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निम्न पेढी प्रकल्प का काम होगा शुरू

हाईकोर्ट ने आपत्ति याचिका को किया खारिज

* तीन वर्ष से बंद पडा था कामकाज

अमरावती/दि.25- समीपस्थ भातकुली तहसील अंतर्गत पेढी नदी पर करीब 1700 करोड रूपयों की लागत से बनाये जा रहे निम्न पेढी प्रकल्प का कामकाज अदालत में याचिका विचाराधीन रहने के चलते तीन वर्षों से बंद पडा था. किंतु विगत 22 दिसंबर को मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के न्या. चांदूरकर व न्या. सानप की दो सदस्यीय पीठ द्वारा सिंचाई विभाग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस प्रोजेक्ट के काम को दुबारा शुरू करने हेतु अपनी अनुमति प्रदान की. ऐसे में अब निम्न पेढी प्रकल्प का काम तीन वर्ष बाद एक बार फिर शुरू होगा. इस मामले को लेकर हुई सुनवाई में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल की ओर से एड. जेमिनी कासट ने हाईकोर्ट में सफलतापूर्वक पैरवी की.
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिंचाई हेतु शुरू किये गये 100 प्रोजेक्टस् में से एक प्रोजेक्ट निम्न पेढी प्रकल्प भी है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा ही निधी उपलब्ध कराई गई थी. 1700 करोड की लागतवाले इस प्रकल्प के जरिये अमरावती व अकोला जिले की 10 हजार 192 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र सिंचाई सुविधा के तहत आना अपेक्षित है. साथ ही इस प्रकल्प से उद्योगों व आम नागरिकों को पानी उपलब्ध कराया जाना था. इस प्रकल्प के चलते बोधगव्हाण व अडणगांव सहित कुल सात गांवों की जमीनों को पूरी तरह से अधिग्रहित किया गया था और अधिग्रहित किये गये खेतों व घरों की ऐवज में संबंधित गांववासियों को योग्य मुआवजा देने के साथ ही उन्हें यहां से अन्यत्र पुनर्वसित भी किया गया था. जिसके बाद इस प्रकल्प का काम युध्दस्तर पर शुरू किया गया तथा वर्ष 2018 तक करीब हजार करोड रूपये की निधि खर्च करते हुए इस प्रकल्प का 70 फीसद काम पूरा कर लिया गया. इसी दौरान वर्ष 2018 में बोधगव्हाण व अडणगांव के निवासियों द्वारा दो स्वतंत्र याचिकाएं दायर करते हुए अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरी तरह से गलत बताया गया. साथ ही खेतोें व जमीनों की ऐवज में सरकार की ओर से दिये गये मुआवजे को भी कम बताया गया. याचिकाकर्ताओं का कहना रहा कि, वर्ष 2014 में भुमि अधिग्रहण को लेकर नया कानून आया है. अत: उन्हें इस नये कानून के मुताबिक मुआवजा मिलना चाहिए. ऐसे में वर्ष 2019 में हाईकोर्ट द्वारा इस काम को लेकर जैसे थे का आदेश जारी किया गया था और 2019 से ही इस प्रकल्प का काम रूका पडा था. इस दौरान दो सदस्यीय खंडपीठ द्वारा इस मामले में मुआवजे, अधिग्रहण व पुनर्वसन की कार्रवाई नियमानुसार है अथवा नहीं, यह पता करने हेतु यह मामला 21 अगस्त 2019 को तीन सदस्यीय खंडपीठ के पास भेजा गया. जहां पर इस वर्ष दीपावली से पहले सुनवाई पूरी करते हुए तीन सदस्यीय खंडपीठ ने पूरी कार्रवाई को कानून सम्मत बताया तथा यह याचिका एक बार फिर द्वि सदस्यीय खंडपीठ के पास आयी. जहां पर न्या. चांदूरकर व न्या. सानप के सुनवाई पूरी करते हुए बोदगव्हाण व अडणगांव के करीब 300 नागरिकों द्वारा दायर की गई दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया. ऐसे में अब इस प्रोजेक्ट के शेष पडे काम को
पूरा करने में किसी तरह की कोई रूकावट नहीं है. उल्लेखनीय है कि, पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई को लेकर पहले ही काफी अनुशेष है. वहीं पीएम मोदी की प्रोजेक्ट लिस्ट में शामिल रहनेवाले निम्नपेढी प्रकल्प का काम तीन वर्षों से अटका पडा था. किंतु अब विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल द्वारा एक बार फिर इस प्रकल्प के काम को दुबारा पूरी रफ्तार के साथ शुरू किया जायेगा. जिससे अमरावती व अकोला जिले के एक बडे क्षेत्र के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी. इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. भंडारकर तथा विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल की ओर से एड. जेमिनी कासट द्वारा युक्तिवाद किया गया.

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