श्री हव्याप्र मंडल में स्व. डॉ. सुरेशराव देशपांडे को भावभीनी श्रद्धांजलि
आजीवन सेवक के प्रति व्यक्त की गई कृतज्ञता
अमरावती/दि.16-जन्म और मृत्यु! यही मानव जीवन का सत्य है. जीवन यात्रा के अंत में सभी को मृत्यु के अंतिम सत्य को स्वीकार करना ही पड़ता है. जिन्हे इस सच्चाई का बोथ होता है. उनका जीवन धन्य, उनकी मृत्यु भी धन्य और उनकी स्मृति भी सभी धन्यते की अनुभूति देती है. ऐसे व्यक्ति का परिसस्पर्श दूसरे के जीवन को रोशन कर देता है. इस बात को समझते हुए श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के आजीवन सेवक स्व. डॉ. सुरेशराव देशपांडे प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते श्रद्धांजलि देने आये असंख्य नागरिक यह अनुभव कर रहे थे कि व्यक्ति को कैसे जीना और मरना चाहिए. स्व. डॉ. सुरेशराव देशपांडे के आदर्श व्यक्तित्व की जानकारी व्यक्त करते हुए सभी के शब्दों से धन्य वो जीवन… धन्य वो स्मरण ! व्यक्त हुई।
श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के आजीवन सेवक, पूर्व प्राचार्य, पूर्व कोषाध्यक्ष डॉ. सुरेशराव देशपांडे का 1 सितंबर को जापान में निधन हो गया. उनके बेटे जितेंद्र ने जापान में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया. मंडल के आजीवन सेवक और मंडल के विकास में पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य के कंधों से कंधा मिलाकर भूमिका निभाने वाले स्व. डॉ. सुरेशराव देशपांडे की मृत्यु मंडल के लिए एक बड़ी क्षति है. उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करने हेतु बुधवार, 13 सितम्बर को स्व. सोमेश्वर पुसतकर सभागार में सभा का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य ने की और शहर के गणमान्य लोग बैठक में शामिल हुए. सबसे पहले मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकांत चेंडके, एड. प्रशांत देशपांडे, सचिव प्रो. रवीन्द्र खांडेकर, प्रो. डॉ. माधुरीताई चेंडके और प्रो. दीपा कान्हेगांवकर स्व. डॉ. सुरेश देशपांडे की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर कृतज्ञता व्यक्त की गई. इस समय डॉ. देशपांडे की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने वाला एक चित्रफित प्रस्तुत किया गया. इसके बाद बैठक में उपस्थित शहर के गणमान्य लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. स्व.देशपांडे सर को श्रद्धांजलि दी. सभा का संचालन डॉ. विजय पांडे द्वारा किया गया. मंडल के कार्यकारिणी सदस्य डॉ. किशोर फुले, प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास देशपांडे, पूर्व सांसद अनंतराव गुढे, पूर्व नगरसेवक विलास इंगोले, एड.किशोर देशपांडे, डॉ. सावदेकर, डॉ. विनोद कोलवाडकर, डॉ. गोविंद कासट, डॉ. अविनाश मोहरिल, केवले, दिलीप कलोती, सुरेशराव निर्मल, मधुकर काम्बे, अतुल भारद्वाज, एकनाथराव घोम, दिलीप दाभाड़े, प्रदीप पिंपलकर, मंडल के कई वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत खंडागले, डॉ. संजय तीरथकर, डॉ. मधुकर बुरनासे, प्रो. नवाथे, प्रो. आशीष हटेकर, डॉ. ललित शर्मा सहित मंडल के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, कर्मचारी एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.
* आदर्श मित्र: पद्मश्री
एक सच्चे दोस्त से मिलने के लिए, आपको भाग्य होना आवश्यक होगा. मंडल की प्रगति में डॉ. सुरेश देशपांडे ने अंतिम सांस तक कंधे से कंधा मिलाकर सेवा की. उनके नेतृत्व में मंडल को आंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। एक आदर्श मित्र के रूप में डॉ. सुरेशराव देशपांडे के काम को कोई कभी नहीं भूल सकता.