अमरावतीमहाराष्ट्र

श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर विदर्भ का प्राचीन तीर्थस्थल

पालकी समारोह में आचार्य सागर महाराज ने बताई महत्ता

अमरावती/दि.15-ई.स.1594 से पंढरपुर जाने वाली महाराष्ट्र की एकमात्र पहली पैदल पालकी दिंडी व विदर्भ की एकमात्र मान की पालकी समारोह 11 जून से 20 जून तक आयोजित किया है. इस समारोह में आचार्य सागर महाराज देशमुख ने सभी ने मार्गदर्शन किया. इस समारोह में सभी नागरिक उस्फूर्त रूप से शामिल हुए.
समारोह दौरान आचार्य सागर महाराज ने श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर की महत्ता बतलाई. उन्होंने बताया कि, कौंडण्यपुर विदर्भ के प्राचीन तीर्थस्थल है. तथा रुक्मिणी माता का और पांच सति का पिहर है. प्रभू श्रीरामचंद्र की दादी, राजा दशरथ माता इंदुमती, अगस्ती ऋषी की पत्नी लोपामुद्रा, भगीरथ राजा की माता केशिनी व चल राजा की राणी दमयंती, तथा चौरंगीनाथ का जन्मस्थान है. महाभारत कालीन इस प्राचीन तीर्थस्थल में श्री रुख्मिणी माता के जन्मस्थल पर मंदिर है. इसके निकट ही श्री अंबिका माता का प्राचीन मंदिर है. इसी मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण ने रख्मिणी माता का हरण किया था. श्रीमद् भागवत में इसका उल्लेख भी है. वशिष्ठा (आज की वर्धा) नदी के किनारे बसे इस प्राचीन तीर्थक्षेत्र में यह प्राचीन मंदिर है. लगभग 450 साल पूर्व श्री. संत सदगुरु सदाराम महाराज होकर गए. श्री. संत सदाराम महाराज ने श्रीतिर्थक्षेत्र कौंडण्यपूर सेे श्रीतिर्थक्षेत्र पंढरपूर ऐसी वारी 1594 में शुरु की. यह परंपरा अब तक शुरु है. पैदल दिंडी का यह 430 वां साल है. माता श्री रुख्मिणी माता के पिहर से निकली यह महाराष्ट्र की एकमात्र प्रथम पालकी है. वृद्धावस्था के चलते श्री संत सद्गुरु सदाराम महाराज को वारी करने असमर्थ थे, तब संत सदाराम महाराज ने पांडुरंग से पुकार लगाने पर स्वयं भगवान ने दृष्टांत देकर देकर उन्हें कार्तिक पौर्णिमा व प्रतिपदा को मैं श्रीतिर्थक्षेत्र कौंडण्यपुर आउंगा, ऐसा वचन दिया और स्वयं की प्रतिमा भेंट दी. यह प्रतिमा संत सदाराम महाराज ने स्थापित की. संत सदाराम महाराज ने स्थापित की यह प्रतिमा आज भी श्री. विठ्ठल रुख्मिणी संस्थान कारंजा में महाराज के वंशज के पास है. संत सदाराम महाराज ने कारंजा लाड व रुख्मिणी माता का जन्मस्थान रहने वाले तीर्थस्थल कौंडण्यपुर में श्री विठ्ठल-रुख्मिणी माता का मंदिर बनवाया है. श्री पांडुरंग की आज्ञा से संत सदाराम महाराज ने वारकरी संप्रदाय का प्रचार किया. तबसे कार्तिक/आषाढी माह में यहां यात्रा लगती है, ऐसा आचार्य सागर महाराज देशमुख ने बताया. पालकी समारोह में अध्यक्ष एन.बी.अमालकर, उपाध्यक्ष वसंतराव डाहे, सचिव सदानंद साधु, कोषाध्यक्ष डॉ.रामकृष्ण करडे, सहसचिव सत्यनारायण चांडक, विश्वस्त हिम्मतराव टाकोणे, अशोकराव पवार, सुरेशराव चव्हाण, हरीष मूंधडा, धनश्री दिवे, शुभांगी काले, अतुल ठाकरे, अरुण तिजारे व सभी विश्वस्त मंडल व नागरिक बडी संख्या में उपस्थित थे. समारोह में सोमवार 22 जून को कौंडण्यपुर में दोपहर 2 बजे ह.भ.प. पंकज महाराज महल्ले (आलंदीकर) का काले का कीर्तन होगा. इसके पश्चात 4 बजे दहीहांडी समारोह का आयोजन किया है.

 

 

Related Articles

Back to top button