अर्चना के साथ पोथी रखी गई. अत्यंत मंगलमय माहौल में भगवान शिव का जयघोष किया गया. पोथीयात्रा में शामिल होने हेतू शिवभक्त महिला-पुरुषो ने परंपरागत व मंगल प्रसंग के अनुरुप लाल, हरे रंग के वस्त्र धारण किये थे. पुरुष कुर्ते-पायजामे मेें पोथी की अगुवाई कर रहे थे. बैन्ड-बाजे द्बारा भजन की धुन पर पोथीयात्रा साईनगर के मुख्य रास्ते से कथा स्थल भक्तिधाम मंदिर पहुंची. यहा जलाराम सत्संग मंडल के अध्यक्ष दिलीपभाई पोपट एवं कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने श्रद्धा के साथ कथा प्रवक्ता का माल्यार्पण कर स्वागत किया. अत्यंत श्रद्धा और विधिपूर्वक पोथी स्थापित कर पूज्य नरेंद्रभाई ने कथा मंच पर स्थान ग्रहण किया.श्री जलाराम सत्संग मंडल की ओर से आयोजित शिवकथा की शोभायात्रा में बडी संख्या में समाजबंधु सहभागी हुए थे. भक्तिधाम मंदिर परिसर मेें कथा प्रवक्ता पूज्य नरेशभाई राज्यगुरु का स्वागत पुष्पवर्षा के बीच किया गया. इस दौरान महिलाओं ने पारंपारिक तरीके से आराधना नृत्य प्रस्तुत कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की. स्वागत के दौरान समूचा परिसर भक्तिमय हो उठा था.
कथा प्रवक्ता पूज्य नरेंद्रभाई ने प्रारंभ में उमापति महादेव के जयघोष के साथ श्रावण मास में शिवकथा आयोजन का महात्म्य समझाया. संध्या 7.30 बजे आरती के साथ कथा को विराम दिया गया.इस अवसर पर जलाराम सत्संग मंडल के अध्यक्ष दिलीपभाई पोपट, सचिव अमृतभाई पटेल, उपाध्यक्ष हसमुख भाई कारिया, सहसचिव राजुभाई आडतिया, कोषाध्यक्ष किशोरभाई भिंडा, पूर्वाध्यक्ष सुरेशभाई राजा,सदस्य किरणभाई भगवानभाई गुप्ता,अनिलभाई मगनभाई पंड्या,जितेंद्रभाई रतिलालभाई कारिया,नितीनभाई नटवरलालभाई गणात्रा, कमलेशभाई वसंतभाई आडतिया, राजेंद्रभाई त्रिभुवनदासभाई रायचुरा, विनोदभाई पोपटलालभाई तन्ना, मनीषभाई सुरेशभाई तेली, केतनभाई नरोत्तमभाई सेठिया, कायमी आमंत्रित प्रदीभाई मोहनलालभाई राजा (पूर्व अध्यक्ष), किरीटभाई दामोदरभाई आडतिया (पूर्व अध्यक्ष), दिनेशभाई मावजीभाई सोमैय्या, किरीटभाई हरीदासभाई गढीया, गोविंदभाई मुलजीभाई पटेल, किरीटभाई मंगलदासभाई ठक्कर, हर्षदभाई मुकूंदरायभाई उपाध्याय, राजेशभाई कांतीलालभाई पोपटे, जयेशभाई नरभेरामभाई राजा, नानुभाई कानजीभाई बगडाई, विनयभाई प्रभुदासभाई तन्ना, किशोरभाई छोटालालभाई कारिया, निलेशभाई प्रवीणभाई हिंडोचा, भावेशभाई धिरजलालभाई दासानी, देवेश राजा, निलेश राजा, राजेश दासनी, राजुभाई रायचुरा, धीरुभाई सेठिया, दिनेशभाई सेठिया, अशोकभाई आडतिया, अशोकभाई सेठिया, नरोत्तमभाई सेठिया, नारायणभाई सेठिया, निलेश पोपट, विपुल जसापारा, प्रकाशभाई वसानी, रमेशभाई वसानी, सुरेशभाई वसानी, पारस हिंडोचा, ब्रिजेश वसानी, राजुभाई सोमाणी, शांतिलाल सेठिया, हिंमाशुभाई वेद, जितेंद्र आडतिया, लालुभाई दुवानी, प्रतिक आडतिया, शिलाबेन, पोपट, वैशालीबेन पंड्या, रश्मीबेन रायचुरा, पूजाबेन गणात्रा, संगीताबेन दासानी, कविताबेन दासानी, पूजा वसानी, मयुरीबेन सेठिया, हेतलबेन हिंडोचा, अरविंदाबेन आडतिया, प्रीतिबेन अढिया, स्मिता उपाध्याय, मिनाबेन सोमाणी, सरलाबेन तन्ना, भावनाबेन तेली, पल्लवीबेन रायचुरा, संगीताबेन रायचुरा, श्वेताबेन आडतिया, जागृतिबेन आडतिया, हर्षाबेन सेठिया, निधी वसानी, उन्नतीबेन वसानी, पुष्पाबेन पटेल, पल्लवीबेन अढिया, रिद्धि दासानी, चार्वी दासानी, रिद्धिबेन सेठिया व लोहाना नवयुवक मंडल, गुजराती युवक मंडल, गुजराती महिला मंडल जलाराम महिला मंडल

आज शिवलिंग महात्म्य
भक्तिधाम मंदिर में आयोजित श्री शिवकथा के दूसरे दिन सोमवार 22 अगस्त की शाम 7 बजे शिवलिंग महात्म्य होगा. श्रद्धालुओं से कथा श्रवण का लाभ लेने का अनुरोध जलाराम सत्संग मंडल ने किया है. जलाराम सत्संग मंडल द्बारा आयोजित श्री शिवकथा पावन स्थल पर कैलाश पर्वत की अनुभूति भक्तों को हो रही थी.

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