अमरावतीलेख

लिखावट व हस्ताक्षर से ‘श्रेया’ ने ‘ग्राफोलॉजी’ के नये क्षेत्र से बनाई अपनी अलग पहचान

पृथ्वी पर ‘नारी’ ऐसा व्यक्तित्व है, जिसमें कला का भंडार है. यहां तक उनमें 64 कलाएं होती है. यह भी कहना अनुचित नहीं होगा. लेकिन उनमें से हम महिलाओं कुछ कलाओं का इस्तेमाल कर अपने में छिपे हुनर को आगे बढाने का प्रयास करते हैं. महिलाएं अगर उनके किसी भी कला को अपना करीयर बनाना चाहती है, तो उनके लिए काम करने की अपॉर्च्युनिटी है, जिसका वे लाभ ले सकती हैं.
इन कलाओं मेें से एक कला को अपना प्रोफेशन बनाकर लोगों की लिखावट से उनके व्यक्तित्व का वर्णन करने का हुनर ‘श्रेया डागा’ ने प्राप्त किया है.
श्रेया डागा का बैंगलुरु के क्राईस्ट यूनिवर्सिटी से एमबीए हुआ है. उन्होंने हैदराबाद से ग्राफीलॉजी में डिप्लोमा पूरा किया. यहां करीब डेढ साल उन्होंने डेलॉइट में काम करने के बाद न्यूरोलिगास्टिक प्रोग्रामिंग का कोर्स पूरा किया. कुछ समय तक श्रेया ने अपने पारिवारिक बिजनेस में हाथ भी बटाया. लेकिन उनकी रुचि हमेशा हैन्डराइटिंग एनालिसिस में रही. जिसके कारण उन्होंने अपने इस पैशन को अपना प्रोफेशन बनाने का फैसला लिया.
श्रेया डागा कहती हैं कि, मैं जब किसी व्यक्ति की हैन्डराइटिंग को पढती हूं. उससे मुझे उसके व्यक्तित्व के गुण, स्वभाव, स्ट्रेन्थ का पता चलता है. हैन्डराइटिंग यह ब्रेन रायटिंग है. आपका ब्रेन जिस प्रकार की हैन्डराइटिंग आपसे लिखवाना चाहता है, वह आप लिखते हैं. जब आप किसी अपरिचित के हस्ताक्षर को देखते है, तो आपको उनके स्वभाव और व्यक्तित्व को जानने में और आसानी होती है. समय के साथ हमारी लिखावट भी बदलती जाती है. आज की भागदौड भरी जिंदगी में व्यक्तित्व को बदलने के लिए हमें हैन्डराइटिंग काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
श्रेया ने बताया कि, उसने पहले इस कला को खुद से परखा है. उसके बाद उन्होंने दूसरों को परखना शुरु किया. कुछ लोगों को भ्रम होता है की ग्राफोलॉजी भविष्यवाणी को परखने का जरिया है. यह एक एंपेरिकल सायन्स पर आधारित है. विगत 7 वर्षों से मैं ग्राफोलॉजी के माध्यम से 400 से 500 लोगों का एनालिसिस कर चुकी हूं.
ग्राफोलॉजिस्ट के रुप में काम करते हुए आई दिक्कतों के बारे में बोलते हुए कहा कि, लोगों के लिए यह थेरेपी नई है. हालांकि इसका पुरातन काल से इस्तेमाल होते आया है. लेकिन आज के कम्प्यूटराइज दौर में लोग लिखना भूलते जा रहे हैं, लेकिन श्रेया का कहना है की हमें लिखना नहीं छोडना चाहिए, क्योंकि हमारे मस्तिष्क के विकास में लिखावट की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.
यह बात सच है कि, जो व्यक्ति एक बार अपनी हैंडराइटिंग एनालाइज करवाता है, तभी उनका इस साइंस पर विश्वास बढता है.
ग्राफोलॉजी के अनेक फायदे हैं, इस कारण आजकल हर क्षेत्र में ग्राफोलॉजी इस्तमाल होने लगा है.
1. आपके भावी लाइफ पार्टनर को समझने और चुनने में आपकों मदद मिलती है.
2. बच्चों का स्वभाव हमेशा बदलता रहता है. उनके हैंडराइटिंग के जरिए, पालकों को बच्चों की हैंडराइटिंग के जरिए उनके स्वभाव को समझने में मदद मिलती है और साथ ही साथ, अगर किसी बच्चों के स्वभाव में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने है, तो कैसे लिखावट में बदलाव लाना है, इसके लिए मार्गदर्शन श्रेया करती है.
3. इसके अलावा कॉरपोरेट्स मैं हैन्डराइटिंग एनालिसिस का उपयोग किया जाता है. कॉरपोरेट ऑफिस में एंप्लॉयी को नियुक्त करने में ग्राफोलॉजी का बहुत उपयोग किया जाता है. श्रेया डागा कहती हैं की किसी भी क्लाइंट की एनालिसिस हमेशा कॉन्फिडेंशियल लिखना, ेये एक बहुत ही महत्वपूर्ण नियम है. श्रेया से पूछने पर बताया, मैं फिलहाल पुणे व हैदराबाद के मेरे गुरु से बातचीत कर खुद को अपडेट रखती हू. मेरा मानना है कि, प्रैक्टिस मेेक ए मैन परफेक्ट इसलिए सीखते रहना चाहिए. श्रेया डागा पुष्कर जी डागा की पोता बहू है. इसके अलावा उनके परिवार में ससुर राजेश डागा, इंडियन आइडल अकादमी की संचालिका नीता डागा, जेठ आदित्य डागा, जेठानी गुंजन डागा, आयांश डागा, पति धु्रव डागा साथ ही चाचाजी कमलेश डागा व चाची प्रीति डागा है. श्रेया का कहना है कि, परिवार के सभी सदस्यों का उसके काम के लिए पूरा सहयोग मिला है. यहीं नहीं ग्राफोलॉजी के संदर्भ में उन्होंने जानने का प्रयास कर श्रेया को प्रोत्साहित व प्रेरित किया है. डागा परिवार रियल इस्टेट डेवलपर्स और मेडिकल डिस्पोजेबल हेल्थ केअर प्रोडक्ट के नामांकित मैन्युफैक्चर है.
फिलहाल श्रेया डागा ‘इमप्रिन्टस’ (9502653194) के माध्यम से काम कर रही हैं.
ग्राफोलॉजी के माध्यम से महिलाएं कोचिंग तथा सायकोलॉस्ट के रुप में काम कर सकती है. जिससे महिला सक्षमीकरण को बढावा मिलेगा. इसी प्रकार हर परिवार ने अपनी बहुओं को पैरों पर खडे होने सहयोग करना चाहिए. उनके पैशन को पूरा करने में सहायता करनी चाहिए.

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